तिब्बत की यात्रा के दौरान मैं तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के लिनची प्रिफेक्चर गई , लिनची प्रिफेक्चर अपने अनोखे प्राकृतिक सौंदर्य से चीन में अत्यन्त मशहूर है , उसे तिब्बत का अनुपम सुन्दर स्थान माना जाता है । वहां रिपोर्टताज करने के समय संयोग से हमें प्रिफेक्चर के लुलांग कस्बे का प्राइमरी स्कूल देखने का अवसर मिला और वहां पढ़ने वाले तिब्बती छात्रों का पढाई जीवन जाना ।
लुलांग तिब्बती भाषा में ड्रैगन वादी है, जो समुद्र सतह से तीन हजार सात सौ मीटर ऊंची पहाड़ी वादी में बसा हुआ है । यह छोटा सा कस्बा लिनची प्रिफेक्चर की राजधानी बायी कस्बे से 80 किलोमीटर दूर सछवान तिब्बत सड़क के निकट स्थित है , ऊंचे पठार की पहाड़ी वादी में एक 15 किलोमीटर लम्बा और 1 किलोमीटर चौड़ा संकरा घास मैदान है , मैदान की दोनों ओर हरियाई आच्छादित पहाड़ों और घनी जंगलों की श्रृंखलाएं दूर दूर बढ़ी दिखाई पड़ती हैं ,जो लुलांग के वन्य सागर के नाम से मशहूर है ।
सितम्बर के एक दिन, मैं लुलांग के वन्य सागर देखने हेतु लिनची की राजधानी बायी कस्बे से रवाना हुए , पठारी मार्ग पर एक घंटा की सफर के बाद लुलांग कस्बा पहुंचे , यह एक हजार एक सौ 63 जन संख्या वाला छोटा सा कस्बा है । कस्बे का प्राकृतिक सौंदर्य बड़ा आकर्षक है , हम सब वन्य सागर की अनुठी छवियों को कैमरे में उतारने में व्यस्त रहे, संयोग का मौका है कि हम कस्बे के प्राइमरी स्कूल के पास आए । तो मौके का लाभ उठा कर मैं ने इस स्कूल की रिपोर्ट भी ले ली ।
लिनची प्रिफेक्चर का लुलांग स्कूल प्रिफेक्चर का एक अच्छी गुणवता वाला प्राइमरी स्कूल है , जब मैं स्कूल परिसर में प्रवेश कर गई , तो कक्षाओं के बीच अवकाश का समय है , खुले मैदान में छोटी उम्र के छात्र हर्षोल्लास से खेल रहे हैं , हम अजनबी को कैमरा उठाए पास आते देख वे बड़े कौतुहल हुए , लेकिन जब मैं ने उन के कौतुहल से भरे चेहरों को कैमरे में उतारना चाहा , तो वे क्षण में हंसते दौड़ते चारों ओर छंट हो गए और दूर से उत्सुकता के साथ हमें निहारते रहे । मैं ने डिजिकल कैमरे में दिखी उन की तस्वीर उन्हें दिखायी , तो वे बड़े उत्साह के साथ पॉज बना कर फोटी खिंचवाने को तैहार हुए । इस समय कक्षा की घंटी बजी , सभी छात्र तुरंत क्लास रूम में वापस गए और स्कूली परिसर एकदम शांत हो पड़ा । दो तीन मिनट बाद क्लास रूमों में बच्चों के गाने की आवाज गूंज उठी ।
सुरीली व मासूम बाल आवाज में कक्षा से पूर्व गाना गाने के बाद पढ़ाई शुरू हुई , हम स्कूल के कुलपति के कार्यालय चले और स्कूल के उप कुलपति सांपात्वनचु से मिले ।
