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(GMT+08:00) 2004-12-06 16:17:30    
पेइचिंग ऑपेरा की मशहूर अभिनेत्री चाओ बाओ श्यो

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कुछ समय पूर्व पेइचिंग में प्रदर्शित सिंफ़नी के मेल वाले पेइचिंग ऑपेरा मेई लान फ़ांग को बहुत सफलता मिली । पश्चिमी सिंफ़नी और पेइचिंग ओपेरा के मेल वाली इस विशेष प्रस्तुति ने चीनी दर्शकों को एक नया अनुभव प्रदान किया। इस में वर्तमान चीन के पेइचिंग ऑपेरा जगत के स्रर्वश्रेष्ठ अभिनेता व अभिनेत्री शामिल हुए। पेइचिंग ऑपेरा की अभिनेत्री चाओ बाओ श्यो भी इन में थीं।

पेइचिंग ऑपेरा का एक अंश

अभी आप ने सुना चाओ बाओ श्यो द्वारा प्रस्तुत सिंफनी के मेल वाले मिश्रित पेइचिंग ओपेरा मेई लान फ़ांग का एक अंश। शायद आप को मालूल होगा कि मेई लान फ़ांग चीन के पेइचिंग ऑपेरा के बहुत मशहूर कलाकार रहे। उन्होंने पेइचिंग ऑपेरा के विकास व प्रचार में भारी योगदान किया। सिंफ़नी के मेल वाले पेइचिंग ऑपेरा मेई लान फ़ांग में चाओ बाओ श्यो ने मेई लान फ़ांग की सास की भूमिका निभाई। प्रस्तुति के दौरान उन्होंने अपनी सुरीली आवाज़ व प्रभावशाली प्रदर्शन से दर्शकों की वाहवाही भी लूटी।

पेइचिंग ऑपेरा चीन की राष्ट्रीय ऑपेरा माना जाता है। इस में विभिन्न पात्र लिंग, आयु, हैसियत तथा स्वभाव से विभाजित रहते हैं। चाओ बाओ श्यो पेइचिंग ऑपेरा में विशेष तौर पर बूढ़ी स्त्री या लाओ तान का अभिनय करती हैं। पेइचिंग ऑपेरा में लाओ तान मुख्य पात्र नहीं होता और इसे निभाने वाले अभिनेता व अभिनेत्री को आम तौर पर मशहूर होने के अवसर बहुत कम मिलते हैं, लेकिन चाओ बाओ श्यो वर्तमान पेइचिंग ऑपेरा जगत की ऐसी लाओ तान हैं , जो समूचे देश में बड़ी मशहूर हैं। उन्होंने लाओ तान की मुख्य भूमिका वाले नाटक भी रचे और उन में अभिनय भी किया और भारी सफलता प्राप्त की। पेइचिंग ऑपेरा में लाओ तान जैसे पात्र के अभिनय क्षेत्र का विस्तार करने में सुश्री चाओ बाओ श्यो ने महत्वपूर्ण योगदान किया, इसलिए उन्हें चीनी ऑपेरा जगत के सर्वोच्च पुरस्कार मेई ह्वा पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया।

पेइचिंग ऑपेरा मंच पर एक कम महत्व वाले पात्र को चमकदार बनाने की चर्चा में सुश्री चाओ बाओ श्यो ने कहा

