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चीन की अल्पसंख्यक जाति

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सांस्कृतिक जीवन
(GMT+08:00) 2004-11-16 19:34:40    
चीन की अल्पसंख्यक जातियों के जीवन

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चीन की कुल 55 अल्पसंख्यक जातियों में से अधिकांश चीन के पश्चिमी भाग औऱ सीमांत क्षेत्रों में रहती हैं। खराब प्राकृतिक व भौतिक स्थिति से इन क्षेत्रों की बुनियादी संस्थाएं एक लम्बे अरसे से कमजोर रही हैं जिस से इन की आर्थिक स्थिति भी अपेक्षाकृत पिछड़ी है। अल्पसंख्यक जातियों के आर्थिक व सामाजिक विकास को गति प्रदान करने के लिए इधर के कुछ वर्षों में चीन सरकार ने कई सिलसिलेवार कदम ही नहीं उठाए हैं, उल्लेखनीय उपलब्धियां भी प्राप्त कीं हैं।

चीन में रहने वाले अल्पसंख्यक जाति के लोगों की संख्या 10 करोड़ से ज्यादा है, जो देश की कुल जन संख्या का दस प्रतिशत है। चीन सरकार ने अल्पसंख्यक जातियों की विशेषताओं के मद्देनजर इन क्षेत्रों में स्वशासन की व्यवस्था लागू की। चीन में क्वांग शी, शिन च्यांग, तिब्बत, निंग श्या औऱ भीतरी मंगोलिया पांच जातीय स्वायत प्रदेश स्थापित है और 30 जातीय स्वायत प्रिफेक्चरों की स्थापना भी हो चुकी है। यही नहीं, सरकार ने अनेक जातीय स्वायत काऊंटियों व जिलों की स्थापना भी कीं।

चीन सरकार जातीय क्षेत्रों के विकास को हमेशा से बड़ा महत्व देती आयी है। पिछली सदी के 90 वाले दशक के अंत में चीन सरकार ने देश के पश्चिमी भाग के तीव्र विकास की रणनीतिक अपनानी शुरु की। चूंकि चीन के अधिकांश अल्पसंख्यक देश के उत्तर पश्चिमी एवं दक्षिण पश्चिमी क्षेत्रों में बसे हैं, इसलिए, एक हद तक यह कहा ही जा सकता है कि पश्चिमी क्षेत्र का विकास वास्तव में जातीय क्षेत्रों का विकास है। अब तक चीन सरकार देश के पश्चिमी भाग के विकास पर चार खरब चीनी य्वान की पूंजी लगा चुकी है, जिस का अधिकांश अल्प संख्यक जातीय क्षेत्रों की बुनियादी संस्थाओं के सुधार में लगा है।

पश्चिमी चीन के तिब्बत पठार पर स्थित तिब्बती स्वायत प्रदेश को भी पश्चिमी भाग इस विकास अभियान का बड़ा लाभ मिला है।

50 वर्षीय चांग श्याओ फिंग एक पुराने प्रसारण सेवाकर्मी है। वर्ष 1963 में उन्होंने पहली बार तिब्बत की यात्रा की थी औऱ अब तक कोई 30 बार तिब्बत आ जा चुके थे। उन्होंने ने कहा कि तिब्बत का हाल के वर्षों का परिवर्तन यातायात औऱ सूचना आदि क्षेत्रों में प्रतिबिंबित होता हैं।वे कहते हैं, मुझे याद है कि जब मैं पहली बार तिब्बत गया, तो शीनिन से ल्हासा जाने के रास्ते में ही एक हफ्ते का समय लगाना पड़ा था। पर अब सड़क की मरम्मत हो जाने के बाद शीनीन से ल्हासा जाने के लिए केवल दो तीन दिनों की जरुरत होती हैं। ल्हासा से यांग बा चिन तक की सड़क केवल 100 किलोमीटर लम्बी है। पहले, मुझे गाड़ी के जरिए इस दूरी को पार करने में कई घंटे लगते थे। अब मैं एक घंटे में उसे पार कर सकता हूं।

तथ्य यह है कि अब तिब्बत से बाहरी क्षेत्रों तक पहुंचाने के लिए पांच उच्च स्तरीय सड़कों का निर्माण किया जा चुका हैं, इन की कुल लम्बाई दस किलोमीटर से ज्यादा हैं। तिब्बत की विभिन्न काऊंटियां भी सड़कों से जुड़ गयी है। इस के अलावा, चीन के विभिन्न स्थलों से ल्हासा के लिए प्रतिदिन विमान उड़ान भरते हैं। इधर चीन छिंग हाए प्रांत से तिब्बत तक पहुंचने वाली छिंग हाए-तिब्बत रेल लाइन का निर्माण भी चल रहा है। इस से विश्व के सब से उंचे क्षेत्र में रेल लाइन न होने का इतिहास समाप्त हो जाएगा।

श्री च्यांग ने बताया कि सूचना संचार के क्षेत्र में तिब्बत के परिवर्तन और बड़े हैं। एक पत्रकार होने के नाते उन्होंने इस का गहरा अनुभव किया है। उन्होंने कहा, पहले मैं टेलिफोन से खबर तिब्बत के बाहर खबर भेजता था। तब कई बार दिन में सिगनल खराब होता, तो कभी कभी फोन की आवाज़ साफ सुनाई पड़ती थी। इसलिए, कुछ सौ शब्दों की खबर भेजने के लिए मुझे कई घंटे या पूरा दिन लगाना पड़ता था। पर अब हम आसानी से ल्हासा से विश्व के विभिन्न स्थलों से फोन पर बातचीत कर सकते हैं।

