आजमगढ़ उत्तर प्रदेश के मासूद अहमद आजमी और मऊनाथ भंजन उत्तर प्रदेश के फैज अहमद फैज ने अपने पत्र में पूछ लिया कि ब्रिटेन ने हांगकांग पर किस साल में और कैसे कब्जा किया था।
हांगकांग, दक्षिणी चीन के क्वांगतुंग प्रांत के निकट है। उसका कुल क्षेत्रफल 1095 वर्ग किलोमीटर है, और उस में हांगकांग द्वीप, च्यु लूंग प्रायद्वीप और शिनज्ये शामिल हैं। हांगकांग की कुल जनसंख्या अब 66 लाख 90 हजार है। हांगकांग का मौसम समुद्री अर्द्ध-उष्ण कटिबंधी है। उसका विक्टोरिया बंदरगाह विश्व के तीन सर्वश्रेष्ठ प्राकृतिक बंदरगाहों में से एक है। एशिया-प्रशांत क्षेत्र का अंतरराष्ट्रीय बैंकिगं, व्यापार, जहाजरानी, पर्यटन और सूचना आदि क्षेत्रों में हांगकांग एक महत्वपूर्ण केन्द्र है।
हांगकांग को विश्व का नंबर एक मुक्त व्यापार क्षेत्र भी माना जाता है, बंदरगाह में उतारते-चढ़ाते कंटेनरों और हथघड़ियों व खिलौनों के निर्यात की दृष्टि से यह विश्व में प्रथम स्थान पर है, साथ ही इसका कपड़ों का निर्यात, आभूषण व सोने का बाजार, विदेशी मुद्रा बाजार,बैंकिंग व्यवसाय का कुल मूल्य और विदेशी मुद्रा भंडार सब कुछ विश्व स्तर का है।
2200 वर्ष से भी अधिक समय पूर्व, हांगकांग चीन के छिन राजवंश की सत्ता के अधीन था। हांगकांग सवाल छिंग राजवंश काल में उत्पन्न हुआ । 19 वीं सदी में, समुद्र पर प्रभुत्व जमाने वाले ब्रिटेन ने अपने शक्तिशाली नौ सैनिक बेड़ों के जरिए हांगकांग, च्युलूंग प्रायद्वीप और शिनज्ये पर कब्जे का प्रयास शुरू किया। उस वक्त चीन ब्रिटेन व्यापार का संतुलन चीन के पक्ष में था। पर चीन को अफीम का बड़ी मात्रा में निर्यात किए जाने से चीन को विदेश व्यापार में गंभीर घाटा उठाना तो पड़ा ही, चीनी जनता को शारीरिक व मानसिक क्षति भी झेलनी पड़ी। सन् 1839 में, श्री लीन जे श्वी ने छिंग राजवंश की सत्ता के विशेष दूत की हैसियत से क्वांगचओ जाकर अफीम पर पाबंदी लगानी शुरू की, और सारी बरामद अफीम को आग केतकहवाले भी की गई।
जून 1840 में, प्रथम "अफीम युद्ध"छीड़ा। ब्रिटिश सेना ने उत्तरी चीन के थ्येनचिन शहर के समीपस्थ समुद्री तट पर चढ़ कर शस्त्र बल से चिंग सरकार पर वार्ता का डबाव डाला। 26 जनवरी 1842 को, ब्रिटिश सेना ने हांगकांग के समुद्री तट पर चढ़ाई कर उस पर कब्जा करना शुरू किया और 1842 में, ब्रिटेन के सैनिक दबाव में चीन और ब्रिटेन के बीच हांगकांग के प्रशासन का अधिकार ब्रिटेन को हस्तांतरित करने की असमान संधि संपन्न हुई।
अक्टूबर 1858 में, ब्रिटेन ने चीन से और लाभ हासिल करने के लिए द्वितीय अफीम युद्ध छेड़ा। 1860 में ब्रिटेन ने पहले सेना भेज कर ज्यूलूंग प्रायद्वीप पर कब्जा किया, और फिर फ्रांसीसी सेना के साथ मिल कर चीन की राजधानी पेइचिंग पर हमला करके उसकी कब्जा में लेने की कोशिश की। इस के बाद चीन और ब्रिटेन के बीच दूसरी असमान संधि हुई, जिस में 清सरकार को विवश हो कर ज्युलूंग के प्रशासन भी ब्रिटेन कोसौंपना पड़ा।
सन् 1898 में चीन और ब्रिटेन के बीच तीसरी असमान संधि हुई। इस संधि के तहत ब्रिटेन ने 99 साल यानी सन् 1997 तक शिनज्ये के पट्टे पर प्रशासन का अधिकार प्राप्त किया।
इन तीन असमान संधियों ने चीन को अपमानित किया था, इस लिए छिंग राजवंश के बाद की हर किसी चीन सरकार ने इन संधियों को मान्यता न दी। 1949 में नए चीन की स्थापना के तुरंत बाद ही चीन लोक गणराज्य की सरकार ने इन तीनों संधियों को अस्वीकार करते हुए दोहराया कि हांगकांग चीन की प्रादेशिक भूमि का एक अंग है। चीन समुचित समय पर हांगकांग को उस में वापस लौटाएगा।
सन् 1982 में चीन और ब्रिटेन के बीच हांगकांग सवाल पर वार्ता शुरू हुई। इस वर्ष सितंबर में ब्रिटिन प्रधान मंत्री सुश्री मार्ग्रीट थैचर चीन की यात्रा के लिए पेइचिंग में निमंत्रित रहीं। अपनी चीन यात्रा के दौरान, उन्होंने चीनी नेताओं के साथ हांगकांग के भविष्य पर विचारों का आदान-प्रदान किया। दोनों पक्षों ने हांगकांग की समृद्धि व स्थिरता बरकरार रखने के लिए कूटनीतिक वार्ता चलाने का निर्णय लिया।
जून 1983 में तत्कालीन चीनी नेता श्री तंग श्याओ फिंग ने " एक देश दो व्यवस्थाएं" की अवधारण्ल पेश की। इस के मार्गदर्शन में हांगकांग सवाल का समाधान बेरोकटोक ढंग से पूरा हुआ। 19 दिसंबर 1984 को, चीन लोकगणराज्य और ब्रिटेन की सरकारों ने पेइचिंग में 《 हांगकांग सवाल संबंधी संयुक्त वक्तव्य 》पर हस्ताक्षर किए। संयुक्त वक्तव्य ने घोषणा की कि चीन लोकगणराज्य की सरकार ने 1 जुलाई 1997 से हांगकांग में अपनी प्रभुसत्ता को बहाल करने का निर्णय लिया है और ब्रिटेन इस दिन हांगकांग को चीन लोकगणराज्य को हस्तांतरित करेगा।
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