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(GMT+08:00) 2004-11-24 15:22:41    
चीन के तिब्बत स्वायत प्रदेश से मिली खबरियां

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वर्तमान में चीनी वैज्ञानिक पश्चिमी चीन के ख ख सीली क्षेत्र का सर्वेक्षण कर रहे हैं, ताकि वहां तिब्बती कुरंगों की वास्तविक संख्या का वैज्ञानिक रूप से आकलन किया जा सके। यह चीन का तिब्बती कुरंगों का प्रथम व्यापक वैज्ञानिक सर्वेक्षण बताया जा रहा है। तिब्बती कुरंग चीन का राष्ट्रीय स्तर पर संरक्षित प्रथम श्रेणी का पशु है, जो मुख्य रूप से उत्तर-पश्चिमी चीन के समुद्री सतह से 4000 से 5000 मीटर ऊंचे पठार में रहता है। छिंगहाए प्रांत का ख ख सीली क्षेत्र तिब्बती कुरंग का मुख्य निवास स्थल माना जाता है।

तिब्बत में दुर्लभ जंगली फूलों की किस्में व संसाधन भरपूर

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के कृषि व पशु विज्ञान अकादमी की एक जांच से पता चला है कि तिब्बत में दुर्लभ जंगली फूलों की किस्में प्रचुर ही नहीं , उसके संसाधन भी भरपूर है। जानकारी के अनुसार, तिब्बत में जंगली फूलों की किस्में कोई 1000 हैं, जिन में स्थानीय विशेष किस्में व विश्व पैमाने पर दुर्लभ किस्में लगभग 320 से 350 हैं।

संबंधित विशेषज्ञों के अनुसार, तिब्बत के दुर्लभ जंगली फूल मुख्य तौर से दक्षिण पूर्वी तिब्बत में बिखरे हुए हैं, क्योंकि इस क्षेत्र में उष्णकटिबंधीय वर्षा का जंगल के जलवायु पर प्रभाव पड़ता है, अंततः विभिन्न किस्मों की दुर्लभ जंगली वनस्पतियां यहां बड़ी मात्रा में पायी जाती हैं।

इधर के वर्षों में चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में दलदल के संरक्षण को

गति दी गई। परिणामस्वरूप स्वायत्त प्रदेश में दलदल के क्षेत्रफल का विस्तार हुआ है। तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के पर्यावरण संरक्षण प्रशासन के सूत्रों के अनुसार, वर्तमान में स्वायत्त प्रदेश में दलदल का क्षेत्रफल 60 लाख हैक्टर तक जा पहुंचा है जो चीन में प्रथम स्थान पर है।तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के पर्यावरण प्रशासन की निगरानी में राजधानी ल्हासा में 15 दलदल संरक्षण परियोजनाएं और स्वायत्त प्रदेश का दलदल संरक्षण कार्यक्रम आरम्भ हुआ है।

चीन की राजधानी पेइचिंग में हाल ही में आयोजित एक बैठक में जानकारी दी गयी कि चीन के तिब्बतशास्त्र के अध्ययन में सहयोगी विषयों की व्यवस्था की जा रही है जिससे तिब्बतशास्त्र का विस्तार किया जा सकेगा।

चीन के तिब्बतशास्त्र पर 2000 से अधिक शास्त्री कार्य कर रहे हैं। वे राजधानी पेइचिंग, तिब्बत स्वायत्त प्रदेश और सछ्वान, छिंगहाई, कानसू और युन्नान जैसे प्रांतों के अध्ययन केन्द्रों, शिक्षालयों में कार्यरत हैं। समन्वय न होने के कारण उन के बीच आवाजाही व सहयोग की कमी है।इस परिस्थिति को बदलने के लिए बैठक में भाग ले रहे व्यक्तियों ने यह मतैक्य पाया कि तिब्बतशास्त्र के अध्ययन में सहयोगी विषयों की व्यवस्था स्थापित की जाए।

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