यह चाइना रेडियो इंटरनेसनल है। आज के इस कार्यक्रम में हम आज़मगढ़, उत्तर प्रदेश के मुहम्मद शाहिद आज़मी, ढ़ोली सकरा, बिहार के जसीम अहमद, सुनदर नगर, हिमाचल प्रदेश के मुनीश ठाकुर, कोआथ बिहार के सुनील कुमार केशरी, डी डी साहिबा, संजय केशरी, सीताराम केशरी, एस के जिंदादिल, सीताराम केशरी, सोनू केशरी, राज कुमार केशरी, प्रियांका केशरी, किशोर कुमार केशरी, शिव कुमार केशरी, बिलासपुर, छत्तीसगढ़ के परस राम श्रीवास का पत्र शामिल कर रहे हैं।
इन श्रोताओं में अपने पत्र में चीन के उत्सवों पर बड़ी रूचि व्यक्त की। उन्होंने पूछ लिया है कि चीन में प्रमुख कौनसे त्यौहार मनाए जाते है, चीन में वसंत त्यौहार की खुशियां कैसे मनाई जाती हैं, तथा चीन का सब से बड़ा त्यौहार कौन सा हैं। उन्होंने चीन के प्रमुख वसंत त्यौहार के इतिहास के बारे में जानकारी की भी जिज्ञासा व्यक्त कि । और चीन में चीन भारत के रंगों का त्यौहार होली जैसा पर्व भी मनाया जाता है।
आज के इस कार्यक्रम में हम आप लोगों की जिज्ञासा शांत करने की कोशिश कर रहे हैं।
वसंतोत्सव की खुशियां मनाने की परम्परा कोई एक हजार वर्ष पुरानी है। वर्तमान में वसंतोत्सव की खुशियां मनाते समय आहुति चढाने जैसी रस्म नहीं होती, पर बहुत से मजेदार परम्परागत रीति- रीवाज अब तक जारी हैं। चीन के ज्यादातर इलाकों में, विशेषकर ग्रामीण इलाकों और कस्बों में ये रीति-रिवाज खासे प्रचलित है।
वसंतोत्सव की पूर्ववेला में मकानों को सजाया जाता है। द्वार के दोनों किनारों पर कूंची से लिखे मंगल दोहे चिपकाये जाते हैं, द्वारों, खिङ़कियों और दीवारों पर मंगल चित्र टांगे जाते हैं। कुछ घरों के फाटक पर लाल लालटेनें भी टांगी जाती हैं। वसंतोत्सव की खुशियां मनाने के लिए मंगल दोहों और चित्रों के प्रयोग का इतिहास भी बहुत पुराना है। पटाखे छोड़ने की ही तरह, प्राचीन काल में मंगल दोहे और तस्वीरें लगाना भूत भगाने का टोटका था। बाद में यह मंगल परम्परा बन गया।
पश्चिमी देशों में अगर क्रिस्मस पर परिवार इकट्ठे होते हैं, तो चीन में वसंतोत्सव के अवसर पर लोग परिजनों से मिलने घर वापस लौटते हैं। वसंतोत्सव में अपने परिवार से मिलने पर लोगों को बेहद
खुशी होती है। वसंतोत्सव के दिन सब लोग सुन्दर पोशाकों में मेहमानों का स्वागत करते हैं। मेहमानों के लिए पर्याप्त स्वादिष्ट जलपान और मिठाइयां तैयार रहती हैं।
वसंतोत्सव की पूर्व संध्या पर हर घर पुराने साल के अंतिम भोज का मजा लेने को इकट्ठा होता है। इस रात्रि भोज में मेज पर तरह- तरह की साग-सब्जियां, मांसाहारी और शाकाहारी व्यंजन, आपको मिल जाएंगे। यों बहुत से परिवार अब वर्ष का अंतिम रात्रि भोज घर पर नहीं, रेस्तरां या होटल में करते हैं।
इस रात नव वर्ष के आगमन उस की खुशी मनाते परिवार एक गोल-मेज के गिर्द बैठकर खास तौर पर च्याओज नामक व्यंजन का मजा लते हैं। च्याओज चीन का सब से स्वादिष्ट यानी नंबर वन पकवान माना जाता है। नई दिल्ली के बहुत से रेस्तरांओं में भी यह मिलता है। अंग्रेजी में इसे डम्पलिंग कहते है, चीनी में इसे "क्वोथ्ये" और "मोमो" भी कहा जाता है।
