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(GMT+08:00) 2004-11-15 09:07:06    
तिब्बत स्वायत प्रदेश का दूसरा भाग

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आज के इस कार्यक्रम में हम बरेली, उत्तर प्रदेश के आबिद अली देशप्रेमी, विजयवाड़ा आंध्र प्रदेश की सुश्री रहमतुन्निसा,मऊ, उत्तर प्रदेश के अनुराग दीप, दीपा यादव, ऊषा देवी, राथिका देवी,कोआथ के हाशिम आज़ाद, ख़ैरून निसा, रज़ोमा खातुन बाबू अकरम,बिलासपुर, छत्तीसगढ़ के चुन्नीलाल मासूम,कलेर, बिहार के मोहम्मद असिफ खान, बेगम निकहत प्रवीन, सदफ आरजून, अजफर अकेला, तहमीना मशकुर, आजमगढ़ यू पी के काएम महदी, जावेद हैदर मजीद और भागलपुर, बिहार की नाजनी हसन, तामन्ना हसन, हमीदा हसन, शबीना हसन, सुलताना खातून, नाजमा खानम के पत्र शामिल कर रहे हैं। इन सभी श्रोताओं ने चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के बारे में विस्तृत जानकारी चाही है।

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में तिब्बती लोगों के अतिरिक्त हान, ह्वेई, मनबा लोबा, नाशी, नू और तूलूंग जैसी दसेक जातियों के लोग रहते हैं। वर्ष 2000 की चीन की पांचवीं जनगणना के अनुसार प्रदेश की कुल जनसंख्या 26 लाख, 16 हजार थी जो वर्ष 1900 की तुलना में 4 लाख, 20 हजार अधिक रही। इस तरह इसकी वृद्धि दर 1.7 प्रतिशत रही। इन में तिब्बती लोगों की संख्या 24 लाख, 11 हजार थी। हान लोगों की संख्या थी 1 लाख 55 हजार और मनबा, लोबा और ह्वेई जैसी जातियों की करीब 50 हजार।

प्रदेश के पुरुषों की संख्या 13 लाख, 25 हजार है और महिलाओं की संख्या 12 लाख 91 हजार । पुरुषों व महिलाओं का अनुपात 102.62 है। साक्षरता दर 67.5 प्रतिशत है, जो वर्ष 1990 से 12.2 अंक कम है।

वर्ष 1984 में अल्पसंख्यक जाति बहुल क्षेत्र स्वशासन कानून जारी किया गया। तब से वर्ष 2001 के बीच केन्द्र सरकार ने इस कानून के तहत तिब्बत के विकास पर चार सम्मेलनों का आयोजन किया। इनमें तिब्बत के विकास के लिए सिलसिलेवार कदम उठाए गये, उसे अनेक सुविधाएं पेश की गईं, तिब्बत स्वायत्त प्रदेश को विशेष सहायता प्रदान करने का फैसला लिया गया।

तिब्बत की कर वसूली व्यवस्था में करों की दर देश के अन्य इलाकों से 3 अंक कम रखी गई। ग्रामवासियों और चरवाहों को कर मुक्त रखा गया और कर्ज में ब्याज की दर भी भीतरी इलाकों से 2 अंक कम है। इस के अतिरिक्त ग्रामवासियों, चरवाहों और उन के परिजनों को मुफ्त उपचार उपलब्ध है। उन के बच्चों की स्कूलों में पढाई और खाना-पानी भी मुफ्त है।

प्राचीन समय में तिब्बत का यातायात बहुत दुर्गम था। तिब्बत पठार पर स्थित है और उसकी भौगोलिक स्थिति बेहद जटिल है। तब वहां राजमार्ग नहीं ही थे।

तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति के बाद के 52 वर्षों में इस क्षेत्र में परिवहन व यातायात का कायापलट हो गया। तिब्बती अर्थतंत्र को विकसित करने के लिए केन्द्र सरकार ने 四川 व 青海 प्रांतों से तिब्बत तक जाने वाले राजमार्गों के निर्माण का निर्णय लिया। तीन सालों में इन दो राजमार्गों का निर्माण पूरा भी हो गया। अब चीन के भीतरी इलाके से ल्हासा तक पहुंचने वाले चार राजमार्ग हैं और तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में सड़कों के जाल ने हर गांव को दूसरे से जोड़ दिया है।

वर्तमान में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के राजमार्गों की कुल लम्बाई है 27 हजार किलोमीटर। वर्ष 2001 से 2005 तक की दसवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान केन्द्र सरकार ने स्वायत्त प्रदेश में राजमार्गों के निर्माण की 51 मदों पर कुल 12 अरब य्वान खर्च करने का फैसला लिया है।

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश चीन का एकमात्र राज्य है, जिस में रेल लाइन नहीं है। तिब्बत के आर्थिक विकास को गति देने और तिब्बती लोगों के जीवन स्तर को उन्नत करने के लिए केन्द्र सरकार ने छिंगहै प्रांत की राजधानी शीनिंग से तिब्बत की राजधानी ल्हासा जाने वाली रेल लाइन का निर्माण करने का फैसला लिया। इस रेल लाइन की कुल लम्बाई 1956 किलोमीटर है । शीनिंग से केरमू जाने वाले इसके पहले चरण का निर्माण वर्ष 1979 में ही पूरा हो गया और वर्ष 1984 में इस पर रेल सेवा शुरू हो गई। पहले चरण की लम्बाई 814 किलोमीटर थी । दूसरे चरण की केरमू से ल्हासा जाने वाली रेल लाइन की लम्बाई 1142 किलोमीटर है। दूसरे चरण की परियोजना जून 2001 में शुरू हुई। इस वर्ष तिब्बत के भीतर पटरी बिछाने का काम शुरू हुआ। साथ ही ल्हासा में रेल स्टेशनों का निर्माण जोरों पर है। रेल लाइन की परियोजना आगामी 2005 के अंत तक पूरी होने की संभावना है।

यही नहीं वायु सेवाओं ने भी तिब्बत स्वायत्त प्रदेश को भीतरी इलाकों से जोड़ा है। इधर 青海 प्रांत से ल्हासा पहुंचने वाले रेल मार्ग का निर्माण जोरों पर है। अगले वर्ष लोग तिब्बत में रेल गाड़ी की सवारी का भी मजा ले सकेंगे।