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(GMT+08:00) 2004-11-16 15:42:45    
 श्रोताओं की कविताएं

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सुलतानपुर उत्तर प्रदेश के अनिल कुमार द्विवेदी ने सी .आर .आर पर दो कविता लिखी है , वह प्रस्तुत है

नवीन पत्रिका श्रोता वाटिका को समर्पित कविता

पहले थी चीन सचित्र ,अब आई है

श्रोता वाटिका , नई ऊर्जा लायी है ।

संपर्क बढ़ाती ,परिचय करवाती ,

कविता , लेख , फोटो है सजाती ।

संस्कृति से हमें कराती खबर ,

जानकारी होती धरती हो या अम्बर ।

मेले , संस्कृति , तिब्बत और पर्यटन ,

समस्त जानकारियां है इस में नूतन ।

पत्रिका छोटी , पृष्ट मात्र है चार ,

चन्द्रिमा जी पृष्ठ बढ़ाए निवेदन है जहार ।

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अनिल कुमार द्विवेदी की दूसरी कविता आज का तिब्बत कार्यक्रम पर , जो इस प्रकार हैः

आज का तिब्बत है छू रहा ,

मार्ग प्रगति भरा ।

जल थल नभ तरक्की कर रहा ,

है विश्वास भरा ।

गलियां चौबारा है सुधर रहा ,

उन्नति सुगंध भरा ।

सड़क ,पर्यटन , पोताला सज रहा ,

भाई उत्साह भरा ।

पा विकास तिब्बती हंस रहा ,

फसल हरा भरा ।

शिक्षा , औषधि का विकास हो रहा ,

मार्ग प्रगति भरा ।

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कोआथ बिहार के सीताराम केशरी ने जो एक लघू कथा भेजी , वह यहां प्रस्तुत है , शीर्षक है खड़ाऊं दिया उद्देश्य ।

खड़ाऊं पहन कर पंडित जी मंदिर की ओर चले , एक कदम बढने के साथ खड़ाऊं से भी खत-खत का स्वर निकल रहा था । पंडित जी को यह आवाज पसंद नहीं आई , वह एक स्थान पर खड़े हो कर खड़ाऊं से पूछने लगे , अच्छा , तुम ये तो बताओ कि पैरों के नीचे इतनी दबी रहने पर भी तुम्हारे स्वर में कोई अंतर क्यों नहीं आता है । खड़ाऊं ने पैरों के नीचे दबे दबे ही पंडित जी की जिझासा शांत करते हुए कहा , मैं तो जीने की इच्छुक हूं । पंडित जी , इस संसार में ऐसे लोगों की कमी नहीं , तब खड़ाऊं जो दूसरों के दबाव में आ कर अपना स्वर मंद कर लेते है

, उन्हें तो जीवित अवस्था में भी मैं मरा हुआ मानता हूं ।

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आज की सभा के अंत में आप सुनेंगे बीकानेर राजस्तान के सुरेश कुमार खत्री की एक कविता , शीर्षक है छोटा सा प्यारा सा ।

छोटा सा प्यारा सा देश चीन

कर प्रगति निरंतर बना विश्व में महान ।

सुन्दर बाग झीलों नहरों का देश ,

लोगों के यहां तिकने प्यारे है भेष ।

मेहनत , उत्साह और मन में है लगन ,

रहते हर वक्त ये लोग अपने काम में मग्न ।

नए नए अविष्कार कर इन्हों ने अनूठा इतिहास रचा है ,

इस की उपलब्धियों का हर ओर छोर मचा है ।

अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर हमारा भारत और चीन ,

सदा बने रहे प्रगाढ़ प्रेमी मित्र समान ।

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