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(GMT+08:00) 2004-12-23 08:57:00    
पर्यटन विकास पू इ जाति के गांव को धनी होने के रास्ते पर ले गया

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सी थओ चाए दक्षिण-पश्चिमी चीन के कुए चओ प्रांत का पू इ जाति बहुल गांव है। कृषियोग्य जमीन कम होने की वजह से लम्बे अर्से तक यह गांव बहुत गरीब रहा। पर पिछले दस सालों में सी थओ चाए व उसके आसपास के गांवों ने अपनी अनूठे प्राकृतिक पर्यावरण व संसाधनों का प्रयोग कर स्थानीय पर्यटन उद्योग का विकास किया जिससे गांव व गांववासियों का कायापलट हो गया।

पू इ जाति के सी थओ चाए गांव का इतिहास 400 साल पुराना है। इस गांव के 580 से अधिक लोगों में 80 प्रतिशत पू इ जाति के हैं। पूरे गांव को तीन तरफ से नदी-तालाब घेरे हुए हैं और गांव के पीछे की ओर पहाड़ खड़े हैं। ये पहाड़ इस गांव को दूसरे गांव से अलग करते हैं। यहां के घरों की दीवारें आम तौर पर पहाड़ी पत्थरों से निर्मित हैं । पूरे गांव में पू इ जाति की अद्भुत झलक देखने को मिलती है। लोगों ने इस गांव को पत्थर गांव नाम दिया है।

गांव में प्रवेश करते ही पत्थऱ से बने दरवाजे, पत्थर से बनी दीवारें, पत्थर से बनी सड़कें आपकी निगाह में आयेंगी, यहां तक कि पानी रखने वाला घड़ा व सुअरों के लिए चारा डालने वाली नांद भी पत्थर से बनी मिलेगी। पूरा गांव पत्थर का राज्य सा लगता है। गाना गाते गांव के एक बुजुर्ग की ऊंची आवाज ने हमारा ध्यान आकृष्ट किया।( गाने की आवाज) गाना गाने वाले 66 उम्र के ली छिन सन गांव के ली घराने के अवशेष उद्यान के मालिक हैं। श्री ली छिन सन पू इ जाति के हैं, उनकी जातीय संस्कृति में बड़ी रचि है। उनके अनुसार पू इ जाति की उत्पादन व जीवन की अपनी अनूठी पद्धति है। तीन साल पहले उन्होने लोगों की पू इ जाति की संस्कृति में बढ़ती रुचि को देखते हुए ली घराने के सांस्कृतिक अवशेष उद्यान की स्थापना की। इस सांस्कृतिक अवशेष उद्यान का क्षेत्रफल 100 वर्ग मीटर है और यहां 400 से अधिक सांस्कृतिक अवशेष प्रदर्शन के लिए रखे गए हैं। उद्यान का परिचय कराते हुए उन्होंने कहा (आवाज) यहां पू इ जाति के हर किस्म के सांस्कृतिक अवशेष रखे हुए हैं। परम्परागत फर्नीचर, उत्पादन साधन, कशीदे तथा परम्परागत वस्त्र व दस्तकारी के सांस्कृतिक नमूने सब यहां देखे जा सकते हैं।

सांस्कृतिक अवशेष उद्यान एक साफ-सुथरे आंगन में स्थित है। रोजाना 30 से 50 लोग और कभी-कभार सौ से भी अधिक लोग इस उद्यान को देखने आते हैं। उद्यान में छोटी-मोटी दस्तकारी व आभूषणों के अलावा उसके टिकटों की बिक्री से श्री ली को महीने में 1000 य्वेन से अधिक की आमदनी हो जाती है। उन्होंने बताया कि उनकी आमदनी गांव में मध्यम स्तर ही कही जा सकती है।

(मुर्गी की आवाज) श्री ली के घर से निकलने के बाद हम एक दुमंजिले मकान में पहुंचे। इस घर के मालिक का नाम फान छुएन यो है। शादी के बाद वे अपने माता-पिता व छोटे भाई के साथ यहां रहते हैं। उन्होंने बताया कि पहले साल भर मजदूरी करने के बाद ही उनका घर केवल पेट भर भोजन प्राप्त कर पाता था। 1990 के दशक के बाद से गांव में पर्यटन का विकास होने से सड़कों का निर्माण होने की बदौलत पर्यटकों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ने लगी तो उन्होंने चाय की दुकान खोली फिर उससे कमाए पैसों से एक रैस्त्रां खोल दिया। इस रैस्त्रां में परोसे जाने वाला चावल व सब्जियां उनके ही खेतों के उत्पाद हैं। इस तरह फान परिवार हर साल अपने रैस्त्रां से 20 हजार य्वेन कमा लेता है। सप्ताहांत में पर्यटनों की संख्या बढ़ती है तो श्री फान का रेस्त्रां खचाखच भर जाता है। कुए चओ प्रांत व आस पास के क्षेत्रों से यहां सैर करने आए लोगों ने बताया कि वे यहां के मनमोहक प्राकृतिक दृश्यों और यहां की अनूठी जातीय शैलियों को देखने के लिए बड़े उत्सुक है।

पर्यटक केवल 20 य्वेन खर्च कर पू इ जाति के दो विशेष पकवानों का आनंद उठा सकते हैं। आप रेस्त्रां में जिन्दा मछली, पहाड़ी मिर्च और जंगली सब्जियां तथा पू इ जाति का विशेष व्यंजन धुएं पर पका सूखा मांस खा सकते हैं या रेस्त्रां आपकी इच्छा के मुताबिक आपका पसंदीदा पकवान आपके सामने रख सकता है।

पर्यटन के रंग-बिरंगे व विविध कार्यक्रमों ने अधिकाधिक लोगों को सी थओ चाए के पर्यटन के लिए आकृष्ट किया। पू इ जाति का जीवन साल ब साल उन्नत हो रहा है। सी थओ चाए गांव के मुखिया ली ल्यांग फिन ने बताया ( आवाज ) 1993 में गांव के प्रति व्यक्ति के हिस्से 300 किलोग्राम अनाज आता था और औसत आमदनी 300 य्वेन से भी कम थी। पर आज प्रति व्यक्ति के हिस्से आने वाले की मात्रा 700 किलोग्राम और आमदनी 3000 य्वेन हो गई है। प्रांत व बाहर से यहां आने वाले यात्रियों की औसत संख्या हर साल एक लाख से ऊपर रहती है और पर्यटन से होने वाली वार्षिक आमदनी 20 लाख य्वेन। पर्यटन के जोरदार विकास ने तृतीयक उद्योग को भी प्रेरित किया है। इससे गांव के 200 से अधिक अतिरिक्त श्रमिकों को रोजगार के अवसर हासिल हुए हैं। आज हर गांव के घर-घर को टीवी. नल का पानी, टेलीफोन, मोबाइल फोन की सुविधा उपलब्ध है। पू इ जाति के इस गांव का सचमुच काया पलट हो गया है।