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(GMT+08:00) 2004-11-25 15:24:33    
हेमोपोइटिक स्टेम सेल या रक्त निर्माण कोशिका के बारे में

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शायद आप भी अंग्रेजी के शब्द हेमोपोइटिक स्टेम सेल से परिचित न हों । पर आजकल चीन में इस से जुड़ी कई रिपोर्टें सुनने-पढ़ने में आ रही हैं। इस कोशिका का इस्तेमाल ल्यूकेमिया यानी रक्त के कैंसर तथा एनीमिया या खून की कमी के इलाज में किया जाता है । रक्त के कैंसर तथा कमी के बहुत से रोगी इस अमूल्य कोशिका का अब भी इंतजार कर रहे हैं। पर यह कोशिका सिर्फ मानव की मज्जा तथा नवजात शिशु की नाल से ही हासिल की जा सकती है। जाहिर है इस की प्राप्ति मुख्य तौर पर लोगों के स्वेच्छा मज्जा दान पर निर्भर करती है। चीन में बहुत से लोग रक्त के कैंसर या कमी से ग्रस्त हैं। रक्त के कैंसर के रोगियों की संख्या चीन में चार प्रति लाख है और दस लाख रोगियों का इलाज इस कोशिका पर निर्भर करता है। विशेष रोगी के इलाज के लिए विशेष कोशिका की जरूरत होती है। उदाहरण के लिए रक्त के कैंसर के रोगी के इलाज में केवल वही कोशिका प्रयोग की जा सकती है, जिस का एंटीजन रोगी के एंटीजन जैसा हो। इस का मतलब हुआ कि रोगी के घनिष्ठ रिश्तेदारों की ऐसी कोशिका उसके इलाज के लिए अनुपयोगी भी हो सकती है। अनुसंधानों से पता चला है कि सगे भाइयों-बहनों में केवल एक चौथाई रक्त निर्माण कोशिकाएं समान होती हैं और संबंधियों से परे लोगों में यह अनुपात केवल एक प्रति हजार होता है। रक्त के कैंसर की रोगियों की मदद के लिए चीन समेत अनेक देशों ने इसलिए विशेष कोशिका बैंक स्थापित किये हैं। चीन सरकार ने भी ऐसे कोशिका बैंक के निर्माण पर बीस करोड़ युवान की पूंजी लगायी और बहुत से रोगियों को इससे लाभ पहुंचा। चीन के रक्त निर्माण कोशिका बैंक में कार्यरत एक अधिकारी श्री ल्यू के अनुसार आज इस चीनी बैंक की पूरे देश में 28 शाखाएं हैं और अब तक सौ से अधिक रोगियों को इसकी सेवा से लाभ प्राप्त हो चुका है। बैंक न केवल देश के भीतर बल्कि विदेशों में रह रहे रोगियों को भी सेवा प्रदान की है। पर चीनियों में कितने लोग हैं , जो अपनी ये विशेष कोशिकाएं दान करना चाहते हैं और ऐसा करने से उनके शरीर को कोई क्षति तो नहीं पहुंचती ? लोगों में इसे ले कर कई आशंकाएं हैं। दक्षिणी चीन के चूंगछींग विश्वविद्यालय की एक छात्रा ने हाल ही में अपनी ऐसी कोशिका दान में दी, जिस से अमेरिका में रह रहे एक 43 वर्षीय चीनी प्रवासी की जान बचा ली गयी। इस छात्रा ने अपनी कहानी सुनाते हुए कहा, मैं चिकित्सा कालेज में पढ़ रही हूं। मुझे पक्का विश्वास है कि इस कोशिका के दान से कोई शारीरिक क्षति नहीं होती। नवीनतम अनुसंधान के अनुसार नवजात शिशु की नाल में भी रक्त निर्माण कोशिकाएं जमा रहती हैं। इसलिए बहुत से चीनी मां-बाप अपने नवजात बच्चों की नाल को चीनी रक्त निर्माण कोशिका बैंक में जमा कराने ले जा रहे हैं। अगर उन के बच्चों को बाद में रक्त के कैंसर या कमी का शिकार होना पड़ा तो वे इससे मिली कोशिकाओं का उपयोग कर सकेंगे। पूर्वी चीन के थिएनचिन शहर में निर्मित एक ऐसे कोशिका बैंक में तीन लाख बच्चों की नालों से मिली कोशिकाएं सुरक्षित कर ली गई हैं। इस बैंक के प्रधान ने कहा कि उनका बैंक जीन बैंक कहलाता है। बैंक निरंतर अपने तकनीकी स्तर को उन्नत करने के लिए उसमें और पूंजी लगाने और नये उपकरणों का आयात करने के कदम उठा रहा है। फिर इस से संबंधित रक्तदान के बारे में कुछ जानकारियों पर निगाह रखें । पता चला है कि वर्ष दो हजार तीन तक चीन में चिकित्सा उपयोगी रक्त का 85 प्रतिशत भाग ऐसे रक्तदान से ङी आया। इसके लिए चीन सरकार और