वैशाली बिहार के कुमार जय वर्द्धन ने हमें लिखे पत्र में कहा कि दिनांक 9 अगस्त 2004 का कार्यक्रम सुना । चीन का भ्रमण कार्यक्रम के तहत ताली के निकट स्थित मशहूर तितली झरने के तट पर तितलियों के बारे में बड़े सुन्दर ढंग से बतलाया गया । मुझे ऐसा लग रहा था , मानो मैं भी आप के साथ तितली झरने पर तितलियां देख रहा हूं । सुन्दर प्रस्तुति के लिए धन्यावाद ।
सुलतानपुर उत्तर प्रदेश के मधु द्विवेदी ने जो पत्र भेजा है , उस में कहा गया है कि मैं आप की नियमित श्रोता हूं , जब सुन इंग दीदी कार्यक्रम पेश करती थी , उन की आवाज से मोती झड़ती थी । अब उन्ही की आवाज की वारिस बनी चाओ हवा दीदी , क्योंकि इन की आवाज सुन इंग दीदी जी से काफी मिलती जुलती है , इसलिए उन को सुनती हूं , तो लगता है कि सुन इंग दीदी बोल रही हो । सुनइंग दीदी के हाथों से लिखा पत्र मेरे पास रखा है , जिस की यादगार तोहफा के रूप में संजो कर रखा है ।
रोरकेला उड़ीसा के आकुब नेहल खान ने हमें पत्र भेज कर कहा कि मैं आप के नियमित श्रोताओं में से हूं और हमेशा पत्र भी लिखता हूं । आप लोगों द्वारा हमें जवाब भी मिलता है , लेकिन कई सप्ताह से मेरा कोई पत्र प्रोग्राम में नहीं लिया गया , जिस से मुझे बहुत निराशा हुई ।
मेरी अभी बी .ए फस्ट की परीक्षाएं चल रही है , लेकिन मैं फिर भी थोड़ा समय निकाल कर प्रोग्राम और खबरें सुन ले रहा हूं । आप के प्रोग्राम सुन कर मन में ताजगी आ जाती है और एक्जाम का टेन्शन कम हो जाता है । 26 अगस्त को प्रोग्राम जीवन और समाज सुनने का अवसर मिला और यह जान कर बहुत खुशी हुई कि चीन सरकार छोटे व्यापारियों की बहुत मदद करती है और छोटे उद्योगों पर भी ध्यान देती है , इसी कारण आज चीन के उत्पाद पूरी दुनिया में मशहूर है ।
आकुब नेहल खान जी , यह जान कर हमें बड़ी खुशी हुई है कि अपनी परीक्षाएं चलने के समय भी आप समय निकाल कर रेडियो प्रसारण सुनते हैं , इस से जाहिर है कि आप को रेडियो प्रसारण में बड़ा लगाव है और इस से आप को कुछ जानकारी भी अवश्य मिलती है । आप का पत्र कार्यक्रम में शामिल किया जाने पर विश्वास है कि आप की निराशा आशा में बदल आयी है । सी . आर .आई से गहरे प्यार के लिए आप को कोटि कोटि धन्यावाद । हमारी हार्दिक कामना भी है कि आप पढ़ाई में हमेशा अच्छी अच्छी उपलब्धियों के साथ रहें ।
दरभंग बिहार के राकेश कुमार रौशन ने सी .आर .आई के नाम भेजे पत्र में यह लिखा है कि हम सभी मित्रगण यहां कुशलपूर्वक है , आशा के साथ पूर्ण विश्वास है कि चीन की बगिया के चमकते सितारों की तरह चमक रहे होंगे ।
पत्र लिखने का कारण यह है कि हम सभी अभी अभी बाढ़ के विभिषिका से बाहर निकले हैं . कामनिकेशन का सारा साधन समाप्त ही चुका है , ट्रेन व्यवस्था समाप्त और फोन डिड हुआ । अब पत्र आना बहाल हो गया है .
