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(GMT+08:00) 2004-11-05 18:13:35    
तिब्बती ओपेरा मंडली का परिचय

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मित्रो, इन दिनों तिब्बत स्वायत प्रदेश की ओपेरा मंडली के सदस्य सातवें चीनी कला उत्सव में भाग ले रहे हैं उन का कार्यक्रम बहुत लोकप्रिय है । क्या आप जानते हैं, सातवें चीनी कला उत्सव में तिब्बत स्वायत प्रदेश की ओपेरा मंडली के कार्यक्रम का नाम क्या है। जी हां अगर आपकी तिब्बती ओपेरा में रुचि है तो सुनिए हमारा आज का कार्यक्रम। तिब्बती युवा लोपूछीरन आप को बता रहे हैं इस बारे में।तिब्बती युवा लोपूछीरन तिब्बत स्वायत प्रदेश की जन सरकार में काम करते हैं ।हमारी संवाददाता सुश्री ल्यू हवी ने आपके लिए तिब्बती ओपेरा की जानकारी जुटाने के लिए श्री लोपूछीरन से फोन पर बात की। हमारी संवाददाता ने श्री लोपूछीरन से पूछा कि क्या उन्हें तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की तिब्बती ओपेरा मंडली के सातवें चीनी कला उत्सव में भाग लेने की जानकारी है तो उन्होंने इस पर हामी भरी और हमारे अनुरोध पर वे आप को तिब्बती ओपेरा के बारे में बहुत कुछ बताने को भी राजी हुए। श्री लोपूछीरन के अनुसार तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की तिब्बती ओपेरा मंडली इस कला उत्सव में चोवाशांमू नामक जो कार्यक्रम प्रस्तुत कर रही है वह इस नाम की तिब्बती लोककथा पर आधारित है। चोवाशांमू नाम की इस तिब्बती सुन्दरी की कहानी इस प्रकार है।तिब्बती राजा कांरावानपो की शादी हाचान नामक चुड़ैल से हुई पर उन्होंने चोवाशांमू की मदद से चुड़ैल हाचान की नजर से छुटकारा पाया और एक गंभीर बीमारी से भी मुक्त हुए। इसके बाद वे अपनी प्यारी रानी चोवाशांमू के साथ सुखमय जीवन बिताने लगे। मित्रो, तिब्बती ओपेरा कितना पुराना है,यह भी श्री लोपूछीरन आप को बता रहे हैं । श्री लोपूछीरन के अनुसार तिब्बती ओपेरा का इतिहास लगभग 5 सौ वर्ष पुराना है ।15वीं शताब्दी में तिब्बती ओपेरा की शुरुआत हुई। इस की स्थापना की कहानी कहती है कि तब तिब्बत में नदियां ही नदियां फैली थीं । नदी पार करने में स्थानीय लोगों को तरह-तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। बौद्ध अनुयायी श्री थानतूनचेपू ने इन कठिनाइयों पर विजय पाने के लिए निरंतर 3 वर्षों तक कोशिश की पर वे विफल रहे। उस का कारण था उन के पास नदियों पर पुल बनाने के लिए जरूरी धन की कमी होना। पुल निर्माण के लिए चंदा एकत्र करने के लिए श्री थानतूनचेपू ने 7 सुन्दर युवतियों के साथ गांव-गांव जा कर तिब्बती ओपेरा प्रस्तुत करना शुरू किया। यह कोशिश सफल रही और श्री थानतूनचेपू के नेतृत्व में पुल कायम कर लिया गया। श्री थानतूनचेपू की याद करते बहुत से लोग अब भी कहते हैं कि वे ही तिब्बती ओपेरा के संस्थापक हैं। मित्रो, इन तिब्बती युवतियों ने गांव-गांव जा कर तिब्बती ओपेरा प्रस्तुत किया और इस तरह एकत्रित धन दान के रूप में पुल के निर्माण के लिए अर्पित कर दिया। उन का आभार प्रकट करने के लिए तिब्बती ओपेरा का नाम रखा गया आचेलामू । तिब्बती शब्दों आचे का अर्थ है दीदी और लामू का है देवी । यहां आप को बता दें कि इधर के वर्षों में तिब्बती ओपेरा का बड़ा विकास हुआ है। आज तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की हर काउंटी में एक नहीं अनेक तिब्बती ओपेरा मंडलियां कायम हैं। तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की ये ओपेरा मंडलियां जापान और मंगोलिया जैसे देशों की यात्रा कर चुकी हैं। उन के सुन्दर कार्यक्रम देश-विदेश में बहुत लोकप्रिय रहे हैं। मित्रो, शायद आप को याद हो,अपने तिब्बती बंधु श्री लोपूछीरन से आप मिल भी चुके हैं। श्री लोपूछीरन का एक सुन्दर फोटो हमारे प्रकाशन श्रोता वाटिका में भी छपा है। वे पेइचिंग स्थित तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के कार्यालय में काम करते हैं और पहले पेइचिंग के तिब्बती मिडिल स्कूल में पढ़ते थे। पेइचिंग के तिब्बती मिडिल स्कूल से निकलने के बाद उन्हें कालेज में पढ़ने का भी मौका मिला। कालेज से निकलने के बाद लोपूछीरन ने तिब्बत स्वायत्त प्रदेश वापस लौट कर स्वायत्त प्रदेश की जन सरकार के लिए काम किया। वर्ष 2002 में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की जन सरकार ने उन्हें पेइचिंग स्थित स्वायत्त प्रदेश के कार्यालय में काम करने भेजा। तब से अब तक लोपूछीरन इस कार्यालय में काम करते आये हैं ।

मित्रो, चीन लोक गणराज्य के राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर तिब्बती युवा लोपूछीरन मातृभूमि के विकास और विभिन्न जातियों की एकता की शुभकामना करते हैं।इस अवसर पर विशेष रूप से प्रसन्न लोपूछीरन आप के लिए एक तिब्बती लोकगीत भी प्रस्तुत कर रहे हैं। इस गीत में मातृभूमि की समृद्धि की कामना की गई है।

मित्रो,श्री लोपूछीरन को हिंदी भाषा में बड़ी रुचि है।लोपूछीरन आप से दोस्ती करना चाहते हैं। हमारी संवाददाता की मदद से लोपूछीरन ने हिंदी के कुछ वाक्यांश सीखने की कोशिश की। उन की कोशिश कितनी सफल रही यह आप उनकी हिंदी में अपनी आशा की अभिव्यक्ति सुन कर जान ही लेंगे। श्री लोपूछीरन की हिंदी की हमारी संवाददाता ने प्रशंसा ही की।

मित्रो, लोपूछीरन के अनुरोध पर हम आप को शुभकामना नामक तिब्बती गीत सुनवा रहे हैं। गीत की प्रस्तुति तिब्बती गायिका छेतानचोमान और उन के साथियों की हैं । गीत में चीन लोक गणराज्य की विभिन्न जातियों की एकता की शुभकामना प्रकट की गयी है।