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(GMT+08:00) 2004-12-08 11:08:11    
चीन में तिब्बती भाषी पुस्तकों का संरक्षण

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इधर के सालों में चीन सरकार तिब्बती भाषी एतिहासिक पुस्तकों के संग्रहण , संकलन व प्रकाशन को अत्यन्त बड़ा महत्व देती है , जिस से बड़ी संख्या में मूल्यवान एतिहासिक पुस्तकों का पता लगाया गया और उन्हें प्रकाशित किया गया और चीन के तिब्बत विद्य अनुसंधान के लिए नई आधारभूत सामग्री प्रदान की गई है ।

चीन बहुजातीय एकीकृत देश है , चीन की 56 जातियों ने अपने लम्बे एतिहासिक काल के दौरान प्रचूर मात्रा में सभ्यता और संस्कृति का सृजन किया और अपने इतिहास को समृद्ध बनाया तथा बेशुमार ताताद में महत्वपूर्ण एतिहासिक ग्रंथावली और मौखिक कहानियां छोड़ कर रखी हुई है । ये प्राचीन पुस्तकें चीन की विभिन्न जातियों के एतिहासिक विकासक्रम , सांस्कृतिक सृष्टियों और आर्थिक विकास के लिए अमूल्य सामग्री प्रदान की जाती है । तिब्बती जाति चीनी राष्ट्र के महा परिवार का एक सदस्य है , उस ने एतिहासिक कालांतर में जो पुस्तकों का सृजन की थीं , उन की मात्रा , किस्में और विषयवस्तुएं चीन की 55 अल्पसंख्यक जातियों में सब से अधिक हैं ।

सूत्रों के अनुसार तिब्बती भाषी प्राचीन पुस्तकें चीन के 12 प्रांतों , स्वायत्त प्रदेशों और केन्द्र शासित शहरों में उपलब्ध हैं , और तिब्बत स्वायत्त प्रदेश तथा छिनहाई , सछवान , कानसू व युन्नान प्रांतों और पेइचिंग शहर में वे ज्यादा संख्या में सुरक्षित हैं । 1988 में प्राचीन तिब्बती पुस्तकों के संग्रहण व संकलन में एकीकृत नेतृत्व का एक दल कायम किया गया , जो प्राचीन तिब्बती पुस्तकों के संग्रहण , संकलन व प्रकाशन के काम को आगे बढ़ाने में क्रियाशील है । इस काम का देखरेख करने वाले चीनी राष्ट्रीय जातीय मामला आयोग के उप मंत्री श्री ली चेन ने कहाः

अपूर्ण आंकड़ों के अनुसार अब तक छै सौ किस्मों की प्राचीन तिब्बती पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है , बड़ी मात्रा में अमूल्य एतिहासिक दस्तावेजों का पता लगाया गया है और बहुत से एतिहासिक सामग्रियों की कमी की आपूर्ति की गई । खास कर तिब्बत के इतिहास के बारे में प्राप्त अहम एतिहासिक दस्तावेजों ने यह साबित कर दिया है कि तिब्बत चीन की पवित्र भूमि का एक अभिन्न भाग है ।

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में सब से अधिक मात्रा में प्राचीन तिब्बती पुस्तकें सुरक्षित हैं . 1985 से वहां प्रदेश में सुरक्षित प्राचीन पुस्तकों का संकलन और प्रकाशन शुरू किया । तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के समाज विज्ञान अकादमी ने एक प्रकाशन गृह भी स्थापित किया . इधर के सालों में तिब्बत में मूल्यवान , दुर्लभ और बिखरी हुई प्राचीन पुस्तकों को संगृहित और संकलित करने में उल्लेखनीय उपलब्धियां प्राप्त की हैं । प्रकाशित हुई एतिहासिक पुस्तक राजा केसार की कहानी और तिब्बती बौद्ध धर्म की पुस्तक कांजूर आदि विज्ञानिक अध्ययन का ऊंचा मूल्य रखती है ।

1998 में चीन की अल्पसंख्यक जातियों की प्राचीन पुस्तकों की नामसूची का संपादन आरंभ हुआ है , इस सूची में चीन की सभी 55 अल्पसंख्यक जातियों के भाषण ,कला साहित्य , इतिहास , दर्शन शास्त्र , राजनीति तथा अर्थव्यवस्था का उल्लेख किया गया । योजना के अनुसार यह विशाल कोष 2008 में पूरा कर प्रकाशित किया जाएगा । इस सूची कोष में तिब्बती पुस्तकों का संकलन सब से ज्यादा है , अब तक ही इस के तीन लाख अंक बनाये जा चुके हैं ।

प्राचीन तिब्बती पुस्तक संकलन नेतृत्व दल के उप नेता तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की समाज विज्ञान अकादमी के प्रभारी श्री छीवांच्येनवान ने इस की चर्चा करते हुए कहाः

फिलहाल विभिन्न जगहों में तिब्बती पुस्तकों को ग्रंथावली बनाने का काम चल रहा है पूरे देश की दृष्टि से यह काम काफी तेजी से हो रहा है । हम ने दस साल की योजना बनाई है यानी 1998 से 2008 तक चीन की अल्पसंख्यक जातियों की प्राचीन पुस्तकों की सूची का तिब्बती पुस्तकों का संकलन व प्रकाशन काम पूरा किया जाएगा ।

अपूर्ण आंकड़ों के अनुसार अब चीन में जो प्राचीन तिब्बती पुस्तकें प्रकाशिक हुई हैं , वे इतिहास , धर्म , भाषण , लिपि , साहिथ्य , दर्शन शास्त्र , कानून , चिकित्सा , खगोल , भौतिक शास्त्र तथा शिल्प आदि अनेकों विषयों से जुड़ी हुई हैं । प्राचीन पुस्तकों के अनुसंधान में प्राप्त शानदार कामयाबियों से तिब्बती जाति की श्रेष्ठ संस्कृति का भी जोरदार विकास किया गया है ।