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(GMT+08:00) 2004-12-22 09:26:49    
चीनी शांघाई परीवाहन विश्वविद्यालय

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चीनी शांघाई परीवाहन विश्वविद्यालय , जिस की स्थापना वर्ष 1896 में किया गया था , चीन का मशहूर विश्वविद्यालयों से एक है । यह विश्वविद्यालय इलेक्ट्रनिक सिस्टम , जहाज व समुद्र परियोजना , स्वचलता , स्वचलित नियंत्रण , मिश्रित सामग्री तथा धातु प्रोसेसिंग आदि क्षेत्रों में विश्व के सब से उन्नत स्तर पर जा पहुंचा है । नीचे आप पढ़ पाते हैं हमारे संवाददाता की शांघाई विश्वविद्यालय के उप कुलपत्ति श्री च्वांग वन च्वन के साथ बातचीत से आधारित इस विश्वविद्यालय की कुछ जानकारियां ।

39 वर्षीय श्री च्वांग वन च्यन चीन के रुपांतर के काल में उभरे श्रेष्ठ जवानों में से एक है । उन्हों ने एचडीटीवी (high definition television) का अनुसंधान करके चीन में digital टीवी तकनीक के प्रयोग में भारी योगदान पेश किया है और चीन के टीवी उद्योगधंधों के विकास को उन की तकनीक से बड़ा लाभ मिला है ।

श्री च्वांग वन च्वन वर्ष 1980 में चीनी शांघाई परीवाहन विश्वविद्यालय में पढ़ने गये । 8 सालों के बाद उन्हें इस विश्वविद्यालय की डाकटर डिग्री प्राप्त हुई । फिर वे जर्मनी की एक इलेक्ट्रनिक कंपनी में 3 सालों के लिये पोस्ट डाक्टर अनुसंधान किया । उस समय श्री च्वांग वन च्वन को जर्मनी में अच्छा काम प्राप्त हुआ । पर उन्हों ने इन सभी को छोड़कर वर्ष 1993 में स्वदेश लौटे । श्री च्वांग वन च्वन ने अपनी आपबीती की चर्चा करते हुए कहा , जर्मनी में काम करने के दौरान मेरी देशभक्ती भावना को ज्यादा उजागर किया गया था । मेरे जर्मन दोस्तों ने मुझे यह पूछा , यहां काम कर रहे चीनी कार्यक्रता सब बहुत श्रेष्ठ हैं , लेकिन क्यों चीन फिर भी एक विकासशील देश हैं । यह बात सुनने के बाद मुझे बहुत दर्द था । जर्मनी में मेरा वेतन चीन के 20 गुने के बराबर था , पर मुझे सुखमय नहीं महसूस था । जर्मन दोस्तों का वेतन ज्यादा है , क्योंकि उन का देश विकसित है । पर मेरे लिये जर्मनी में विकास होने का मौका नहीं रहा , मैं केवल बौस के लिये काम करने वाला था । पर मेरी मातृभूमि को मुझे चाहिये और मैं अपनी बुद्धि के जरिये देश का विकास करने के लिये कुछ कर सकूंगा , इसलिये मैं वर्ष 1993 में अपने घर को जर्नमी से शांघाई में पहुंचाया ।

जब डाक्टर च्यांग ने स्वदेश लौटना चाहा , तब चीन के स्वर्गीय नेता श्री तंग श्याओ पींग ने दक्षिणी चीन के शेनचेन आदि शहरों का दौरा करके मशहूर दक्षिणी दौरा बयान दिया । उसी साल से चीन ने मार्केट अर्थतंत्र के उन्मुख आर्थिक रुपांतरण शुरू किया । लोगों का विचार श्री तंग श्याओ पींग के विचारधारा से मुक्त होने लगा । श्री च्यांग वन च्वन ने स्वदेश लौटते ही चीनी विज्ञान व तकनीक मंत्रालय के साथ संपर्क रखा , वहां से उन्हें चीन के प्रथम एचडीटीवी का अनुसंधान करने का मिशन सौंप दिया गया । श्री च्यांग वन च्वन ने अपनी यह कहानी सुनाते हुए कहा , हमें वर्ष 1996 से सरकार से एचडीटीवी का अनुसंधान कार्य प्राप्त हुआ , दो सालों के बाद हम ने चीन के प्रथम और दुनिया के चौथे एचडीटीवी का अनुसंधान करने में सफल किया । इसी प्रगति से चीन में 6 खरब यवान का औद्योगित उत्पादन मूल्य पैदा किया जाएगा । और इस से चीन ने एचडीटीवी तकनीक के क्षेत्र में अन्य देशों के शौषण से छुटकारा पाया ।