उसके संबंधित विभागों ने रक्तदान के बारे में नागरिकों की अंधविश्वास को दूर करने के लिए भिन्न-भिन्न माध्यमों से प्रचार किया। विज्ञान के अनुसार एक उचित सीमा तक रक्त दान करने से शरीर को कोई क्षति नहीं पहुंचती है। यह जानकारी लोगों को स्वेच्छा से रक्तदान करने के लिए प्रेरित करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण थी । इधर चीन की स्थानीय सरकारों के कार्यकर्ताओं ने भी खुद रक्त दान कर आदर्श कायम किया और सरकार रेडियो और टी वी आदि के जरिये ऐसे रक्तदान का प्रचार करती रही। इस के अलावा चीन के मशहूर फिल्म सितारों आदि ने भी रक्तदान के प्रचार में भारी भूमिका अदा की। सरकार की इन कोशिशों ने नागरिकों को खासा प्रभावित किया है। समाज का रक्तदान कार्य को समर्थन दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है। इस क्षेत्र में बहुत से आदर्श व्यक्ति भी उभरे हैं। क्वांगतुंग प्रांत में छै सौ नागरिकों ने स्वेच्छा से रक्तदान करने के लिए एक विशेष स्वयंसेवक दल स्थापित किया। वे खुद रक्तदान करने के अतिरिक्त अपने दोस्तों और रिश्तेदारों में रक्तदान का प्रचार करते हैं। मध्य चीन के हनान प्रांत के कुछ कालेज छात्रों ने भी एक रक्तदान सोसाइटी स्थापित की है। उन के प्रयास से कुल दो हजार छै सौ छात्र अपनी इच्छा से रक्त दान करने वालों की पंक्ति में शामिल हुए। चीन के सभी क्षेत्रों में से हनान प्रांत की रक्तदान की घटना लोगों का विशेष ध्यान आकर्षित कर चुकी है । इस प्रांत की इस घटना में कुछ किसानों के बेचे गये रक्त से एड्स का फैलाव हुआ। सौभाग्यवश सरकार ने इस की जानकारी के तुरंत बाद इस क्षेत्र में रक्त की बिक्री बन्द कर दी और एड्स से पीड़ित किसानों को राहत देनी शुरू की। प्रांत में स्वेच्छा से रक्तदान करने को प्रेरिक करने वाले एक जिम्मेदार अधिकारी के अनुसार अब इस प्रांत की सरकार ने इस तरह के रक्तदान की व्यवस्था लागू कर दी है और प्रांत में रक्त बेचना पूरी तरह खत्म कर दिया गया है । पिछले छै सालों में हनान प्रांत में चिकित्सा उपयोगी रक्त शत प्रतिशत स्वेच्छा से किये रक्त दान के माध्यम से आया है। अस्पतालों में उपयोग में लाया जाने वाला रक्त बिल्कुल सुरक्षित है और रक्त की बिक्री से एड्स के प्रसार की स्थिति खत्म हो चुकी है। चिकित्सा उपयोगी रक्त को सुरक्षित बनाये रखने के लिए चीन सरकार ने एक अरब य्वान की पूंजी से देश में अनेक आधुनिक रक्त भंडार स्थापित किये हैं और रक्त की वैज्ञानिक जांच से भी रक्त की सुरक्षा की गारंटी की जा रही है। स्वेच्छा से रक्तदान करने की व्यवस्था के भारी प्रगति प्राप्त करने के बावजूद आज भी चीन में पंद्रह प्रतिशत चिकित्सा उपयोगी रक्त के लिए रक्त बेचने वालों का सहारा लिया जा रहा है । देश के ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को स्वेच्छा से रक्तदान करने की योजना की काफी जानकारी नहीं है। इस पर चीनी रेड क्रोस सोसाइटी की प्रधान सुश्री फंग पेइयुवन का कहना है कि चीन भविष्य में स्वेच्छा से रक्तदान की व्यवस्था को शतप्रतिशत पूर्ण बनायेगा । इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए चीन सरकार अभी और कुछ वर्षों तक कोशिश करेगी और रक्त की बिक्री से एड्स और पीलिया आदि बीमारियों के प्रसार को रोकेगी। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए चीन सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में स्वेच्छा से रक्तदान करने को बढ़ावा देने का जोर-शोर से प्रचार करने की अपील की है। चीन के शिक्षा विभागों ने भी स्कूलों में ऐसी रक्तदान योजना की जानकारी के प्रसार का अभियान चलाया है, ताकि इस संदर्भ में नयी पीढ़ी की जानकारी बढ़ाई जा सके ।