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(GMT+08:00) 2004-12-24 15:25:38    
सानी जाति की मशहूर  लोक कथा आशमा

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दक्षिण पश्चिम चीन के युन्नान प्रांत की राजधानी खुनमिन के निकट पत्थरों की जंगल नाम का एक अत्यन्त सुन्दर स्थान है , जहां विविध आकृतियों में पत्थरों की ऐसी चट्टानें फैली हैं , जो दूर से देखने में समुद्री लहरों की भांति उमड़ रही हो । इस पत्थरों की जंगल में चीन की अल्प संख्यक जाति में से एक सानी रहती है , सानी जाति चीन की ई जाति की एक शाखा है , जिस की कुल जन संख्या करीब 70 हजार । सानी जाति के लोग नाचगान के शौकिन हैं , वे बहुत मेहनती और बहादुर भी हैं । अनोखे पत्थरों की जंगल में रहने के कारण सानी जाति के लोगों को वहां के पर्वतों और चट्टानों के प्रति गाढ़ा लगाव होता है और वहां के हरेक प्राकृतिक सौंदर्य के बारे में सानी जाति की दिशचस्प कहानी प्रचलित है । सानी जाति में प्रचलित आशमा की कथा देश भर में मशहूर है ।

आशमा नामक यह कथा सानी जाति की प्राचीन प्रेम कथा है , जिस के अनुसार आशमा सानी जाति की एक सुन्दर युवती थी , वह निस्वार्थ प्यार चाहती थी और अपनी प्रेमी आहिग के साथ मिल कर हिंसा और दुष्टों के अत्याचार के विरूद्ध अथक संघर्ष करती थी और वह अपने प्रेमी आहिग की प्रतीक्षा करती हुई अंत में एक पत्थर की चट्टान बन गई थी । 60 वर्ष की वृद्धा बी फुनइंग की आवाज में आशमा का गीत बहुत मधुर और भावोद्वेलित है , जिसे सुनने पर लोग आशमा की सच्ची मुहब्बत से गहन रूप से प्रभावित हो जाते हैं । आशमा की कहानी सानी जाति में ही नहीं , चीन के सभी स्थानों में भी प्रसिद्ध है ।

सानी जाति के आबाद क्षेत्र यानी पत्थरों की जंगल में जब आप प्रवेश कर गए , तो स्थानीय सानी गाइड जरूर आप को यह बताएगा कि इस घनी पत्थर जंगल में कौन सी चट्टान आशमा से परिणीत हो कर बनी है और कौन सी उस के प्रेमी आहिग से बनी । पत्थरों की जंगल चीन का मशहूर प्राकृतिक सौंदर्य क्षेत्र है , जो बड़ी जंगल और छोटी दो भागों में बंटी हुई है । बड़ी जंगल में पत्थरों की चट्टानें ऊंची और विशाल हैं , जिस से आहिग जैसे सानी युवकों की बहादुरी और वीरता की कल्पना की जा सकती है और वे अपनी प्यारी लड़की की तलाश में किसी भी तरह की कठिनाई को दूर कर सकते हैं। छोटी जंगल में जो पत्थरों की विविध आकृतियों वाली चट्टानें देखने को मिलती हैं , वे बहुत सुन्दर और मनोहर है , आशमा से बनी चट्टान इसी जंगल में खड़ी हुई मिलती है , दूर से देखने पर आशमा वाली चट्टान आकार में एक ऐसी नवयुवती लगती है , जो पीठ पर बांस की टोकरी लादे दूर क्षितिज को निहारती है, मानो वह अपने प्रेमी की राह जोह रही हो ।

आशमा जैसी कहानियों से यह जाहिर होता है कि सानी जाति के लोग प्रेम के असाधारण रूप से निष्ठ रहते हैं और सुखमय जीवन की तीव्र अभिलाषा रखते हैं । आशमा जैसी कहानियों में प्राचीन सानी लोगों की आस्था और आकांक्षा अभिव्यक्त होती है । आधुनिक युग में सानी जाति के युवा अपने पूरवजों से खासा खुले व स्वतंत्र हो गए हैं । खूबसूरत युवती पेड़ के पत्ते को मुंह से हवा फूंकते हुए बजाना पसंद करती हैं , जिस के जरिए वह अपने प्रिय युवक को मिलने जाने का संदेश भेजती है ।

सानी जाति में युवाओं में प्रेम के लिए नाच गान की आवश्यकता है । चांदनी रात में युवक त्रितंतुओं वाला साज और बांसुरी लिए गांव की जंगल में आते हैं , उन के द्वारा बजाई गई धुन के मधुर लय का साथ देते हुए युवतियां मुक्त भाव से नाचती हैं , यदि किसी युवक युवती में प्रेम का भाव उत्पन्न हुआ , तो उन में प्रेम का संबंध तय होता है । सानी जाति में अविवाहित युवतियों के सिर पर का आभूषण विशेष होता है , उन के सिर पर जो गोलाकार टोपी पहनती है , वह लाल , नीला , हरा , बेंगनी , पीला , सफेद तथा काला सात रंगों की धागों से बनाई गई है , टोपी के दोनों किनारों पर त्रिकोण रंगीन कसीदारी तितली सरीखा आभूषण जोड़ा गया है , कहा जाता है कि इस प्रकार का त्रिकोण तितली नुमा आभूषण प्रेम के लिए आग में अपनी जान देने वाले दोनों प्रेमी प्रेमिका की स्मृति में बनाया गया है , ये प्रेमी प्रेमिका आग में जान देने के बाद सात रंगों का इंद्रधनुष बन गए और सात रंगों की टोपी भी आगे चल कर सच्चे प्रेम का प्रतीक बनता है । सानी युवतियों की टोपी का यह विशेष आभूषण अविवाह का चिन्ह भी होता है । यदि किसी युवती को किसी युवक से प्यार आया ,तो वह अपनी टोपी की तितली को उसी युवक को भेंट करती है । इसलिए जब कभी आप किसी ऐसी युवती से मिले ,जिस की टोपी पर मात्र एक तितली रह गई है , तो आप को मालूम होना चाहिए कि उस युवती का अपना प्रेमी मिल चुका है