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(GMT+08:00) 2004-11-01 16:23:01    
हुंग व्येन के चरवाहों का नया जीवन

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हुंग व्येन काउंटी विश्व की छत माने वाले छिंगहाई-तिब्बत पठार के पूर्वी भाग और आ बा तिब्बती व छांग जाति प्रिफेक्चर के मध्य में स्थित है,।उस की औसत ऊंचाई है3600 मीटर। हुंग व्येन का कुल क्षेत्रफल 8 करोड़,40 लाख वर्गमीटर औऱ जनसंख्या 38 हजार है, जिस का 74% तिब्बती जाति है। पशुपालन यहां का प्रमुख व्यवसाय है। हुंग व्येन के प्राकृतिक घास मैदान का क्षेत्रफल 11580 हजार मू यानी लगभग 772 हेक्टर है। लम्बे अरसे से यहां के चरवाहे घुमंतू जीवन बिताते रहे हैं। इस तरह का जीवन बहुत कठिन होता है। खैर 1980 के दशक के अंत में इस काउंटी ने अपने चरवाहों के लिए मकानों का निर्माण करना शुरू किया और आज वहां अनेक सुन्दर नयी बस्तियां स्थापित हो चुकी हैं।

पश्चिमी चीन के सी छ्वान प्रांत के दौरे में जब हमारी गाड़ी आ बा प्रिफेक्चर की राजधानी मार्खांग से एक चौड़े घास मैदान पर पहुंची तो हम ने उस घास मैदान में ढेर सारी नीलगायों को आराम से हरी घास चरते देखा। वहां तिब्बती विशेषता वाले कई बड़े और नये घर भी हमें नजर आये। और हमने अंदाज लगाया कि शायद यही चरवाहों की नयी बस्ती हो तो हमारे साथ चल रहे स्थानीय लोगों ने हमारे अनुमान को सही बताया।

जब हम ने वा छे गांव की चरवाहा बस्ती में प्रवेश किया, तो तिब्बती कुत्ते इस तरह भौकने लगे मानो हमारा स्वागत कर रहे हों। चायांगचाशी नामक चरवाहे ने द्वार पर आकर हमारा स्वागत किया। 65 वर्षीय इस तिब्बती चरवाहे के चार बेटे हैं। चायांगचाशी का घर दोमंजिला इमारत है। हर मंजिल में तीन कमरे हैं और पूरा मकान बहुत बड़ा व उज्ज्वल दिखता है। इस इमारत में चायांगचाशी के परिवार के छैः सदस्य रहते हैं। अपने आज के जीवन की चर्चा करते हुए चायांगचाशी बहुत गर्व का अनुभव करते हैं। मेरे पास कुल 200 भेड़ें और 200 नीलगाय है औऱ कोई चार हजार मू या लगभग 266 हेक्टर घास मैदान। मेरे परिवार की वार्षिक आय 10 हजार य्वान है। पहले की तुलना में अब मेरा जीवन बहुत अच्छा है। वर्ष 1949 में चीन की मुक्ति होने से पहले हमारा जीवन बहुत ही कठिन था। तब हम अकसर खाना तक नहीं खा पाते थे। 1960 के दशक में, मेरी कमाई से केवल परिवार भरपेट खाने में समर्थ हुआ और 1990 के दशक से मेरा जीवन दिन ब दिन बेहतर होने लगा।

श्री चायांगचाशी ने बताया कि उन के गांव के अनेक चरवाहों के पास अब अपनी गाड़ियां हैं और उन के पास भी एक मोटर है जबकि पहले वे इस की कल्पना तक नहीं कर पाते थे। वा छे गांव के कुछ चरवाहों के पास 5 सौ से लेकर 6 सौ तक नीलगायें हैं। श्री चायांगचाशी ने बताया, हरेक नीलगाय का बाजार दाम दो से तीन हजार य्वान होता है। श्री चायांगचाशी ने कहा स्थानीय सड़क परियोजना के अमल में लाने से लोगों को भारी लाभ मिला है। 

हर काउंटी तक सड़क बिछाने की परियोजना चीन सरकार द्वारा अल्पसंख्यक जाति बहुल क्षेत्रों के विकास को गति देने और देश के पश्चिमी भाग के विकास के लिए उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है। आ बा प्रिफेक्चर ने वर्ष 2001 से इस परियोजना का कार्यान्वयन शुरू किया और 2003 में वह इसे प्रारंभिक रूप से समाप्त करने में सफल रहा। अब आ बा प्रिफेक्चर की राजधानी मार्खांग से इस प्रिफेक्चर की 13 काउंटियों तक 875 किलोमीटर लम्बी सड़क बिछ चुकी है। इसने प्रिफेक्चर के 5लाख से अधिक की आबादी की बाहर जाने की कठिनाई बुनियादी तौर पर दूर कर दी है। आ बा प्रिफेक्चर में यातायात में आमूल परिवर्तन आया है। हुंग व्येन काउंटी के यातायात ब्यूरो के प्रधान श्री मो छ्वेन यो ने कहा, पहले यहां की सभी सड़कें मिट्टी की थीं। धूप वाले दिनों में वे धुएं से भरी रहती थीं और वर्षा के दिनों में कीचड़ से। तब गाड़ी से हुंग व्येन से मार्खांग जाने में आधा दिन लगता था, जबकि आज यह दूरी केवल तीन घंटे में तय की जा सकती है।

यातायात में आये इस परिवर्तन से बाहरी दुनिया के साथ चरवाहों का संपर्क भी बढ़ गया है और उन की विचारधारा में भी परिवर्तन आया है। पहले यहां के चरवाहे केवल पशुपालन करते थे पर अब कुछ बाहर जाकर भी काम करने लगे हैं। इनमें से कुछ ने सड़कों के पास तिब्बती शैली के होटल या रेस्तरां खोल लिये हैं। हुंग व्येन काउंटी के महानिदेशक श्री लू च्वन ने बताया,सड़कों के निर्माण से हमारी काउंटी को बड़ा लाभ मिला। पहले यहां हर वर्ष केवल 20 हजार पर्यटक आते थे, जबकि वर्ष 2003 में 88 हजार पर्यटक आए। वर्ष 2004 के सितम्बर तक, आने वाले पर्यटकों की संख्या 1 लाख 50 हजार तक जा पहुंची थी।

हुंग व्येन काउंटी के वा छे गांव की सरकार ने चरवाहों की नयी बस्तियों को तिब्बती शैली के पर्यटन व्यवसाय के लिए प्रोत्साहित किया। वर्ष 2003 में गांव की नयी बस्ती देश-विदेश के 3000 से ज्यादा यात्रियों का सत्कार कर चुकी थी। वर्ष 2003 में वहां के प्रत्येक परिवार की पर्यटन से प्राप्त आय 10 से 50 हजार य्वान के बीच थी।