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(GMT+08:00) 2004-11-16 15:43:25    
च्यो ज्येई गो की यात्रा

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चीन के सी छ्वान प्रांत के आ बा तिब्बती व छांग जाति प्रिफेक्चर का च्यो ज्येई गो विश्व का विशेष प्रकृति संरक्षण क्षेत्र माना जाता है। च्यो ज्येई गो एक चट्टान, दो झीलों, तीन घाटियों, चार जलप्रपातों और पांच अनूठे दृश्यों के लिए देश-विदेश में प्रसिद्ध है।

च्यो ज्येई गो की यात्रा के दौरान, ऊंचे-ऊंचे बर्फीले पहाड़ों को देखना भी लोगों को बहुत खुशी देता है। इन पहाड़ों की चोटियां चारों ऋतुओं में बर्फ से ढकी रहती है। शरद ऋतु में पहाड़ों व घाटी में लाल, पीले और हरे पेड़ नजर आते हैं। इन में हुंग ह्वा नामक एक विशेष पेड़ भी है, जिसे तिब्बती युवा एक-दूसरे से प्रेम का एक माध्यम मानते हैं। तिब्बती लड़की येन फंग ने बताया, यदि कोई तिब्बती लड़का तिब्बती लड़की से प्रेम करता है तो उसके लिए हुंग ह्वा के पत्ते पर प्रेमपत्र लिखना जरूरी होता है। आम तौर पर तिब्बती लड़कियां घर की तीसरी मंजिल में रहती हैं। तिब्बती लड़के को प्रेमपत्र को प्रथम मंजिल से तीसरी मंजिल तक डालना होता है। यह जाहिर करता है कि वह कितना शक्तिशाली है। यदि लड़की भी उस से प्रेम करती है, तो दोनों हाई जी यानी पठारी तालाब के किनारे प्रेम की शपथ लेते हैं। यों इसमें एक आवश्यक शर्त यह होती है कि लड़का तीन वर्षों तक लड़की के परिवार की सुरागायें चरायेगा।

पृत्वी का स्वर्ग माने जाने वाले च्यो ज्येई गो की हवा भी बहुत ताज़ा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि यहां एक दिन श्वांस लेना, शहरों में तीन महीने श्वास लेने के बराबर है। इधर के वर्षों में च्यो ज्येई गो ने कई नियम बनाकर घाटी में सुरागाय चराने पर पाबंदी लगा दी है घाटी को प्रदूषित होने से रोकने के लिए वर्ष 2002 में यह निर्णय भी लिया गया कि पर्यटक घाटी की यात्रा के दौरान बाहर ही रहें। इतना ही नहीं, प्रति दिन वहां आने वाले पर्यटकों की संख्या सीमित कर दी गयी है। गत वर्ष च्यो ज्येई गो ने चार करोड़ य्वान की लागत से 50- 60 किलोमीटर लम्बे लट्ठों के रास्ते का निर्माण किया। पर्यटक घाटी में पहुंचने पर या तो पैदल चलते हैं या विशेष पर्यटन बस की सवारी करते हैं। च्यो ज्येई गो प्रबंध ब्यूरो के उप प्रधान श्री ख ख ने बताया, पहले सभी गाड़ियां घाटी में आ सकती थीं। इसने पर्यावरण पर भारी दबाव डाला। वर्ष 1999 से हम ने घाटी में हरित पर्यटन बस सेवा शुरू की। पर्यटन स्थलों में विशेष शौचालयों की स्थापना भी की गई, जो वातावरण के लिए लाभदायक रहा है। पर्यटन से उत्पन्न कचरे को प्रति दिन निपटारे के लिए विशेष कारखाने में भी भेजा जाता है।

श्री ख ख के अनुसार, अब च्यो ज्येई गो का डिजिटल तकनीक से प्रबंधन होता है। डिजिटल कमान केंद्र के जरिए पर्यावरण की निगरानी भी की जा सकती है, टिकिट बुक कराये जा सकते हैं और पर्यटन बसों का नियंत्रण भी किया जा सकता है। डिजिटल प्रबंधन से प्रति वर्ष च्यो ज्येई गो को लगभग एक करोड़ य्वान की बचत होती है। प्रबंध ब्यूरो इन पैसों को च्यो ज्येई गो की पारिस्थितिकी के निर्माण में लगा रहा है।

ओ, अनोखे च्यो ज्येई , ओ मनुष्यों के स्वर्ग। तुमने ला दी है परियों की दुनिया पठार पर। ओ अनूठे च्यो ज्येई , ओ मानव के स्वर्ग-----हमें विश्वास है कि लोग अभी और सुन्दर व अनोखा च्यो ज्येई गो देखेंगे।