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(GMT+08:00) 2004-12-20 15:17:43    
तिब्बत में शिक्षा कार्य का ज़ोरदार विकास

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धर के सालों में चीन की केंद्रीय सरकार तिब्बत के शिक्षा कार्य के विकास का भारी समर्थन करती है, और भीतरी इलाके की चीनी जनता इस के लिए सक्षम व्यक्ति व भारी धन राशि मुहैया करती है । चीन सरकार ने वर्ष 1994 से ही तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों की सहायता के लिए भीतरी इलाकों के श्रेष्ठ कर्मचारी भेजे, अब भीतरी इलाके से श्रेष्ठ कर्मचारी को भेजने वाली नीति लागू हुए दस वर्ष हो चुका है और इन लोगों ने तिब्बत के विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए भारी योगदान किया, विशेष कर तिब्बत के शिक्षा कार्य पर उन्होंने ज़्यादा ध्यान दिया ।

पूर्वी चीन के शांगहाई शहर से आए शी वन छिंग तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के शिकाज़े प्रिफ़ैक्चर के यातुंग कांऊटी में काम करते हैं । या तुंग कम्युनिस्ट पार्टी कमेटी के उप सचिव की हैसियत से वे मुख्य तौर पर प्रसार प्रचार, संस्कृति व शिक्षा कार्य की देखरेख करते हैं । श्री शी वन छिंग ने शांगहाई के फ़ूतान विश्वविद्यालय के अधीनस्थ मिडिल स्कूल के प्रभारी थे और उन्हें शिक्षा क्षेत्र में काम करते हुए कोई 20 साल हो चुके हैं । इसलिए उन के विचार में शिक्षा का तिब्बत के विकास से घनिष्ठ संबंध होता है । श्री शी वन छिंग ने यह संकल्प किया कि वे तिब्बत की सहायता के लिए अपने तीन साल के कार्यकाल में या तुंग काऊंटी के शिक्षा कार्य के विकास को आगे बढ़ाने की कोशिश करेंगे । अपनी याजनानुसार वे भूतरी इलाके ,विशेष कर शांगहाई में वहां के उन्नतीशील शिक्षा तरीके व अनुभव सीखने के लिए हर वर्ष दस तिब्बती स्कूलों के प्रभारी व अध्यापक भेजेंगे और इस के साथ ही शांगहाई के अध्यापकों को या तुंग में पढ़ाने आने के लिए आमंत्रित करेंगे, और तिब्बत में शिक्षा की स्थिति सुधारने के सुझाव मांगेंगे । श्री शी वन छिंग ने कहा कि भविष्य में वे आधुनिक तकनीक का प्रयोग कर इन्टरनेट, दूर शिक्षा व सूचना शिक्षा के जरिए तिब्बत के शिक्षा कार्य के विकास को आगे बढ़ाने की कोशिश करेंगे । उन का विचार है कि तिब्बत अपनी विशेषता वाली शिक्षा का विकास करना चाहिए और उसे भीतरी इलाके की शिक्षा पद्धति में नहीं विलय होने देना चाहिए । उन्होंने कहाः

"शिक्षा के विकास की प्रक्रिया में मेरा एक विचार है कि जातीय विशेषता वाली चीज़ों को नहीं छोड़ा जाना चाहिए । तिब्बती जाति की परम्परा और श्रेष्ठ संस्कृति को बरकरार रखा जाना चाहिए । हमें ऐसी उम्मीद नहीं है कि नयी पीढ़ी के तिब्बती लोग हान जाति व आधुनिकीकरण से बंधे रहेंगे । मेरी आशा है कि तिब्बती जाति अपनी विशेषता बनाए रखेगी । क्यों कि सिर्फ़ जातीय चीजें ही विश्व की चीज़ मानी जाती है । "

इधर के वर्षों में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में भारी परिवर्तन आया है, विशेषकर शिक्षा कार्य न के बराबर होने से अब तक के पैमाने तक विकसित हुआ।

