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(GMT+08:00) 2004-11-17 09:19:55    
तिब्बतशास्त्र के अनुसंधान से तिब्बती संस्कृति के विकास का समर्थन

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बुधवार को पेइचिंग में चीनी तिब्बतशास्त्र कार्य का समन्व्य सम्मेलन आयोजित हुआ। सूत्रों के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में तिब्बतशास्त्र के अनुसंधान ने न सिर्फ़ तिब्बती जाति की श्रेष्ठ परंपरागत संस्कृति के संरक्षण और उसे विरासत में ग्रहण करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है, तिब्बती आधुनिकीकरण का वैज्ञानिक आधार प्रदान किया है।

चीन के तिब्बती मुख्यतः दक्षिण-पश्चिमी चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में रहते हैं ।तिब्बतशास्त्र तिब्बती जाति के के अनुसंधान के सर्वतोमुखी विषय इतिहास, धर्म, संस्कृति, अर्थतंत्र, राजनीति, समाज आदि विभिन्न क्षेत्र हैं।

चीनी तिब्बतशास्त्र अनुसंधान केंद्र एक राजकीय अकादमिक संस्था है। केंद्र के महानिदेशक श्री रापापिनज़ो ने बताया कि हाल के कुछ वर्षों में चीनी विद्वानों ने जाति, मानव, धर्म. सामाजिक विज्ञान समेत आधुनिक बौद्धिक जानकारियों व उपायों से तिब्बती जाति के अर्थतंत्र व जीवन आदि सभी क्षेत्रों का अनुसंधान किया और भारी उपलब्धियां हासिल कीं।

पिछले 50 वर्षों में चीन ने तिब्बतशास्त्र के अनुसंधान की एक व्यापक व्यवस्था स्थापित की और प्रचुर उपलब्धियां प्राप्त कीं। इस शास्त्र के अनुसंधान में काफ़ी संख्या में जुटे उच्चस्तर के प्रौढ़ व युवा अनुसंधानकर्ता तेज़ी से बढ़ रहे हैं । देश भऱ में तिब्बतशास्त्र के अनुसंधान, शिक्षा, प्रकाशन संबंधी दसियों संस्थाएं कायम हो चुकी हैं।

खबर है कि वर्तमान में चीन में करीब 2000 लोग तिब्बतशास्त्र के अनुसंधान में लगे हुए हैं। इनमें तिब्बती विद्वानों के अलावा ह्वे व अन्य जातियों के विद्वान भी शामिल हैं। पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने इस शास्त्र संबंधी कुल 3 हज़ार पुस्तकों व 30 हज़ार से अधिक निबंधों का प्रकाशन किया।

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के सामाजिक विज्ञान अकादमी के प्रधान व तिब्बतशास्त्र के विद्वान श्री स्वांगचुनमे ने कहा कि तिब्बतशास्त्र अनुसंधान संस्था ने इस जाति की श्रेष्ठ व परंपरागत संस्कृति के विकास के साथ तिब्बत के विकास की ज़रूरतों को ध्यान में ऱखते हुए स्थानीय आर्थिक व सामाजिक विकास की निर्णयाक नीतियां पेश कीं।

तिब्बती सामाजिक विज्ञान अकादमी ने स्थानीय आर्थिक व सामाजिक विकास की जरूरतों के अनुसार ग्रामीण अर्थतंत्र अनुसंधान केंद्र ,आर्थिक रणनीति अनुसंधान प्रतिष्ठान आदि स्थापित किये और तिब्बत के आधुनिकीकरण के लिए ल्हासा में तिब्बत के लघु शहरों व कस्बों के निर्माण व पारिस्थितिकी के अनुसंधान की उपलब्धियां प्रस्तुत कीं इसने स्थानीय सरकारों को वैज्ञानिक निर्णायक नीति अपनाने के लिए वैज्ञानिक आधार प्रदान किया।

उन्होंने कहा कि शहर और ग्राम के बीच भिन्नता दूर करने के लिए अकादमी ने लघु शहरों व कस्बों के विकास की कल्पना पेश की । स्वायत्त प्रदेश की सरकार ने इस सुझाव पर अमल किया ।इस से इन लघु शहरों व कस्बों का अब तेज़ी से विकास हो रहा है।

इस के अलावा चीन के तिब्बतशास्त्र जगत ने 10 से अधिक देशों व क्षेत्रों के संबंधित क्षेत्रों के साथ नियमित समय पर आदान-प्रदान व सहयोग कर भी अनेक अनुसंधान संस्थाएं कायम की हैं।

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