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(GMT+08:00) 2004-11-11 19:53:07    
तिब्बती गायिका छेतानचोमा की कहानी

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मित्रो, सुप्रसिद्ध तिब्बती गायिका छेतानचोमान ने गत वर्ष चीन के मैत्रीपूर्णपड़ोसी देश थाइलैंड में चीन के तिब्बती इस सांस्कृतिक दिवस में अपना कार्यक्रम प्रस्तुत किया जो बहुत लोकप्रिय रहा । छेतानचोमान तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की नृत्य-गीत मंडली की सदस्य रही हैं। पिछले 30 वर्षों में वे दुनिया के 30 से अधिक देशों व क्षेत्रों की यात्रा कर चुकी हैं और उन के सुन्दर कार्यक्रमों ने कितने ही दर्शकों का मन मोहा है।कुछ समय पहले तिब्बती गायिका छेतानचोमा ने राजधानी पेइचिग में अपना कार्यक्रम प्रस्तुत किया जो बहुत लोकप्रिय रहा । हमारे कार्यक्रम के जरिये बहुत से श्रोता दोस्तों ने अपने घर बैठे इस तिब्बती गायिका और तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की नृत्य-गीत मंडली के सदस्यों के सुन्दर कार्यक्रमों का आनंद उठाया ।वर्ष 1956 में छेतानचोमान ने पहली बार रंग मंच परचढ़ कर गीत गाया । 1964 में उन्हों ने पहली बार राजधानी पेइचिग में अपना कार्यक्रम प्रस्तुत किया , तभी से छेतानचोमा अपने गीत के लिये मशहूर होनो लगी । तिब्बती गायिका छेतानचोमा की कहानी इस प्रकार है कि वर्ष 1937 में छेतानचोमा का जन्म तिब्बत के शिकाचे प्रिफेक्चर में हुआ । छेतानचोमा तिब्बती भूदास की बेटी हैं ।वर्ष 1951 में तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति हुई , इस से अन्य तिब्बती भूदासों की ही तरह छेतानचोमा का अच्छा दिन भी आया । वर्ष 1958 में छेतानचोमाको चीन के सब से बड़े शहर शांहाई में स्थित संगीत कालेज में पढ़ने का मौका मिला । इस से उन की खुशी का ठिकाना न रहा ।वर्ष1997 में हमारी संवाददाता सुश्री ल्यू हवी ने छेतानचोमा के साथ बातचीत की।तब छेतानचोमा विदेश यात्रा की तैयारी में बहुत व्यस्त थीं। बातचीत में छेतानचोमा ने उपहारस्वरूप हमारी संवाददाता को अपने गीतों का एक सी डी दिया ।छेतानचोमा ने कहा, इस नये सी डी में मैं ने विशेष रूप से चमेली का फूल नामक गीत शामिल किया है। हमारी संवाददाता ने इस का कारण पूछा तो छेतानचोमा ने भावविभोर हो कर यह कहानी सुनायी कि उन्हों ने गायन में जो शानदार उपलब्धियां प्राप्त की हैं उस का श्रेय उन की गुरु महिला प्रोफेसर वान पीनसू को जाता है। छेतानचोमा ने बताया कि वर्ष 1958 में उन्हें शाहाई स्थित संगीत कालेज में पढ़ने का मौका मिला । तब महिला प्रोफेसर वान पीनसू ने अपनी बेटी की तरह उन की देखभाल और मदद की । प्रोफेसर वान पीनसू को चमेली का फूल नामक लोक गीत बहुत पसंद रहा । यह गीत प्रोफेसर वान पीनसू के जन्मस्थान का प्रचलित लोकगीत है। उन की मदद से छेतानचोमा ने इसे गाने में महारत हासिल की। छेतानचोमा का कहना है कि अपनी आदरणीया प्रोफेसर वान पीनसू की याद में ही मैं ने वर्ष 1997 में अपने नये सी डी में इस मधुर गीत को शामिल करने का मन बनाया। छेतानचोमा ने कहा मैं प्रोफेसर वान पीनसू और शाहाई के संगीत कालेज की बड़ी आभारी हूं।

मित्रो यहां बता दें कि गत अगस्त की 29 तारीख को एथेंस के ओलिंपिक स्टेडियम में आयोजित 28वें ओलिंपियाड के समापन समारोह में सौ से अधिक चीनी कलाकारों ने आठ मिनट का सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किया।इस सुन्दर कार्यक्रम ने चीनी राष्ट्र के लम्बे व शानदार इतिहास व संस्कृति की झलक प्रदर्शित की और वर्ष 2008 के ओलिंपियाड के सफल आयोजन के लिए पेइचिंग शहर का पक्का संकल्प प्रकट किया। मित्रो यहां हम आप को बताना चाहते हैं कि चीनी कलाकारों के सुन्दर कार्यक्रम की शुरुआत चीन में प्रचलित जिस लोकगीत से हुई उस का नाम है चमेली का फूल। गीत के बोल हैं, चमेली का फूल है कितना सुन्दर और कितना प्यारा, उस की सुगंध फैली है चारों ओर, चमेली के फूल , ओ चमेली के फूल कितने प्यारे हो तुम ।आज हम इस सुन्दर गीत के बोल को ले कर तिब्बती गायिका छेतानचोमा और उन की आदरणीया गुरु महिला प्रोफेसर वान पीनसू को उपहार स्वरूप अर्पित करना चाहते हैं । चमेली का फूल है कितना सुन्दर और कितना प्यारा, उस की सुगंध फैली है चारों ओर, चमेली के फूल , ओ चमेली के फूल कितने प्यारे हो तुम ।

मित्रो यहां बता दें कि वर्ष 2004 के नवंबर माह में हम योजना के अनुसार अपने नियमित कार्यक्रम ( आज का तिब्बत ) में तिब्बती गायिका छेतानचोमा की कहानी पर आधारित कार्यक्रम तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं । । आप का हमारे कार्यक्रम में हार्दिक स्वागत करते हैं ।हम आप के साथ तिब्बती गायिका छेतानचोमा के सुन्दर गीतों का आनंद उठाना चाहते हैं ।