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी के रूप में ल्हासा का शिक्षा कार्य समूचे स्वायत्त प्रदेश की अग्रिम पंक्ति में है । वर्ष 2003 के अंत तक ल्हासा में कुल चार हाई स्कूल खुले है, जिन में विद्यार्थियों की संख्या 5534 है, 15 जुनियर मिडिल स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या 22035, और 103 प्राइमरी स्कूलों व संबंधित शिक्षा केंद्रों में कुल 49126 विद्यार्थी हैं । ल्हासा में प्राइमरी स्कूल की दाखिला दर 98.2 प्रतिशत है , जबकि जूनियर मिडिल स्कूल की दाखिला दर 93.22 प्रतिशत । वर्ष 2000 में ल्हासा शहर में सर्वतौमुखी तौर पर छै वर्षों की अनिवार्य शिक्षा के कार्य को अमली जामा पहनाया गया, और वर्ष 2003 में शहर समूचे तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में सब से पहले युवाओं में निरक्षरता मिटायी गयी, और सारे शहर में युवाओं की साक्षरता दर 95 प्रतिशत तक जा पहुंची । वर्ष 2004 के अगस्त माह में ल्हासा शहर में नौ वर्षों के अनिवार्य शिक्षा कार्य पर अमल किया गाय।

ल्हासा के शिक्षा व व्यापाम व्यूरो के प्रभारी च्या योंग सांगतिंग एक पुराने शिक्षा कार्यकर्ता हैं , जो कोई 30 सालों तक शिक्षा कार्य करते हैं । उन्होंने ल्हासा के शिक्षा के विकास को खुद देखा । मेरी मुलाकात में उन्होंने कहा कि ल्हासा का शिक्षा कार्य पुराने समय में नहीं के बराबर था । लेकिन इधर के वर्षों में भीतरी इलाके ,विशेषकर पेइचिंग शहर और च्यांग सू प्रांत की सहायता से ल्हासा का शिक्षा कार्य बहुत अच्छा हो गया । श्री च्या योंग सांगतिंग ने कहाः

"ल्हासा के शिक्षा कार्य ने न के बराबर होने से विकसित हो कर और छोटे से बड़े तक का रास्ता तय किया है । वर्ष 1959 में तिब्बत में लोकतांत्रिक सुधार से पहले तिब्बत में आधुनिक शिक्षा का नामोनिशान भी नहीं था । वर्ष 1952 में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने ल्हासा में प्रथम प्राइमरी स्कूल की स्थापना की, जिस के आज का नाम है ल्हासा प्रथम प्राइणरी स्कूल । सामाजिक व आर्थिक विकास के चलते ल्हासा का शिक्षा कार्य आधुनिक पैमाने पर विकसित हो गया । वर्ष 2004 के अक्तुबर में ल्हासा ने तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में सब से पहले दो स्तरीय परियोजनाओं को अमली जामा पहनाया , यानी बुनियादी तौर पर नौ वर्षो के अनिवार्य शिक्षा का लक्ष्य पाना और बुनियादी तौर पर युवाओं की निरक्षरता को मिटाना । इस से ल्हासा ने पश्चिमी चीन क्षेत्र में देश की संबंधित परियोजना से तीन साल पूर्व यह लक्ष्य प्राप्क किया, जो योजना के अनुसार वर्ष 2007 में पूरी की जाना है ।"

श्री च्यांग योंग सांगतिंग के अनुसार, इधर के वर्षों में भीतरी इलाके के सछ्वान, शानशी, छङ छिंग, शान तुंग, क्वो चो, युन्नान , ल्याओ निंग और कानसू आदि दसियों प्रांतों व केन्द्र शासित शहरों से आए सुयोग्य व्यक्तियों ने ल्हासा के शिक्षा कार्य के विकास में भारी योगदान किया । श्री च्या योंग सांगतिंग ने विश्वास किया कि लाह्सा शिक्षा का भविष्य जरूर और उज्ज्वल होगा । उन्होंने कहा कि ल्हासा में नौ वर्षों के अनिवार्य शिक्षा वाली परियोजना पर अमल किया गया और वर्ष 2007 में पूरे ल्हासा में बुनियादी तौर पर हाई स्कूल शिक्षा का लक्ष्य प्राप्त किया जाएगा ।

तिब्बती छात्रों के पढ़ने की आवाज़ से हमें महसूस हुआ कि उन्हें ज्ञान पाने की तीव्र जिज्ञासा है और उज्ज्वल भविष्य की गहरी अभिलाषा है । और हमें उम्मीद हैं कि तिब्बती बच्चों का भविष्य और उज्ज्वल होगा ।