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(GMT+08:00) 2004-11-12 14:53:39    
तिब्बत में लुलांग स्कूल की यात्रा

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सितम्बर के एक दिन, मैं लुलांग के वन्य सागर देखने हेतु लिनची की राजधानी बायी कस्बे से रवाना हुए , पठारी मार्ग पर एक घंटा की सफर के बाद लुलांग कस्बा पहुंचे , यह एक हजार एक सौ 63 जन संख्या वाला छोटा सा कस्बा है, और लुलांग स्कूल इस कस्बे का एकमात्र स्कूल है ।

जब मेरी लुलांग स्कूल के उप कुलपति सांपात्वनचु के साथ बातचील चल रही है, तभी एक युवा व्यक्ति तेज कदम से कमरे में प्रवेश कर गये, वह लुलांग स्कूल के कुलपति कुंगा है । वह किसी काम के लिए सुबह सुबह अस्सी किलोमीटर दूर काऊंटी कार्यालय गया था , दोपहर बाद की कक्षा पढ़ाने के लिए दोपहर को ही वह जल्द वापस आये । तीस वर्षीय कुंगा ल्हासा के नार्मल कालेज से स्नातक हुए है , लुलांग स्कूल में वह सभी प्रशासनिक कामों की जिम्मेदारी उठाने के अलावा स्कूल की छै कक्षाओं की गणित शास्त्र और वैचारिक शिक्षा पढाने का काम भी करते हैं । श्री कुंगा का कहना है कि लुलांग स्कूल में तिब्बती भाषा को छोड़ कर अन्य सभी पाठ्यक्रम देश के भीतरी इलाके के समान हैं । लेकिन स्कूल में शिक्षकों की संख्या कम होने के कारण सभी 15 अध्यापक प्रायः एक से अधिक पाठ पढ़ाते हैं , वे बहुत मेहनती हैं , उन का काम कुछ भारी तो सही , पर बच्चों को अच्छी तरह पढ़ाने और उन के स्वस्थ विकास की गांरटी देने के लिए वे अपनी मेहनत को बड़ा मुल्यवान समझते हैं ।

अतीत में लुलांग स्कूल की भौतिक स्थिति खस्ता थी , वर्ष 2003 में तिब्ब्त स्वायत्त प्रदेश ने स्कूल के सुधार के लिए दस लाख य्वान की राशि का अनुदान किया और सङजन के फुत्यान डिस्ट्रिक्ट से भी सहायता की पांच लाख य्वान की राशि मिली , जिस से स्कूल के बुनियादी संस्थापनों का निर्माण किया गया , साथ ही दूर शिक्षा की कक्षा भी खोली गई , जिस में कम्प्युटर सेट , टीवी सेट और डि वि डी की सुविधा मिलती है । स्कूल दूर शिक्षा के माध्यम से छात्रों की जिज्ञासा और आवश्यकता को पूरा करता है । हमारे अनुरोध पर कुलपति कुंगा ने हमें ले जा कर दूर शिक्षा कक्षा दिखायी ,कक्षा में तीस से अधिक मेज कुर्सियां पंक्तिबद्ध रखी गई हैं , दीवार पर ब्लेडबार्ड के आगे 24 इंच का विशाल रंगीन टीवी सेट है ,उस के पास एक नया कम्प्युटर है , जहां कम्प्युटर की शिक्षा देने वाला एक अध्यापक काम में व्यस्त हैं । कुलपति कुंगा ने कहा कि यह दूर शिक्षा कक्षा वर्ष 2003 में खुली है , जहां छात्र टीवी और कम्प्युटर से पाठ्यक्रमों की संदर्भ सामग्री मिलने के अतिरिक्त ग्रामीण उत्पादन व जीवन की अवश्यक तकनीकों की जानकारी भी ले सकते हैं । श्री कुंगा का कहना हैः

दूर शिक्षा से हमारे स्कूल को बड़ा लाभ मिला है , हम बुनियादी दर्जे के स्कूल में पढ़ाते हैं , हमें भी कुछ न कुछ ज्ञान का अभाव महसूस हुआ , अब हम दूर शिक्षा के माध्यम से अन्य स्थानों के स्कूलों के बेहतर अध्यापन तरीके और श्रेष्ठ पाठ्यक्रम सीख सकते हैं । हम पहले सीखते हैं , फिर छात्रों को सीखाने के लिए इस कक्षा में ले आते हैं।

कुलपति कुंगा के अनुसार लुलांग प्राइमरी स्कूल लिनची का प्रमुख स्कूल है , यहां की शिक्षा गुणवत्ता बहुत अच्छी है । साक्षात्कार के दौरान श्री कुंगा ने गर्व के साथ हमें बताया कि उन के स्कूल का एक स्नातक छात्र इस साल लिनची प्रिफैक्चर की परीक्षा में श्रेष्ठतम अंक पा कर पेइचिंग के तिब्बती मिडिल स्कूल में दाखिल हो गया है । श्री कुंगा कहते हैः

वर्ष 2000 से अब तक हमारे स्कूल के कुछ छात्र देश के भीतरी इलाके के श्रेष्ठ स्कूलों में पढ़ने के लिए दाखिला हो गए हैं , इस साल पेइचिंग के तिब्बती मिडिल स्कूल ने हमारे एक छात्र को दाखिला दिया है , वह निश्चय ही एक बड़ा श्रेष्ठ छात्र है । श्री कुंगा ने यह आशा व्यक्त की है कि उन के स्कूल से और अधिक संख्या में श्रेष्ठ छात्र निकलेंगे और भविष्य में तिब्बत के निर्माण कार्य की सुयोग्य शक्ति बन जाएंगे ।

लुलांग कस्बे के स्कूली छात्रों के पढ़ने व गीने की सुरीली आवाज सुन कर मुझे यह गहरा अनुभव हुआ है कि तिब्बती बच्चों को ज्ञान पाने की तीव्र जिज्ञासा है और सुन्दर भविष्य की असीम अभिलाषा है ।

स्कूस से चले जाने के समय कुलपति कुंगा ने हमें स्कूल के द्वार तक बिदा दी । स्कूल की शिक्षा इमारत के सामने नई सीमेंट की सड़क बनायी गई , इमारत में छात्रों की पुस्तक पढ़ने की आवाज सुनाई दे रही , बड़ी मनोहर और प्रभावकारी है , अनायास मेरे दिमाग में वह उक्ति याद आयी , जो तिब्बत की एक सड़क के किनारे खड़े विशाल बोर्ड पर अंकित हैः आज की शिक्षा होगी कल की प्रतिभा शक्ति और परसों की आर्थिक वृद्धि । मुझे पक्का विश्वास है कि तिब्बत का कल जरूर और अधिक सुनहरा और उज्जवल होगा ।