चीन एक बहुजातीय देश है। चीन में हान जाति के अलावा, मंगोल, ह्वी, तिब्बती, उइगुर, म्याओ,यी आदि 55 अल्पसंख्यक जातियां भी रहती हैं। चीन की इन अल्पसंख्यक जातियों को गायन व नृत्य बहुत पसंद है और उन्होंने कई गायक भी पैदा किये हैं। आज के इस कार्यक्रम में मैं आप को चीन के ऐसे गायकों द्वारा गाए लोकगीत सुनवाऊंगी। इन से आप चीनी अल्पसंख्यक जातियों के जीवन की झलक भी पा सकेंगे।
गुणगान गीत
इस समय आप सुन रहे है चीन की मंगोल जाति के गायक ला सू रोंग द्वारा गाया गीत। इस में चीन की महानता का गुणगान किया गया है। मंगोल जाति मुख्य तौर पर उत्तरी चीन के विशाल घास मैदान में बसी है और उसका मुख्य धंधा पशुपालन है। मंगोल जाति के लोग गीत गाने में निपुण हैं। उनके लोकगीत लम्बी व छोटी तानों में विभाजित हैं। छोटी तान वाले लोकगीत तेज़ ही नहीं आनंदमय होते हैं और मुख्य तौर पर मंगोल कृषि क्षेत्र में प्रचलित हैं, जबकि लम्बी तान वाले बहुत प्रभावशाली होते हैं। मंगोल चरवाहे विशाल घास मैदानें में ऐसे गीत गाकर अपने दिल की भावना व्यक्त करते हैं।
ला सू रोंग मंगोल जाति के मशहूर गायक हैं।घास मैदान में उन की आवाज़ को और विस्तार मिला है। एक चरवाहे के पुत्र ला सू रोंग मंगोल जाति के लम्बी तान वाले लोकगीत गाने में निपुण हैं। अब सुनिए उनका गाया एक ऐसा गीत , नाम है "चरवाहे का गीत"।
गीत कहता है
नीले आसमान में उड़ते हैं सफेद बादल
सफेद बादलों के नीचे चरते हैं बकरियों के झुंड
बकड़ियों के झुंड हैं सफेद बर्फ जैसे
घास मैदान में बिखरे लगते हैं कितने प्यारे
चीन की मंगोल जाति के गायक ला सू रोंग का गाया "चरवाहे का गीत"लम्बी तान वाला लोकगीत है।
कोरियाई जाति उत्तर-पूर्वी चीन में बसी हुई है। यह भी गायन-नृत्य को खूब पसंद करती है। कोरियाई जाति के अनेक प्राचीन लोकगीत अब तक लोकप्रिय हैं। फांग छू शान कोरियाई जाति की गायिका है और कोरियाई जाति समेत सभी चीनी लोगों द्वारा पसंद की जाती हैं । उनकी आवाज़ बहुत मीठी ही नहीं है,जातीय विशेषता भी लिये हुए है। सुनिए फांग शू शान द्वारा चीनी व कोरियाई भाषाओं में गाया गया कोरियाई लोकगीत "आ ली लांग"। गीत में तेज़ व मधुर धुन से कोरियाई जाति के लोगों के सुखमय जीवन की अभिव्यक्ति होती है।
गीत का भावार्थ कुछ इस प्रकार है
मैं चढ़ रही हूँ आ ली लांग पहाड़ पर
नीले आसमान में चमक रहे हैं सितारे
सुखमय जीवन में होते हैं गीत
मुझे अपने जीवन से प्यार है
आ ली लांग के खुशी भरे गीत हों ज्यादा से ज्यादा
उत्तर-पश्चिमी चीन के शिंग च्यांग उइगुर स्वायत्त प्रदेश में रहने वाली उइगुर भी गायन-नृत्य से प्रेम करने वाली जाति है। उइगुर जाति के लोग बहुत जोशीले हैं और मेहमाननवाज भी। त्योहार हो या खुशी का कोई और मौका उइगुर लोग हर पल गाते-नाचते बिताते हैं।
चीन के सुप्रसिद्ध गायक क्रिमू उइगुर जाति के हैं। उत्तर-पश्चिमी चीन के थ्येन शान पहाड़ की तलहटी में एक संगीत परिवार से जन्मे क्रिमू को अपना जातीय संगीत बहुत पसंद है। अपने लंबे कला जीवन को क्रिमू ने उइगुर जाति की गायन-नृत्य के परम्परा के आधार पर विकसित किया । उन्होंने बड़ी संख्या में उइगुर जातीय विशेषता वाले गीत रचे और गाए। क्रिमू की गायन शैली विशेष है। उन्होंने उइगुर जाति के आनंद को अपनी नृत्य कला में प्रवेश कराया, गाते समय वे नाचते भी हैं। इस से दर्शक गीत सुनने के साथ उनके मज़ेदार नृत्य का आनंद भी उठा सकते हैं। इसलिए भी क्रिमू को चीनी संगीतप्रेमी बहुत पसंद करते हैं। सुनिए उइगुर गायक क्रिमू द्वारा गाया गीत, नाम है "खुर्बान चाचा तुम कहां जाते हो"। इस गीत में खुर्बान चाचा लड़कियों के प्रश्नों के उत्तर में उइगुर जाति और वहां तैनात चीनी मुक्ति सेना की भावना व्यक्त करते हैं।
"खुर्बान चाचा तुम कहां जाते हो"
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