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(GMT+08:00) 2004-11-04 16:28:26    
चीन में बुनियादी विज्ञान व शिक्षा के कार्य के विकास के बारे में

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चीन ने बुनियादी संस्थाओं में विज्ञान व तकनीक लोकप्रिय बनाने के कार्य में तेज़ी लाना शुरु किया है। चीनी विज्ञान व तकनीक मंत्रालय ने गुरुवार को इस बात को लेकर एक विशेष सम्मेलन बुलाया।चीनी स्टेट कांसलर सुश्री छन ची ली ने सम्मेलन में कहा कि बुनियादी संस्थाओं में वैज्ञानिक व तकनीकी कार्य में तेज़ी लेनेके ज़रिये नागरिकों को वैज्ञानिक व तकनीकी प्रगति से लायी गयी सुविधा का उपभोग कराया जा सके । चीन ने विज्ञान व तकनीक के सहारे अपने देश के पुनरुत्थान की रणनीती करते हुए वैज्ञानिक व तकनीकी प्रगति को आर्थिक व सामाजिक विकास के महत्वपूर्ण स्थान पर ऱखा है ।और क्रमशः महत्वपूर्ण कदम उठाये ।गत वर्ष चीन के मानव सहित अंतरिक्षयान शनचओ नम्बर पांच ने अंतरिक्ष की यात्रा की। इस वर्ष चीन में तैयार उच्च क्षमता वाला कंप्युटर शूक्वांग चार हजार ए विश्व में पांच सौ उच्च क्षमता वाले कंप्युटरों के दसवें स्थान पर आया है । बावजूद इस के पिछले एक अरसे तक चीन की बुनियादी संस्थाओं में वैज्ञानिक व तकनीकी कार्य अपेक्षाकृत कमज़ोर है । चीन की एक अरब तीस करोड़ जनसंख्या में बाल बच्चों की संख्या तीस करोड़ से अधिक है । इसलिये सभी बच्चों को आरंभिक और आधुनिक शिक्षा देना चीन सरकार का अथक प्रयास ही है । वर्ष उन्नीस सौ ब्यानवे में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की चौदहवीं राष्टीय प्रतिनिधि सभा मे यह प्रस्तुत किया गया था कि बीसवीं शदाब्ती के अन्त तक देश भर में नौ सालों की अनिवार्य शिक्षा कायम की जाएगी , यानी सभी बच्चों को प्राइमरी व मिडिल स्कूलीय शिक्षा दी जाएगी । साथ ही देश के सभी प्रौढ़ों में साक्षरता कायम करना होगा । चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और चीन सरकार की अथक कोशिशों से इधर दस वर्षों में चीन की बुनियादी शिक्षा में उल्लेखनीय प्रगतियां प्राप्त हो चुकी हैं । दक्षिण पूर्वी चीन के च-च्यांग प्रांत की शानशी टाउनशिप पहाड़ियों में स्थित है । यहां का आर्थिक स्तर पिछड़ा है और किसानों का जीवन स्तर बेचारा भी है । सभी बच्चों को स्कूल में दाखिला कराने के लिये स्थानीय सरकार ने कुछ उद्यमियों की सहायता से एक नये प्राइमरी स्कूल इमारत का निर्माण किया । रोशनीदार क्लासरूम में पढ़ती हुई एक दस वर्षीया लड़की ने खुशी से कहा , पहले हमारे स्कूल का सिर्फ एक फटा हुआ मकान था , मकान का प्रथम मंजिल क्लासरूम था और दूसरा मंजिल निवास । जब वर्षा होती थी , तब पानी मकान के छप्परों से टपक रहा । आज हमारी नयी इमारत हो गयी है । हम नये क्लासरूम में खुशी से अध्ययन कर सकते हैं । स्कूल की स्थिति का सुधार किया जाने के बाद अध्यापकों को यहां काम करने के लिये प्रेरित किया गया है । स्कूल के आसपास बारह गांवों के सभी किसान लोगों ने अपने बच्चों को यहां भेजे हैं । उन गरीब घरों के बच्चे भी सरकार या दूसरे लोगों की मदद से स्कूल में अध्ययन करने आये हैं । इस प्राइमरी स्कूल के प्रभारी ने कहा कि हमारे स्कूल की स्थिति अच्छी रहती है । हमारी टाउनशिप में शत प्रतिशत बच्चों को स्कूल को दाखिला कराया चुका है । इधर के