बाढ़ में मात्र रेडियो ही सहारा है , बिजली गुल ही चुकी है । निकट समय आने की कोई संभावना नहीं है , हम सभी बाढ़ में चारों तरफ से घिरे हैं , धीरे धीरे बाढ़ का पानी कम रहा है , मगर यह बाढ़ काफी भयानक और आपदापूर्ण थी । काफी तबाही हुई ।
हम सब अभी समय निकाल कर कभी कभी ही कार्यक्रम सुन पा रहे हैं , आप की रिशेप्सन काफी स्पष्ट है ।
राकेश कुमार रौशन का यह पत्र पढ़ कर हमारे पास कुछ कहने के लिए शब्द नहीं ढूंढ पाता है , प्राकृतिक प्रकोप से मानुष्य कभी कभार असहाय और कमजोर लगता है , पिछले दिनों बिहार में आई भयानक बाढ़ से बहुत से लोगों का जीवन अस्त व्यस्त हो गया था , साजोसामान की भारी तबाही हुई थी , पर उन का मनोबल नहीं हारा , बाहर की खबरें लेने के लिए वे रेडियो प्रसारण का सहारा लेते रहे, विश्वास होना चाहिए कि जीवन निश्चय ही पुनर्वास में आएगा । हम राकेश कुमार रोशन को तहेदिल से धन्यावाद देते हैं कि आप संकट के समय भी सी .आर .आई का हिन्दी प्रसारण सुनते हैं और हमें यह पत्र भी लिख कर भेजा है । हम आप का यह प्यार कभी नहीं भूलेंगे । हमारी शुभकामना है कि आप और आप के परिवार, रिश्तेदार और मित्र हमेशा हमेशा कुशल रहें और प्राकृतिक आपदों पर विजय पा कर नए जीवन का निर्माण करने में सफल रहें ।
सुलतानपुर उत्तर प्रदेश के देव नारायण द्विवेदी ने हमें लिख कर यह बताया कि मेरी उम्र 70 साल है , फौज में 28 वर्ष सेवा करके 1986 में सूबेदार पद से सेवा निवृत्ति हुई । मैं पहले नियम से 1960 में बी बी सी सुना करता था , यह एस .डब्ल्यु में मेरा एकमात्र प्यारा स्टेशन हुआ करता था । 1996 में जब सी .आर .आई को पहली बार अपने पुत्र अनिल कुमार द्विवेदी से यह जाना कि सी . आर. आई हिन्दी कार्यक्रम आता है , तो सी .आर .आई सुना , अब मेरा सब से पसंदीदा रेडियो स्टेशन चाइना रेडियो इंटरनेशनल है । मैं अन्य केन्द्र चाहे सुनूं या न सुन सकूं , पर सी .आर .आई न सुन सकता , तो मेरा पूरा दिन खराब हो जाता था । परन्तु अब तो चार प्रसारण में कोई भी सुन सकता हूं । मैं मित्र रेडियो श्रोता संघ का संपर्क अधिकारी नियुक्त हूं । मैं कार्यक्रम सुना करता हूं , किन्तु पत्र मेरा कम ही जाता है , फिर भी उम्मीद लगाए रहता हूं कि मेरे हर पत्र का उत्तर उत्साहपूर्ण मिलेगा ।
देव नारायण द्विवेदी जी , हम आप का हार्दिक स्वागत करते हैं , आप और आप के सुपुत्र दोनों हमारे नियमित श्रोता हैं और हमारे प्रसारण को बहुत ही पसंद करते हैं , यह हमारे लिए एक बड़ी प्रेरणा है । हमें पक्का विश्वास है कि हमारे बीच यह दोस्ती जरूर बढ़ती जाएगी और हमारे और आप के परिवार के संपर्क हमेशा बने रहेगा । हमारी हार्दिक कामना है कि आप दीर्घआयु रहें और आप के परिवार सुखमय और खुशहाल रहें ।
|