इधर के सालों में तिब्बत अपने पास पड़ोसी के देशों व क्षेत्रों के साथ आर्थिक व व्यापारिक आवाजाही बढ़ाता जा रहा है ।
तिब्बत चीन के दक्षिण पश्चिमी सीमावर्ती क्षेत्र में स्थित है , जो नेपाल, भूतान और भारत आदि देशों से जुडा हुआ है । इधर के वर्षों में तिब्बत में आर्थिक विकास के चलते उस का अपने पास पड़ोस के देशों के साथ व्यापार व सहयोग ज्यादा बढ़ता रहा । कुछ समय पूर्व चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में तिब्बत और पड़ोसी देशों के बीच व्यापार व विकास संबंधी अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी राजधानी ल्हासा में आयोजित हुई ।
इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य आर्थिक भूमंडलीकरण और विश्व व्यापार संगठन में चीन की भागीदारी की पृष्ठ भूमि में, चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश और अपने
पास पड़ोस के देशों के बीच आर्थिक व व्यापारिक सहयोग को बढ़ाना और मिल कर समृद्धि प्राप्त करना है ।
चीन, भारत, नेपाल, पाकिस्तान, बंगलादेश तथा म्येंमार आदि देशों के सौ से ज्यादा प्रतिनिधियों ने इस दो दिवसीय संगोष्टी में भाग लिया, और संबंधित विभागों व व्यापारियों के बीच मुख्य तौर पर तिब्बत के साथ पारस्परिक व्यापार को बढ़ाना, सांस्कृतिक संरक्षण करना तथा अनवरत पर्यटन विकास करना जैसे विषयों पर विचारों का आदान प्रदान किया ।
चीन स्थित संयुक्त राष्ट्र विकास योजना के प्रतिनिधि श्री मालिक ने तिब्बत में इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के आयोजन पर संतोष व्यक्त किया । उन्होंने कहा कि पर्यटन उद्योग को तिब्बत का प्रमुख उद्योग माना जाता है । हर वर्ष कोई दस लाख से अधिक पर्यटक तिब्बत आए हैं , जिन में 10 प्रतिशत विदेशी पर्यटक हैं । श्री मालिक का विचार है कि तिब्बत को पर्यटन का अनवरत विकास करना चाहिए । उन्होंने कहा कि तिब्बत में पर्यटन उद्योग को आगे बढ़ाने के साथ साथ प्राकृतिक सौंदर्यों व एतिहासिक धरोहरों की रक्षा करना तथा सांसकृतिक विविधता को बनाए रखना चाहिए । तिब्बत में आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी की चर्चा में श्री मालिक ने कहा
"वर्तमान में तिब्बत के सीमा व्यपार की कुल रक्म 10 करोड़ 12 लाख अमरीकी डालर तक पहुंच गयी । वर्ष 2000 के व्यापार में तिब्बत के सीमा व्यापार की दर तिब्बत के व्यापार की कुल रक्म की 83 प्रतिशत रही । इस से तिब्बत के सीमा व्यापार की भारी निहित शक्ति स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है । अगर अच्छे प्रबंध किया जाए, तो क्षेत्रीय सहयोग व सीमा व्यापार के विकास से इस क्षेत्र में आबाद विभिन्न देशों की गरीब जनता के लिए आर्थिक अवसर प्रदान किया जा सकेगा ।"
श्री के.पी.वी. नायर कोलकात्ता से इस संगोष्ठी में भाग लेने के लिए तिब्बत आए । वे अकसर तिब्बत के साथ मसाला , चाय, तेल आदि का व्यापार करते हैं । उन्होंने इस संगोष्ठी के आयोजन का हार्दिक स्वागत किया , और कहा कि इस से तिब्बत और भारत के बीच सीमा व्यापार के अलावा, अन्य क्षेत्रों में भी ज्यादा से ज्यादा व्यापार किया जा सकेगा । इस संगोष्ठी की चर्चा में उन्होंने कहा
श्री के.पी.वी.नायर
ल्हासा में आयोजित तिब्बत और पड़ोसी देशों के बीच व्यापार व विकास की इस दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी बहुत सफल रही । संगोष्ठी में विभिन्न देशों से आए प्रतिनिधियों ने अपने देश की स्थिति के मुद्देनज़र बहुपक्षीय आर्थिक व व्यापारिक सहयोग के सामने मौजूद गंभीर स्थिति व सवालों पर गहन रूप से विचारों का आदान प्रदान किया, और आर्थिक भूमंडलीकरण और विश्व व्यापार संगठन में अपनी भागीदारी के पृष्ठ भूमि में, व्यापार नीति, व्यापार व विकास के संबंध की मज़बूती, दक्षिण दक्षिण सहयोग व क्षेत्र के उभय आर्थिक विकास को बढ़ावा, व्यापारिक ढांचे व व्यापारिक विकास की रणनीति तथा सेवा व्यापार, पारिस्थितिकी पर्यटन और सांस्कृतिक अवशेषों की रक्षा आदि पांच विषयों पर विशेष रूप से विचार विमर्श किया ।
तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के उपाध्यक्ष शे श्वे ची ने संगोष्ठी के समापन समारोह में भाषण देते हुए संगोष्ठी का उच्च मुल्यांकन किया । उन्होंने कहा कि इस संगोष्ठी के आयोजन से चीन के तिब्बत और विश्व के अन्य देशों विशेष कर पड़ोसी देशों के साथ सहयोग व आदान प्रदान को और आगे बढ़ाया जाएगा । उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि पास पड़ोस के देशों के साथ व्यापार बढ़ाने के माध्यम से तिब्बत विश्व के बारे में और ज्यादा जानकारी पा सकेगा, और पड़ोसी देशों के साथ पारस्परिक लाभ के आधार पर आर्थिक व व्यापारिक आवाजाही व सहयोग की गति दी जाएगी, तो तिब्बत व अपने पड़ोसी देशों के साथ समान रूप से विकसित व समान रूप से समृद्ध हो जाएंगे ।
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