"अगर आप पेइचिंग ऑपेरा के श्रेष्ठ अभिनेता या अभिनेत्री बनना चाहते हैं, तो आप को इसके लिए आम लोगों से कहीं ज्यादा कोशिशें करनी चाहिए। पेइचिंग ऑपेरा ऐसी कला है, जिसमें वर्षों की कोशिशों के बाद कोई नतीजा निकलता है। इसलिए हमें पूरी संजीदगी से शुरुआत करनी चाहिए। लोग मुझ से पूछते थे कि मैं कैसे पेइचिंग ऑपेरा के मंच पर चमकी ? पहले मैं इस सवाल का उत्तर नहीं दे पाती थी। पर अनुभव बढ़ने के साथ मैंने इस सवाल पर कई बार सोचा तो मुझे लगा कि इसे मेरी दसियों वर्षों की कोशिशों से अलग करके नहीं रखा जा सकता। मैं वर्षों से लाओ तान के चरित्र का अनुसंधान करती रही हूँ और इसे महसूस करती रही हूँ । इसी से मुझे आज जैसी सफलता हासिल हुई। मेरा विचार है कि यह एक बहुत सरल सी बात है, लेकिन इस सरलता के पीछे भारी अकेलापन भी है।"

56 वर्षीय चाओ बाओ श्यो पेइचिंग की निवासी हैं। उन के मां-बाप को भी पेइचिंग ऑपेरा पसंद था। इसलिए बचपन से ही चाओ बाओ श्यो पेइचिंग ऑपेरा की बड़ी शौकीन बन गईं। उन के दिमाग में अपने पिता की चांदनी में पेइचिंग ऑपेरा गाने वाली छवि अब भी मौजूद है। बचपन में बोआ श्यो कभी -कभार मां के साथ थिएटर जाकर पेइचिंग ऑपेरा भी देखती थीं और तभी उन्हें मंच पर सुन्दर कपड़े पहने रहने वाली खूबसूरत अभिनेत्रियां पसंद आने लगी थीं। जब पेइचिंग ऑपेरा देखने के बाद वे घर लौटतीं तो उन अभिनेत्रियों की नकल कर नाचती गातीं। 11 वर्ष की उम्र में चाओ बाओ श्यो ने पेइचिंग ऑपेरा स्कूल में दाखिला लिया और औपचारिक तौर पर पेइचिंग ऑपेरा सीखने लगीं। पेइचिंग ऑपेरा स्कूल में प्रवेश करने के बाद नन्ही बाओ श्यो को अपनी इच्छा के विपरीत लाओ तान की भूमिका करनी पड़ी। यह नन्ही बाओ श्यो की इच्छा की सुन्दरी के पात्र से कहीं दूर था। इसलिए तब बाओ श्यो दुख से रोई भी और लाओ तान की भूमिका न सीखने की चाह भी रखी थी। लेकिन उन के अध्यापकों के विचार में चाओ बाओ श्यो की आवाज़ बहुत अच्छी थी, जो उन्हें लाओ तान के बहुत अनुकूल लगी। अध्यपकों की प्रेरणा से नन्ही बाओ श्यो ने एक साल तक लाओ तान के पात्र का अभ्यास किया और दूसरे साल उन का लाओ तान के प्रति विचार एकदम बदल गया । इस की याद करते चाओ बाओ श्यो ने कहा

"मेरी लाओ तान के पात्र में रुचि बाद में जगी? जब में इस पात्र का अभ्यास करने के दूसरे साल में थी, तो एक बार मैं ने पेइचिंग ऑपेरा "वीर य्वे फ़ेई की मां "में इस वीर की मां का अभिनय किया। मैंने मंच पर वाद्य के बिना गाया और दर्शकों ने खूब तालियां बजायीं । इससे मुझे बहुत प्रेरणा मिली और यह बहुत आनंदमय लगा। इस के बाद ही मैंने लाओ तान का पात्र स्वीकार किया। "

लेकिन कला का रास्ता आसान नहीं था। पेइचिंग ऑपेरा सीखना बहुत कठिन है। अभिनेताओं व अभिनेत्रियों को छोटी आयु से ही कठोर शारीरिक द्रेनिंग करनी पड़ती है। एक साधारण बच्चे के लिए यह बहुत कठिन होता है कि वह इस पर डटा रहे। पर चाओ बाओ श्यो इस रास्ते पर डटी रहीं और 19 वर्ष की उम्र में पेइचिंग ऑपेरा स्कूल से स्नातक भी हुईं ।