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(GMT+08:00) 2004-12-16 20:47:17    
तिब्बत छिनहाई रेल मार्ग ---पहला भाग

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तिब्बत --छिनहाई रेल मार्ग का निर्माण सुगम हो रहा है । तिब्बत --छिनहाई रेल मार्ग उत्तर पश्चिमी चीन के छिनहाई प्रांत की राजधानी शीनींग शहर से आरंभ हो कर तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा तक पहुंच जाता है , जिस की कुल लम्बाई दो हजार किलोमीटर होगी । यह रेल लाइन वर्तमान विश्व की ऐसी सर्वप्रथम रेल लाइन है , जो सब से ऊंचे समुद्र सतह पर स्थित है और सब से लम्बा पठारी रेल मार्ग है । इस का आधा भाग समुद्र सतह से चार हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित होगा । तिब्बत छिनहाई रेल मार्ग के निर्माण वर्ष 2002 से शुरू हुआ है और योजना के अनुसार छै साल के बाद पूरा होगा । अब तिब्बत--छिनहाई रेल मार्ग के निर्माणदाता समुद्र सतह से चार हजार पांच सौ मीटर से पांच हजार मीटर ऊंचे प्रदेश तक पहुंचे हैं , वहां उन्हों ने ऊंचे पठार पर औक्सिजन के अभाव तथा ठंडा जमी भूमि की समस्याओं को दूर करने में सफलता प्राप्त की है ।

वर्ष 2002 की योजना समय से पहले पूरी हो चुकी है , इस के दौरान पांच अरब 32 करोड़ यवान की पूंजी लगाई गई , जो वार्षिक योजना से 32 करोड़ यवान अधिक है । फिलहाल रेल लाइन पर पटरी बिछाने का काम सुचालू रूप से हो रहा है , रोज औसतः एक किलोमीटर पर पटरी बिछाई जा सकती है । रेल निर्माण संस्थाओं ने निर्माण के तकनीक मापदंड का कड़ाई से पालन करते हुए निर्माण की क्वालिटी की गारंटी करने की कोशिश की । रेल मंत्रालय और संबंधित वैज्ञानिक अनुसंधान संस्था ने निर्माण कार्य का चौतरफा रूप से निरीक्षण किया । अब तक निर्माण कार्य की क्वालिटी ऊंचे स्तर की आंकी गई है और रेल मार्ग का आधार , रेल पुल तथा रेल सुरंगें सभी बेहतर स्तर पर बनाए गए है ।

पठार पर की पारिस्थितिकी की रक्षा के लिए चीन के संबंधित विभागों ने पर्यावरण संरक्षण और निगरानी पर जोर लगाया और पठारी पारिस्थितिकी को निर्माण कार्य के प्रभाव से ज्यादा से ज्यादा बचाने के लिए निर्माण संस्थाओं ने वहां की प्राकृतिक स्थिति , जंगली जीव जंतु , वनस्पति , जल मीटि के संरक्षण के सिलसिलेवार कारगर कदम उठाए । वर्ष 2003 में तिब्बत छिनहाई रेल मार्ग के निर्माण में पांच अरब 60 करोड़ यवान की राशि लगी और एक सौ नब्बे किलोमीटर की रेल लाइन बिछायी गयी । वर्ष 2003 तिब्बत छिंग-हाई रेल मार्ग के निर्माण के लिए एक अहम वर्ष है तथा निर्माण का काम और अधिक कठोर है ।

पहली कठिनाई यह है कि निर्माण का काम समुद्र सतह से और ज्यादा ऊंचे स्थान पर है , निर्माणदाताओं को चार हजार पांच सौ से पांच हजार मीटर तक की ऊंचाई पर काम करना है , ऐसी ऊंचाई पर ओक्सिजन का और अधिक अभाव है , जिस की मात्रा केवल औसत मात्रा के 52 से 56 प्रतिशत तक पहुंच जाती है । वहां रेल लाइन निर्जन तांगकू पर्वत से गुजरना पड़ेगी और भू-स्थिति बहुत जटिल है । लेकिन संबंधित निर्माणदाताओं ने परियोजना के डिजाइन को बेहतर कर नव तकनीक के सहारे इन समस्याओं को दूर करने की पूरी कोशिश की । निर्माण मजदूरों की संख्या बढ़ायी गयी और आपूर्ति में वृद्धि की गयी , भोतिक सप्लाई और स्वास्थ्य रक्षा के काम को पूरी तरह बेहतर किया गया , ताकि मजदूर अच्छे स्वास्थ्य के साथ निर्माण काम में जुट जाए ।

छींगहाई व तिब्बत के लोग इस रेल मार्ग का जोरशोर स्वागत करते हैं । क्योंकि इस रेल मार्ग के निर्माण से तिब्बत को मातृभूमि के दूसरे ईलाकों के साथ और घनिष्ठ रुप से जोड़ा जाएगा । तिब्बती जनता इस रेल मार्ग का निर्माण करने का फैसला लेने के लिये केंद्रीय सरकार को आभार करते हैं ।

इसी रेल मार्ग के दोनों तटों पर स्थित अनेक प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्रों , जंगली पशुओं के रहने वाले क्षेत्रों तथा सतत बर्फीले जमीनों की रक्षा के लिये निर्माणदाताओं ने बहुत से ठोस कदम उठाये हैं । चीनी पर्यावरण विभागों के एक संयुक्त जांच दल ने हाल ही में तिब्बत-छींगहाई रेल मार्ग के निर्माण के दौरान वहां के प्राकृतिक संरक्षण की स्थितियों की जांच की और सकारात्मक निष्कर्ष निकाला ।

तिब्बत-छींगहाई रेल मार्ग का निर्माण चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश तथा छींगहाई प्रांत के आर्थिक व सामाजिक विकास के लिये महत्वपूर्ण है । विश्व की छत नामक तिब्बत-छींगहाई पठार चीन की अनेक प्रमुख नदियों का स्रोत भी है । पर पठार की अति ऊंच्चाई , कम ओक्सिजेन , सर्दी और सूखापन आदि की वजह से , पठार पर की पारिस्थितिकी बहुत कमजोर है । इसलिये रेल मार्ग के निर्माणदाता बर्फीली जमीनों , नदियों के स्रोत के जल तथा जंगली पशुओं के रहने वाले क्षेत्रों की रक्षा को हमेशा महत्व देते हैं ।

चीनी राष्टीय पर्यावरण ब्यूरो के निरीक्षण विभाग के एक पदाधिकारी ने अपने जांच कार्य की जानकारी देते हुए इस बात को निश्चित किया कि रेल मार्ग के निर्माणदाताओं का पर्यावरण संरक्षण कार्य सुव्यवहारित है । मिसाल के लिये निर्माणदाताओं ने पठार पर के जंगली पशुओं की रहने की विशेषता के मुताबिक निर्माण के क्षेत्रों में विशेष पारने वाले रास्ते तैयार किये हैं । इस तरह तिब्बती कुरंग समेत स्थानीय जंगली पशुओं के जीवन पर रेल मार्ग के निर्माण से कुप्रभाव नहीं पड़ा है । तिब्बती कुरंग की ऐसी विशेषता है कि वह हर जून में मार्गों को पार कर एक निश्चित क्षेत्र में ब्याने जाता है , और सितंबर में पुराने क्षेत्र वापस जाता है । हम ने अपने सर्वेक्षण के जरिये तिब्बती कुरंग के आने जाने की स्थितियों को साफ किया है , और विशेष रास्ता खोलकर इस पशु के पारने की गारंटी की है ।