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सालों पहले , फ्रांस में आम्पोर नाम का एक प्रसिद्ध भौतिक शास्त्री रहते थे । उन्हों ने विद्युत विज्ञान के विकास में असाधारण योगदान किया था ।
वे वैज्ञानिक अनुसंधान में बड़ी एकाग्रता के साथ काम करते थे । एक दिन श्री आम्पेर सड़क पर घूम रहे थे , सड़क पर राहचलताओं तथा गाड़ियों की भीड़ लगी थी और बहुत चहल पहल हो रहा था ।
लेकिन आम्पेर केवल सिर झुकाए अपनी राह चल रहे थे , मानो उन्हें कुछ भी दिखाई नहीं पड़ी । असल में वे गणित शास्त्र के एक गुंथे सवाल का हल सोचने में लग्न थे ।
शुरू शुरू में वे मन में सोच रहे थे और अपने वस्त्र के आंचल पर ऊंगली लगाते हुए हिस्साब कर रहे थे । लेखा -जोखा करते करते उन्हें अनुभूति हुई कि गणना करने के लिए एक स्थान ढूंढना बहुत जरूरी है । लेकिन अभी वे तो रास्ते पर थे , कहां स्थान मिलेगा । अगर सामने साफ दीवार खड़ी हुई होती , तो कितना उपयोगी सिद्ध हुई होती , वे जरूर उसी पर लिखना शुरू कर देते ।
इसी समय संयोग से उन्हें सड़क के किनारे एक ब्लेक बॉर्ड दिखाई पड़ा । ऐसा लगता था कि यह ब्लेक बॉर्ड उन्ही के लिए वहां लगाया गया है । कमाल है , उन के मुंह से निकला और वे लम्बा लम्बा डग बढ़ाते हुए ब्लेक बॉर्ड के पास गए । उन्हों ने उल्लास के साथ जेब से एक चौक निकाल कर ब्लेक बॉर्डसपर लिखने लगे ।
लेकिन थोड़ी देर के बाद वह ब्लेक बॉर्ड हिल उठा और धीरे धीरे आगे बढ़ने लगा । गणना में व्यस्त रहे आम्पेर ने तुरंत पुकारा , अरे , रूको , रूको , बस थोड़ी देर है कि मेरा काम पूरा होगा । किन्तु ब्लेक बॉर्ड नहीं मानता , वह आजे बढ़ता चला जा रहा । आम्पेर अंजान में ब्लेक बॉर्ड के साथ साथ आगे बढ़ते रहे और उस पर एकाग्रता से गणना का काम जारी रखते रहे ।
चलते चलते ब्लेक बॉर्ड की बढ़ने की गति तेज होती गई ,आम्पेर को लगा कि वह उस की गति का साथ देने में असमर्थ थे । उन्हों ने ध्यान से ब्लेक बॉर्ड पर गौर किया , तभी उन्हें मालूम हुआ कि असल में यह ब्लेक बॉर्ड एक अश्व रथ के डिब्बे के पृष्ठ भाग पर लगाया गया है ।
दूर भागता चला जा रहे रथ की ओर ताकते हुए आम्पेर आवाक रह गए , क्यों कि उन का गणना काम अभी पूरा नहीं हो पाया था । सड़क पर खड़े लोगों की भीड़ उन पर हंसने लगे , पर उन्हें इस की जरा भी परवाह नहीं रहा ।
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