32 वर्षीय सांपात्वनचु को इस स्कूल में पढ़ाते हुए दस साल हो चुके हैं। उन्हों ने हमें बताया कि लुलांग स्कूल की स्थापना वर्ष 1973 में हुई थी , पहले वह तुंगच्यु टाउनशिप के अधीन था , वर्ष 2000 में कस्बे की सरकार के साथ यहां स्थानांतरित हुआ । अब स्कूल में 15 अध्यापक हैं , जिन में से 13 तिब्बती हैं और अन्य दो हान जाति के हैं । लुलांग स्कूल के मकान दक्षिण चीन के सङजन शहर के फुत्यान डिस्ट्रिक्ट द्वारा सहायता में दी गई पांच लाख य्वान की धन राशि से निर्मित हुए है , लुलांग प्राइमरी स्कूल और फुत्यान डिस्ट्रिक्ट के बीच सहयोग का दीर्धकालीन संबंध कायम हुआ है।
लुलांग स्कूल में अब एक सौ 63 छात्र पढ़ते हैं , वे सभी तिब्बती हैं , जिन में से एक सौ 39 बोर्डिंग छात्र हैं , उन के खाने , आवास तथा पढने का तमाम खर्च सरकार उठाती है । इस सुविधा के चलते गरीब तिब्बती किसानों और चरवाहों के बच्चों के लिए पढ़ने की कठिनाइयां हल हो जाती है । श्री सांपात्वनचु ने हमें बताया कि अब वहां रहने वाले तिब्बती किसान और चरवाह अपने बच्चों की शिक्षा का महत्व गहन रूप से समझ गए है , इसलिए लुलांग कस्बे में सभी स्कूली उम्र वाले बच्चे स्कूल में दाखिल हो गए , स्कूली दाखिला दर सौ फीसदी तक पहुंची है । लुलांग स्कूल लिनची काऊंटी के सब से अच्छे प्राइमरी स्कूलों में से एक है । श्री सांपात्वनचु कहते हैः
लिनची काऊंटी के सभी टाउनशिपों और कस्बों की प्राइमरी स्कूली दाखिला दर शतप्रतिशत तक पहुंची है । अब यह नियम सा बन गया है कि जब कोई बच्चा सात साल का हो गया , तो वह जरूर स्कूल में दाखिल हो जाता है । स्कूल में खाने , रहने तथा पढ़ने के सभी खर्च सरकार से उठाए जाते हैं , कस्बे के अधीन 13 प्रशासनिक गांवों के बच्चे यहां मुफ्त में पढ़ते हैं ।
जब हमारे बीच बातचील चल रही है, तभी एक युवा व्यक्ति तेज कदम से कमरे में प्रवेश कर गये, वह लुलांग स्कूल के कुलपति कुंगा है । वह किसी काम के लिए सुबह सुबह अस्सी किलोमीटर दूर काऊंटी कार्यालय गया था , दोपहर बाद की कक्षा पढ़ाने के लिए दोपहर को ही वह जल्द वापस आये । तीस वर्षीय कुंगा ल्हासा के नार्मल कालेज से स्नातक हुए है , लुलांग स्कूल में वह सभी प्रशासनिक कामों की जिम्मेदारी उठाने के अलावा स्कूल की छै कक्षाओं की गणित शास्त्र और वैचारिक शिक्षा पढाने का काम भी करते हैं। श्री कुंगा का कहना है कि लुलांग स्कूल में तिब्बती भाषा को छोड़ कर अन्य सभी पाठ्यक्रम देश के भीतरी इलाके के समान हैं । लेकिन स्कूल में शिक्षकों की संख्या कम होने के कारण सभी 15 अध्यापक प्रायः एक से अधिक पाठ पढ़ाते हैं, वे बहुत मेहनती हैं , उन का काम कुछ भारी तो सही, पर बच्चों को अच्छी तरह पढ़ाने और उन के स्वस्थ विकास की गांरटी देने के लिए वे अपनी मेहनत को बड़ा मुल्यवान समझते हैं ।
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