वर्षों चीन सरकार ने नौ वर्षीय अनिवार्य शिक्षा का लक्ष्य कायम करने के लिये ज्यादा खर्च डाला । वर्ष दो हजार एक में चीन सरकार का शिक्षा खर्च चार खरब साठ अरब युवान रहा , जो पिछले साल से बीस प्रतिशत अधिक रहा । जिस में बुनियादी शिक्षा के खर्च में और ज्यादा वृद्धि हो चुकी है । इस बीच चीन सरकार ने गरीब क्षेत्रों में अनिवार्य शिक्षा योजना लागू की है । शिक्षा के प्रति समाज का ध्यान भी दिन प्रति दिन बढ़ता जा रहा है । वर्ष नब्बे दशक में शुरू की गयी आशा परियोजना से चीन में बुनियादी शिक्षा का उद्धार करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की गयी है । इधर दस सालों में आशा परियोजना को देश विदेश से कुल दो अरब यवान की चंदा प्राप्त हो गयी है , जिस से देश में कुल बच्चीस लाख गरीब छात्रों की मदद मिल चुकी है और लगभग नौ हजार प्राइमरी स्कूलों का निर्माण इसी खर्च से किया गया है । इस के सिवा चीन के बहुत से स्कूलों में शिक्षा उपायों का सुधार भी किया जा रहा है , जिस का मकसद छात्रों की गुणवत्ता को उन्नत करना है । पश्चिमी चीन के छींगहाई प्रांत की पींग-आन कांऊटी के नम्बर 1 प्राइमरी स्कूल की अध्यापिका ने अपनी चीनी भाषा कक्षा को नाट्य कक्षा बनायी , उन्हों ने पाठ्य पुस्तक के अनुसार तरह तरह के नाट्य लिखती हैं , और छात्रों को नाट्य का अभियान करवाने के जरिये चीनी भाषा हासिल की जाती है । सुश्री हान ने कहा , छात्रों को मेरी कक्षा बहुत पसंद है , वे इसी से और अच्छी तरह और आसानी से चीनी भाषा की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं । मेरा विचार है कि छात्रों को अध्ययन करने में खुशी और इच्छा भी चाहिये । आजकल चीन के शिक्षा प्रबंध विभाग सुश्री हान जैसे के शिक्षा उपायों का जोरदार विस्तार करने का प्रयास कर रहे हैं । उम्मीद है कि और अधिक छात्र हल्के और प्रसन्न माहौल में अध्ययन कर सकेंगे । इस के साथ चीन के प्राइमरी व मिडिल स्कूलों के कार्यक्रमों का सुधार भी किया जा रहा है । पहले चीन के विभिन्न क्षेत्रों के सभी स्कूलों में एक ही पाठ्य पुस्तक का प्रयोग किया जाता था , अब दसेक प्रकाशनघरों को सरकार से पाठ्य पुस्तकों का प्रकाश करने का अधिकार मिल पाया है , और उन के पाठ्य पुस्तकों की अपनी अपनी विशेषताएं हैं । इसलिये विभिन्न क्षेत्रों के स्कूल भी अपनी विशेषता के अनुसार पाठ्य पुस्तक चुन सकते हैं । वर्ष दो हजार एक से चीनी शिक्षा मंत्रालय ने देश के सभी प्राइमरी व मिडिल स्कूल में विदेशी भाषा और सूचना कक्षा रखना शुरू किया , यहां तक कि देश के पिछड़े ईलाकों के स्कूल में भी विदेशी भाषा सीखने लगी है । ऊरूमची के एक प्राइमरी स्कूल की अध्यापिका सुश्री स्वीडा ने कहा कि उन के स्कूल में मुख्य तौर पर छात्रों को अंग्रेजी की बातचीत सिखायी जी रही है , उद्देश्य है कि छात्रों की अंग्रेजी सीखने की सदिच्छा पैदा करना है । अंग्रेजी को छोड़कर कंप्यूटर की जानकारी भी बहुत महत्वपूर्ण है । कंप्यूटर का प्रस्तार देश भर में तेजी से होता जा रहा है । बहुत से प्राइमरी स्कूलों में कंप्यूटर कक्षा खोली गयी है । आंकड़े बताते हैं कि वर्ष दो हजार एक में चीन के प्राइमरी व मिडिल स्कूलों को कुल तीस लाख कंप्यूटर प्राप्त हो चुकी थी , और यह संख्या दिन ब दिन बढ़ती जा रही है । शिक्षा में सूचना तकनीक का और ज्यादा प्रयोग किया जाएगा ।