यह मैदे और मांस के टुकड़ों व तरह-तरह की साग-सब्जियों से बनाया जाता है। पहले मैदे की लोई बनाई जाती है। फिर मांस व साग-सब्जियों के टुकङ़ों में थोङ़ा-सा सोया सौस, चीनी, नमक, चावल की शराब और तेल डाल कर च्याओज का भराव तैयार किया जाता है। इस के बाद भराव को दोहरी चक्करदार परत में भर कर अर्द्धचंद्रकार च्याओज तैयार होता है। जिसे अंत में पानी में उबाल कर पकाया जाता है।
पुराने साल की अंतिम रात हर परिवार नव वर्ष के प्रथम सबेरे के इंतजार में बैठा खाता-पीता, बोलता, हंसता बिताता है। नव वर्ष का प्रथम क्षण आते ही खुशियों के सागर में डूबे लोग पटाखे छोङ़ने का मजा लेते हैं।
नव वर्ष की सुबह वे तो रंगबिरंगी सुन्दर पोशाकों में सुसज्जित होकर परिजनों और बुजुर्गों को नए साल का अभिनंदन पेश करने जा पहुंचते हैं, इस तरह शुरू होता है एक दूसरे को नये साल की मुबारकबाद देने का सिलसिला। इस के बाद वे रिश्तेदारों के घर जाकर भी उन्हें नव वर्ष की बधाई देते हैं। नव वर्ष के प्रारम्भिक दिनों में सभी वसंतोत्सव के जोशीले वातावरण में डूबे रहते हैं।
इधर कुछ वर्षो से संपन्नता की ओर बढ़ रहे चीनी लोगों की जीवन शैली में भारी परिवर्तन आया है। प्राचीनकाल में वसंतोत्सव के अवसर पर मंदिरों व मठों में नियमित मेले लगते थे, तो तब मेलों का मजा लेना लोगों की आदत थी। आज के जमाने में, मेले जारी तो हैं, पर लोगों की इन्हें देखने की आदत में परिवर्तन आ गया है। अब जहां वही बङ़ी संख्या में लोग मेलों की सैर करते हैं, वही अधिक लोगों के लिए टी वी पर नियमित मिलन-समारोह कार्यक्रम देखना शायद ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। यह परम्परा बीसेक साल पुरानी है। यों इस मौके पर थिएटर, सिनेमा, और संगीतागार, स्टेडियम जाना, और टी-पार्टी चलाना भी प्रचलन बन गया है।
वसंतोत्सव में चीन के सरकारी कार्यालयों की 7 दिनों की छुट्टियां होती हैं। बहुत से लोग पर्यटन के लिए देश-विदेश के रमणीक स्थल निकालते हैं। वे सिंगापुर, मलेशिया, थाईलैंड, अमेरिका, कनाडा, जापान, यूरोपीय देश और आस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड का दौरा करते हैं। गत मार्च माह के अंत में चीन और भारत के बीच प्रत्यक्ष वायुसेवा शुरू हुई, हाल में दोनों देशों के बीच पर्यटन पर एक ज्ञापन भी हस्ताक्षरित हुआ, इससे अगले वसंतोत्सव में चीनी लोगों के भारत भ्रमण की भी संभावना बढ़ी है।
चीनी पंचांग के प्रथम माह का पंद्रहवां दिन कंदील दिवस के रूप में मनाया जाता है, यह वसंतोत्सव की समाप्ति माना जाता है।
हां, चीन भारत के रंगों का त्यौहार होली जैसा पर्व भी मनाता है, इस विषय पर जानकारी अगले हफ्ते के इस कार्यक्रम में देंगे।
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