ई जाति चीन की 55 अल्पसंख्यक जातियों में से एक है , जिस की कुल जन संख्या 65 लाख है । ई जाति चीन की एक प्राचीन अल्प संख्यक जाति है , प्राचीन काल में ई जाति के पूर्वज आज के युन्नान और सछवान प्रांतों में रहते थे , वे बहुदेवताओं की पूजा करते थे , हान जाति के क्षेत्रों में रहने वाले ई लोग बौध धर्म में भी आस्था रखते हैं । आज ई जाति के लोग मुख्यतः दक्षिण पश्चिम चीन के सछवान , युन्नान , क्वोचाओ प्रांतों तथा क्वांगसी ज्वांग जातीय स्वायत्त प्रदेश में रहते हैं , सछवान प्रांत का ल्यांग शान ई जातीय स्वायत्त प्रिफेक्चर देश का सब से बड़ा ई जाति बहुल क्षेत्र हैं , जहां 18 लाख से ज्यादा ई लोग रहते हैं ।
सछ्वान प्रांत के ल्यांगशान ई जातिय स्वायत्त प्रिफेक्चर की फुग काऊंटी में आयोजित मशाल उत्सव उस का प्रमुख त्यौहार है । मशाल उत्सव ई जाति का सब से भव्य त्यौहार है । त्यौहार के दिन ई जाति के लोग आम तौर पर अग्नि देवता की पूजा करते हैं और हानिकर कीटों का विनाश करने का रस्म आयोजिक करते हैं , वे इस अनोखे रस्म के जरिए सुखमय जीवन की कामना करते हैं और अगले साल में शानदार फसल काटने की प्रार्थना करते हैं । आधुनिक युग में ई जाति के इस त्यौहार ने खेल प्रतियोगिताओं , संस्कृति तथा जातीय रीति रिवाजों का प्रदर्शन करने वाले भव्य समारोह का रूप ले लिया है ।
फुग काऊंटी में आयोजिक मशाल उत्सव के मौके पर आप को यह देखने को मिलता है कि विभिन्न स्थानों से आए ई जाति के सभी लोग त्यौहार के पोशाक पहने हुए हैं । युवतियों के शरीर पर सुन्दर वेशभूषा सुसज्जित है , हरेक युवती के हाथों में पीले रंग की छाता भी लिए हुई है । ई जाति के युवक इस मौके पर प्रायः नीले व सफेद रंगों का ऊंनी दुशाला पहनते हैं , कमर में रंगीन कमरबंद बंधे , सिर पर लाल झालर वाली बांस की टोपी है । उत्सव के दौरान पुरूषों में घुड़सवारी की दौड़ तथा बैल से लड़ने की गतिविधि आयोजित है और महिलाओं में नाच गान की होड़ चल रही है । पूरा समारोह स्थल हर्षोल्लास और उमंग में डूबा हुआ है । त्यौहार की रात ई जाति के लोग मशाल उठाए हुए विभिन्न ओर से मैदानों और पहाड़ी ढलानों में इक्टठे होने जा रहे हैं , उन के हाथों में उठाए मशाल यूं दिखाई देते है , मानो सैकड़ों अग्नि ड्रैगन उमड़ने उड़ने जा रहे हो । सभी मशाल खुले मैदान में जमा कर अलाव जलाया जाता है और गांव वासी मिल जुल कर अलावों के पास नाचते गाते रहे , यह उल्लास से भरा समारोह आधी रात तक चलती रही , मशाल उत्सव में ई जाति के लोग अनन्त खुशी के सागर में डूबे रहे और आज के सुखे जीवन पर पूरा संतोष व्यक्त हुआ ।
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