कुछ समय पूर्व चीनी राजकीय पुस्तकालय ने अपनी स्थापना की 95वीं वर्षगांठ की समृति में एक भव्य समारोह आयोजित किया । अंतरराष्ट्रीय पुस्तकालय संघ के महा सचिव श्री रमाचर्डन ने समारोह में भाग लिया और अपने भाषण में इधर के वर्षों में चीनी राजकीय पुस्तकालय की प्रगति का उच्च मुल्यांकन किया ।
चीनी राजकीय पुस्तकालय की स्थापना वर्ष 1909 में हुई , जिस पूराना नाम था चिंग शी पुस्तकालय । इस के बाद पुस्तकालय का नाम और स्थान कई बार बदल किये गए । वर्ष 1949 में नए चीन की स्थापना के बाद उसे पेइचिंग पुस्तकालय का नाम रखा गया , और वर्ष 1998 में औपचारिक तौर पर चीनी राजकीय पुस्तकालय का नामकरण किया गया । चीन के आप्राचीन इतिहास में कई सुप्रसिद्ध व्यक्ति , मसलन महान साहित्यकार लू श्युन व ल्यांग छी छाओ और पेइचिंग विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति छाई य्वान फेई आदि क्रमशः इस पुस्तकालय के प्रभारी रहे । चीनी राजकीय पुस्तकालय के वर्तमान प्रभारी 87 वर्षीय रन ची यू चीन में सुप्रसिद्ध दर्शन शास्त्री हैं ।
वर्तमान में चीनी राजकीय पुस्तकालय के विस्तार की दूसरे चरण की परियोजना तथा चीनी डिजिटल पुस्तकालय की निर्माण परियोजना जल्द ही शुरू होगी । यह चीन सरकार की एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक परियोजना है , जिस में एक अरब दस करोड़ य्वान से ज्यादा धन राशि लगायी जाएगी । राजकीय पुस्तकालय की दूसरे चरण की परियोजना समाप्त होने के बाद चीनी राजकीय पुस्तकालय और ज्यादा पुस्तकों को संगृहित करेगा और आगामी 30 वर्षों की मांग पूरी कर सकेगी , इस के साथ ही डिजिटल पुस्तकालय की स्थापना से पाठक किसी भी समय और किसी भी स्थान पर नेटवर्क के जरिए सूचना प्राप्त कर सकेगा , इस से पुस्तकालय ऐसे सूचना सेवा केन्द्र बन जाएगा, जिस के प्रयोग के लिए समय व स्थल की सीमा नहीं है ।
दो वर्ष पहले, चीन सरकार ने देशव्यापी "सांसकृतिक ज्ञान प्रयोग परियोजना" लागू की , जिस का मकसद इंटर नेट और उपग्रह ट्रांस्टर आदि वैज्ञानिक तकनीकी तरीकों के जरिए पूरे देश में विभिन्न स्थानों के पुस्तकालयों में सुरक्षित संसाधनों को हद से हद तक आम नागरिकों तक पहुंचाया जाना और विशेष तौर पर व्यापक ग्रामीण वासियों को सूचना सेवा प्रदान किया जाना है । इस परियोजना में चीनी राजकीय पुस्तकालय की मुख्य भूमिका होगी । चीनी संस्कृति मंत्रालय के उप मंत्री चो ह फिंग का विचार है कि पुराने जमाने से अब तक चीनी राजकीय पुस्तकालय चीन के सांस्कृतिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता आया है । उन्होंने कहाः
"वर्ष 1909 से अब तक, चीनी राजकीय पुस्तकालय निरंतक विकसित होता जा रहा है , जिस के इतिहास में तीन सामाजिक व्यवस्थाएं बिती है , यानी सामंती , अर्ध सामंती व अर्ध उपनिवेशी तथा समाजवादी व्यवस्थाएं आई भी गई । इस दौरान चीनी राजकीय पुस्तकालय ने ज्ञान व सभ्यता के प्रचार प्रसार, नागरिकों की बुद्धि के विकास तथा सामाजिक विकास को आगे बढ़ाने आदि क्षेत्रों में भारी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की था ।"
श्री चो ह फिंग के अनुसार, चीनी राजकीय पुस्तकालय विश्व के विकसित देशों के पुस्तकालयों की तुलना में अभी कमजोर है, इस लिए इसे और आगे विकसित किया जाना चाहिए ताकि आधुनिक विज्ञान व तकनीक के विकास के चलते,चीनी राजकीय पुस्तकालय को चीन का सूचना केंद्र ही नहीं, विश्व में चीनी भाषी ज्ञान व सूचना केंद्र बनाया जा सके ।
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