श्री च्यांग वन च्वन को अपनी उपलब्धियों से सरकार के सर्व श्रेष्ठ दस युवा तथा चार मई युवा मेडल आदि पुरस्कार दिये गये । और कुछ समय बाद उन्हें चीनी शांघाई परीवाहन विश्वविद्यालय के उप कुलपत्ति का पद नियुक्त किया गया । बीते एक शताब्दी में चीनी शांघाई परीवाहन विश्वविद्यालय के कुल एक लाख स्नातक हो चुके हैं , जिन में अनेक श्रेष्ठ राजनीतिज्ञ , वैज्ञानकि और तकनीशियन शामिल हुए । चीन के राष्टाध्यक्ष श्री च्यांग ज मिन भी इसी विश्वविद्यालय के स्नातक भी हैं । उन्हों ने वर्ष 1995 में मातृ विद्यालय का दौरा करते समय यह आशा व्यक्त की कि शांघाई परीवाहन विश्वविद्यालय को दुनिया का चोटी वाला विश्वविद्यालय बनाया जाएगा ।

पर इस लक्ष्य तक कैसे पहुंचएगा , इस सवाल का उत्तर देते हुए श्री च्यांग वन च्वन ने बताया , सब से श्रेष्ठ विश्वविद्यालय बनने के लिये ये तत्व होना चाहिये यानी ,मिश्रित क्षमता , लचीलापन और अपनी विशेषता । इसलिये विश्वविद्यालय के प्रबंध का रुपांतर करना ही चाहिये । शांघाई परीवाहन विश्वविद्यालय ने देश में सर्वप्रथम प्रबंध व्यावस्था का रुपांतर शुरू किया था । मानव संसाधन विभागों का रुपांतर करने से अध्यापकों की क्षमता को उजागर किया गया है । पर शिक्षा रुपांतर में अपनी विशेषता कायम की जानी चाहिये , नहीं तो यह कार्य नहीं सफल रहेगा । शांघाई परीवाहन विश्वविद्यालय अनुसंधान दलों के प्रशिक्षण को बहुत महत्व देता है , और कुछ क्षेत्रों में विश्व के चोटी वाले अनुसंधानशालाओं की स्थापना करने का अथक प्रयास कर रहा है । शांघाई परीवाहन विश्वविद्यालय के स्नातक सब तकनीशियन हैं , पर उन के अध्ययन में कला व देशभक्ती संबंधी शिक्षा का बड़ा भाग होता है । छात्रों को तकनीक सीखने के अलावा देश की परंपरागत संस्कृति की जानकारी पानी ही होती है । चीन को ज्यादा से ज्यादा प्रतिभाएं चाहिये , पर प्रतिभाओं को आर्थिक विकास में अपने देश की सेवा करनी पड़ेगी ।

आजकल चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 16वीं कांग्रेस पेइचिंग में हो रही है । श्री च्यांग वन च्वन ने इस कांग्रेस की महत्वता की चर्चा में कहा कि अब चीन, पूर्ण रूप से खुशहाल समाज बनने के ऐतिहासिक काल में गुजर रहा है । पार्टी की कांग्रेस इसी ऐतिहासिक वक्त पर देश के विकास पर रणीति तैयार करेगी । श्री तंग श्याओ पींग ने मुक्त विचार और तथ्यों का समादर करने के सिद्धांत का अनुमोदन दिया । उन के विचारों का केंद्र यही है कि उत्पादन शक्ति को मुक्त कर आर्थिक विकास में गति दी जाए । श्री च्यांग ज मिन के मशहूर तीन प्रतिनिधित्व के विचार का केंद्र बढ़ते हुए युग के अनुरूप कर कदम उठाना है । इस का अर्थ है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी अपने विचारधाराओं का आगे विकास कर जटिल अंतर्राष्टीय व घरेलू स्थितियों का सामना करेगी । और इस का अंतिम लक्ष्य चीनी जनता को स्मृद्धि की ओर पहुंचाना है । पार्टी की 16वीं राष्टीय कांग्रेस का उद्देश्य कि देश के आर्थिक विकास में गति देकर शीघ्रता से जन जीवन को खुशहाल बनाया जाएगा ।