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सांस्कृतिक जीवन
(GMT+08:00) 2004-11-24 15:58:48    
ई जाति के नृत्य गान

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ई जाति के लोग नाच गान के बड़े शौकिन हैं, वे हर उचित मौके पर नाचते गाते हुए अपनी भावना अभिव्यक्त करते हैं, ई जाति के कुछ मधुर गीत संगीत , जो चीन के ल्यांग शान ई जातीय स्वायत्त प्रिफेक्चर की नृत्य गान मंडली द्वारा प्रस्तुत हुए हैं ।

--- धुन---

यह धुन आप जो सुन रहे हैं, उस का नाम तान पु-थ्वो, पु-थ्वो तान ई जाति के विशेश तंतु वाद्य यु-छिन अर्थात चांद रूपी साज पर बजाया गया है , जिस में पु-थ्वो क्षेत्र में रहने वाली ई जाति में मशाल उत्सव मनाने का उल्लासपूर्ण वातावरण अभिव्यक्त होता है । यु-छिन नाम का तंतु वाद्य ई जाति में अधिक मौकों पर प्रयुक्त होने वाला साज है , उस से जो धुन बजती है , वह सुरीली और लहरेदार है, ई जाति के मशाल उत्सव के मौके पर इस से उल्लासपूर्ण धुन बजायी जाती है और लोग उस की तान पर नाचते थिरकते हैं ।

ई जाति का मशाल उत्सव चीनी पंचांग के अनुसार हर छठे माह की 24 या 25 तारीख से शुरू होती है , यह त्यौहार तीन दिन तक चलती है । त्यौहार के दौरान ई जाति के लोग जातीय विशेषता वाली रंगबिरंगी मनोरंजन गतिविधियां चलाते हैं , रात को घर घर में मशाल जलाया जाता है , गांव वासी मशाल उठाए गांवों व खेतों से गुजरते हुए अन्त में खुले मैदान में इक्टठे हो जाते हैं और वहां अलावों की चारों ओर दिल खोल कर नाचते गाते हैं । मशाल की यह गतिविधि दूसरे दिन पो फटने तक जारी रहता है ।

ई जाति एक पुराना इतिहास वाली अल्प संख्यक जाति है , वे मुख्यतः दक्षिण पश्चिम चीन के सछवान , युन्नान और क्वोचाओ आधि प्रांतों में रहते हैं , ई जाति के लोग गीत गाना बहुत पसंद करते हैं , वे इन गीतों से अपने परिश्रम के जीवन, प्रेम और मैत्री का गुणगान करते हैं , गीतों की विष्यवस्तुएं विविध है और गायन शैली अनोखी है । वे खुद गीत के बोल बना कर परिचित धुन पर गाते हैं, आओ, घर पर आओ नाम का गीत ई जाति की गायिका चीकचील की आवाज में प्रस्तुत है।

---धुन---

ई जाति की ल्यांगशान स्वायत्त प्रिफेक्चर नृत्य गान मंडली की स्थापना वर्ष 1956 में हुई , वह ई जाति की सब से बड़ी और मशहूर कला मंडली है , कला मंडली चीन के विभिन्न स्थानों के अलावा तुर्की , यूनान , ब्रिटेन और जापान आदि देशों व क्षेत्रों का भी दौरा कर चुकी है । कला मंडली के गाढ़ा जातीय विशेषता युक्त सांस्कृतिक कार्यक्रम बहुत लोकप्रिय रहा है । ल्यांगशान नृत्य गान मंडली के सुप्रसिद्ध वाद्य कलाकार श्री शामावाथ द्वारा बजायी गई धुन ई जाति का प्रेम गीत बेहद मधुर और उत्साहपूर्ण है । यह धुन ई जाति में प्रचलित प्रेम गीतों पर आधारित है, जो ई जाति के विशेष वाद्य--हु लो सन अर्थात तुंमड़ा रूपी बाज से बजायी गई है ।

---धुन---

ई जाति के अनेक प्रकार के वाद्य मिलते हैं , युछिन , हुलोसन के अलावा मापु नाम का पाइपों वाला वाद्य ई जाति की विशेष वाद्य भी है, उस की धुन बारीकी , सुरीली और लयदार है, जिस से भावना की अच्छी तरह अभिव्यक्ति होती है । इस किस्म के वाद्य से ई जाति के जीवन एवं रीति रिवाज का वर्णन किया जाता है । सुनिए मापु पर बजाई गई ई जाति का रिवाज नाम का संगीत ।

---धुन---

ई जाति के लोग मदिरा पीना पसंद करते हैं , मेहमानों के आगमन तथा त्यौहार की खुशी में वे जरूर मदिरा पेश करते हैं , इसलिए मदिरा के बारे में भी गीत खूब प्रचलित होता है । ल्यांग शान की ई जाति का मदिरा गीत में ई जाति की शुभकामनाएं गर्भित है, जो इस प्रकार का खुशी और उल्लास से भरा है।

--- धुन---