"ता बान शहर की लड़कियां" नामक गीत चीन के शिंगच्यांग स्वायत्त प्रदेश के उइगुर युवक की प्रेम भावना व्यक्त करता है। पुराने समय में वहां शादी की एक विशेष रीति प्रचलित थी। इस में दुल्हन दहेज के साथ पति के घर आती थी। इस रीति के अनुसार वर और वधू दोनों पक्षो की सहमति पर एक ही परिवार की बड़ी और छोटी बहनें एक ही पुरुष के साथ शादी कर सकती थीं। हमारे एक पिछले कार्यक्रम में शायद आप दूसरे चीनी गायकों की आवाज़ में यह गीत सुन चुके हों,खैर लीजिए ली श्वांग च्यांग के गाये इस गीत का मज़ा।
गीत कहता है
बहुत समतल है
ता बान शहर का रास्ता
फल हैं मीठे रसीले
ता बान की लड़कियां है अति सुन्दर
आंखें हैं कितनी बड़ी
ऐ लड़कियो
जब तुम्हारा मन हो शादी करने का
तो किसी दूसरे से नहीं
मेरे साथ शादी करना
दहेज के साथ अपनी बहन को लेकर आना
गाती हुई मेरे पास
यह है चीनी गायक ली श्वांग च्यांग का गाया गीत "ता बान शहर की लड़कियां"।
ली श्वांग च्यांग चीन के मशहूर पंचम स्वर गायक हैं। 1970 के दशक में वे चीन में बहुत लोकप्रिय रहे। वर्ष 1963 में ली श्वांग च्यांग श्रेष्ठ छात्र के रूप में चीनी केंद्रीय संगीत महाविद्यालय से स्नातक हुए और चीन के शिंग च्यांग उइगुर स्वायत्त प्रदेश में तैनात सेना के नृत्यगान मंडल में काम करना शुरू किया।
शिंगच्यांग उत्तर-पश्चिमी चीन में स्थित है। वहां उइगुर और कज़ाख समेत दस से अधिक अल्पसंख्यक जातियां रहती हैं जिनकी बड़ी रंग-बिरंगी जातीय संस्कृति है। शिंग च्यांग में दस वर्षों से भी ज्यादा समय गुजारने वाले ली श्यांग च्यांग पर वहां की विभिन्न जातीय सांस्कृतिक कलाओं का बड़ा असर पड़ा जो उन की गायन शैली व कलात्मक सृजन के लिए बड़ा मददगार साबित हुआ।
गीत "मेरा फूल"
यह है ली श्वांग च्यांग का गाया "मेरा फूल" नामक गीत। यह एक कज़ाख प्रेम गीत है। गीत में एक कज़ाख युवक की अपनी प्रेमिका के प्रति प्यार की भावना व्यक्त हुई है।
पिछले 40 वर्षों के अपने कला जीवन में ली श्वांग च्यांग चीनी और पश्चिमी शैलियों का मेल कराने के रास्ते पर डटे रहे। उन्होंने यूरोप की परम्परागत शैली का अनुसंधान करने के साथ चीनी जातीय संगीत कला का रस भी लेने की कोशिश की, जिस से उनकी अपनी विशेष शैली विकसित हुई। कज़ाख जाति में "मेरा फूल" जैसे अनेक लोकगीत मशहूर हैं। इन में से अधिकतर प्रेमगीत हैं । लीजिए अब सुनिए ली श्वांग ग का गाया एक और गीत। नाम है "तुतार और मरिया" । यह गीत है, तुतार और मरिया के प्रेम का।
गीत का भावार्थ कुछ इस प्रकार है
वीर युवा कज़ाख इवान तुतार
आज रात नदी किनारे
आना मेरे पास
अपना तंबूरा लेकर
चांदनी रात में
मेरी खिड़की वाले पेड़ के नीचे
करना मेरा इन्तज़ार
तंबूरा बजाते हुए
गाते रहना हमेशा
यह है कज़ाख लोकगीत "तुतार और मरिया"।
1980 वाले दशक से ली श्यांग च्यांग गाने के साथ संगीत के अध्ययन व अध्यापन में सक्रिय रहे हैं। वे चीनी केंद्रीय संगीत महाविद्यालय के अतिति प्रवक्ता रहे और सिंगापुर के नान यांग कॉलेज़ में भी संगीत पढ़ाते हैं। वर्ष 1994 में वे चीनी जन मुक्ति सेना कला महाविद्यालय के संगीत विभाग के निदेशक बने। वे चीन की नयी पीढ़ी की संगीत प्रतिभाओं के प्रशिक्षण तथा चीनी संगीत कला के विकास की अथक कोशिश करते रहे हैं। आगे आप सुनेंगे ली श्वांग च्यांग का गाया एक और गीत। नाम है "सुन्दर लड़की"। यह भी एक कज़ाख लोकगीत है। गीत में एक सुन्दर कज़ाख लड़की का वर्णन किया गया है।
गीत "सुन्दर लड़की"
यह है ली श्वांग च्यांग का गाय "सुन्दर लड़की"नामक गीत ।
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