देश के तेज़ आर्थिक व सामाजिक विकास ने अनेक अल्पसंख्यक जातीय क्षेत्रों को गरीबी से छुटकारा पाने और समृद्धि की ओर बढ़ने में मदद दी। चीन के थलीय सीमा क्षेत्र में बावजूद इस के लगभग 2 करोड़ लोग, जिन में से अधिकांश अल्पसंख्यक हैं, अभी भी बहुत गरीब हैं।

इन लोगों को जल्द से जल्द गरीबी से छुटकारा दिलाने के लिए चीन सरकार ने फरवरी 2000 से सीमांत निवासियों को समृद्ध बनाने की वह कार्यवाही लागू करनी शुरु की, जिस का लक्ष्य दस वर्षों के भीतर देश के सीमांत क्षेत्रों की काऊंटियों व शहरों की आधारभूत संरचना में आरंभिक सुधार लाना है। अनुमान है कि इस से 107 जातीय स्वायत क्षेत्र लाभ प्राप्त करेंगे। इस परियोजना के कार्यावयन के लिए चीन सरकार ने 10 खरब य्वान की पूंजी लगाई है।

क्वांग शी ज्वांग स्वायत प्रदेश चीन के दक्षिण पश्चिमी सीमांत क्षेत्र में स्थित है, अनेक पहाड़ हैं और कृषियोग्य भूमि कम है। उस के सीमांत क्षेत्र का अर्थतंत्र अपेक्षाकृत बहुत पिछड़ा । क्वांग शी स्वायत प्रदेश की सरकार ने वर्ष 2000 के अगस्त माह से अपने सीमांत क्षेत्र की आठ काऊंटियों, शहरों व प्रिफेक्चरों में निर्माण कार्य पर विशेष जोर दिया है। हमारी संवाददाता ने गत वर्ष वसंत में क्वांग शी के सीमांत क्षेत्र में अपनी आंखों से स्थानीय निर्माण की स्थिति देखी, उन के अनुसार, विभिन्न स्थानीय सरकारों ने किसानों के जीवन स्तर को उन्नत करने के लिए भारी पूंजी लगाई है , उन्होंने स्थानीय किसानों के लिए नये मकानों का निर्माण किया है और उन्हें साफ पेय जल की आपूर्ती भी दी है। इस से वहां के किसान

नल का पानी पीने लगे हैं। इतना ही नहीं, सरकार ने भारी पूंजी लगाकर वहां स्कूलों, सरकारी इमारतों औऱ अस्पतालों का भी पुनः निर्माण कराया। क्वांग शी के कुछ अस्पतालों में अब लोग वियतनामी नागरिकों को यहां इलाज करने भी देश सकते हैं।

चीन की 55 अल्पसंख्यक जातियों में से 22 की जन संख्या 1 लाख से कम है । ऐतिहासिक व प्राकृतिक कारणों से इन जातियों को अनेक कठिनाइओं का सामना करना पड़ा है। चीनी राष्ट्रीय जातीय मामला आयोग ने गहन अनुसंधान के बादवर्ष 2000 में इन 22 अल्पसंख्यक जातियों के विकास के सुझाव प्रस्तुत किये, जिन्हें तुरंत ही केंद्रीय सरकार की पुष्टि भी प्राप्त हुई । चीन की केंद्रीय सरकार ने संबंधित विभागों को इन अल्पसंख्यक जातियों के लिए विशेष नीति उपनाने के निर्देश दिये, ताकि उन के जातीय क्षेत्रों का विकास तेज़ किया जा सके।

जी न्वे जाति इन 22 अल्पसंख्यक जातियों में से एक है। इस की जनसंख्या 20 हजार से भी कम है, यह मुख्यतः चीन के दक्षिण पश्चिमी क्षेत्र के युन नान प्रांत के शई श्वान पेई ना क्षेत्र में रहती हैं। हमारे संवाददाता श्री छन ईंग ने कुछ समय पहले वहां

का दौरा किया औऱ अपनी आंखों से इस जाति में होते परिवर्तन देखे, उन्होंने बताया, हम वहां जहां भी गये, हम ने देखा कि नयी नयी सड़कें बनी , जो बहुत अच्छी हैं। वहां घर घर का भी नव निर्माण हुआ और हर परिवार नल के जल का प्रयोग कर रहा है। घरों में बिजली है और टेलिफोन , फ्रिज जैसे घरेलू विद्दुत उपकल भी मौजूद हैं। सभी बच्चे निकट के स्कूलों में पढाई करते हैं। पहले, वहां के किसान खेतों में ही काम करते थे। पर अब अनेक किसान बड़े पैमाने पर आर्थिक फसले भी उगाने लगे हैं। आर्थिक फसल उगाने वाला एक परिवार हर साल दस हजार य्वान की आमदनी हासिल करने में कामयाब हुआ।

चीनी समाचार माध्यमों के संवाददाताओं ने हर वर्ष अल्पसंख्यक जातीय क्षेत्रों के दौरों के बाद वहां की जो रिपोर्ट भंगी हैं, वे यही बनती है कि चीन की सभी 55 अल्पसंख्यक जातियों को चाहे उन की जनसंख्या कम हो या ज्यादा, विकास का समान मौका प्राप्त है। वे सभी सुन्दर भविष्य की ओर बढ रही हैं।