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(GMT+08:00) 2004-11-05 14:40:30    
उत्तरी सुङ राजवंश की स्थापना

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पांच राजवंशों के जमाने में सामन्ती शक्तियों के बीच की निरन्तर लड़ाइयों के कारण सामाजिक अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचा था। 960 में उत्तरकालीन चओ राजवंश के शाही रक्षकों के कमांडर चाओ ख्वाङइन (927-976) ने एक सशस्त्र राजविप्लव कर स्वयं को सम्राट घोषित कर दिया और अपने राज्य का नाम सुङ रखा, जो इतिहास में उत्तरी सुङ राज्य (960-1126) के नाम से मशहूर हुआ। उस ने खाएफ़ङ को अपनी राजधानी बनाया और उसका नाम बदलकर प्येनचिङ रख दिया। चाओ ख्वाङइन सुङ राजवंश के प्रथम सम्राट थाएचू के नाम से प्रसिद्ध हुआ। उस ने अनेक स्थानीय राज्यों को जीतकर अधिकांश चीन को एक कर दिया।

उत्तरी सुङ राजवंश के प्रारम्भिक काल में सम्राट थाएचू ने स्थानीय पृथकतावादी राज्यों के पुनः उदित होने की रोकथाम के लिए देश में एक एकीकृत केन्द्रीय राजसत्ता कायम करने की दिशा में अनेक कदम उठाए। उस ने बड़े-बड़े सैन्यक्षेत्रों (कमानों) के अधिकार केन्द्रीय सरकार के हाथ में दे दिए और विभिन्न स्थानों के सैनिक व प्रशासनिक मामलों की देखभाल के लिए असैनिक अफसरों को नियुक्त किया। साथ ही उसने महत्वपूर्ण सूबों में सूबेदारों के अधिकार नियंत्रित करने के लिए निरीक्षक भी नियुक्त किए। स्थानीय वित्तीय मामलों के प्रबंध का अधिकार परिवहन दूतों को सौंप दिया गया और स्थानीय अधिकारियों के अधिकार सीमित कर दिए गए। सेनाओं के स्थानान्तरण का अधिकार केवल केन्द्रीय सरकार की प्रिवी कौंसिल के हाथ में ही रखा गया।

उत्तरी सुङ राजवंश के काल में कृषि और दस्तकारी का और ज्यादा विकास हुआ। मध्यवर्ती मैदान और उत्तरी चीन में सघन खेती पर जोर दिया गया और जमीन जोतने के लिए लोहे के हल , जमीन को समतल बनाने के लिए लोहे के पाटे तथा निराई के लिए कंटिया खुरपी का प्रयोग किया जाने लगा। दक्षिणी चीन में खेतों की सिंचाई के लिए लकड़ी या बांस के रहट का व्यापक रूप से इस्तेमाल शुरु हो गया। धान की खेती का प्रसार हुआ तथा बढिया किस्म के धान के बीज काम में लाए जाने लगे। कपास की खेती दक्षिणी चीन के दूरवर्ती फूच्येन और क्वाङतुङ प्रान्तों तक की जाने लगी तथा गन्ना और चाय उगाने के काम में भी बहुत तरक्की हुई । चाय के बगीचे छाङच्याङ नदी और ह्वाएहो नदी के इलाकों तथा क्वाङतुङ व क्वाङशी प्रान्तों में दूर-दूर तक दिखाई देने लगे।

सुङ राजवंश के जमाने में सोने, चांदी, तांबे, लोहे, सीसे और रांगे का खनन व उत्पादन थाङ राजवंश के मुकाबले बढ़ गया। कोयले का उत्पादन तो और भी ज्यादा बढ़ा। लोहा गलाने की वर्कशापों में ईंधन के रूप में कोयले का इस्तेमाल होने से बेहतर क्वालिटी का लोहा बनाया जाने लगा। चीनीमिट्टी का सामान सुङ काल के दस्तकारी उद्योग का एक मशहूर भट्ठियां थीं :क्वानयाओ भट्ठी, तिङयाओ भट्ठी, रूयाओ भट्ठी,च्युनयाओ भट्ठी, कयाओ भट्ठी और चिङतेचन भट्ठी । अन्तिम भट्ठी का नाम चिङते सुङ राजवंश के सम्राट चनचुङ के चिङते वर्षनाम(1004-1007) पर रखा गया था। इस जमाने में कपड़ा बुनने और पोतनिर्माण की तकनीक में भी बहुत तरक्की हुई।

सुङ राजवंश का वाणिज्य भी अपने पूर्ववर्ती थाङ राजवंश की तुलना में कहीं विकसिता था। प्येनचिङ, छङतू, शीचिङ, च्याङलिङ, याङचओ , क्वाङचओ, छ्वेनचओ, हाङचओ और मीचओ उस समय के महत्वपूर्ण व्यापारिक नगर थे। प्येनचिङ उत्तरी सुङ काल में देश का सबसे बड़ा शहर था, जिसकी परिधि कोई 20 किलोमीटर थी। इस शहर में सड़कों का अच्छा खासा जाल बिछा हुआ था और बहुत सी दुकानें थीं। सुङ काल के चित्रकार चाङ चत्वान द्वारा बनाए गए" छिङमिङ त्योहार के मौके पर नदीतट का दृश्य "नामक चित्र में , जो अब भी पूरी तरह सुरक्षित है, उस जमाने के प्येनचिङ शहर की "छिङमिङ"त्योहार के मौके पर प्येनहो नदी के दोनों किनारों की व्यापारिक चहल पहल सजीव रुप से उतार दी गई है। देहाती बाजार हाटों में भी बड़ी चहल पहल रहा करती थी। सुङ राजवंश के सम्राट श्वेनचुङ (शासन काल 1067-1085) के जमाने के में थाङ राजवंश के सम्राट श्वेनचुङ के जमाने के मुकाबले 17 गुना ज्यादा मुद्रा का प्रचलन हो गया था। सछ्वान में कागजी मुद्रा भी पहली बार जारी की गई। सम्राट चनचुङ के शासनकाल में सछवान के सोलह धनी व्यापारियों ने संयुक्त रूप से अपनी एक कागजी मुद्रा छपवाई, जिसे च्याआच कहते थे। 1023 में सम्राट रनचुङ ने एक कागजी मुद्रा ब्यूरो कायम किया और तब से नोट छापने का काम व्यापारियों के बजाय सरकार द्वारा किया जाने लगा। इसलिए च्याओच चीन में मुद्रित सबसे पहली कागजी मुद्रा थी, जिस का प्रचलन सुङ राजवंश काल की आर्थिक समृद्धि का द्योतक था।