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(GMT+08:00) 2004-10-28 17:55:56    
पुरानी पुस्तकों व चित्रों की सच्चाई की जांच करने का विशेष यंत्र

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चीन की असंख्यक पुरानी पुस्तकें व चित्रें हैं । इन की सच्चाई या बनावटी की जांच करने का कौशल हमेशा कुछेक व्यक्तियों के हाथ में बना रहा है । कुछ व्यक्ति विशेष तौर पर इस काम में लगे हुए हैं , और उन्हें इस तरह पुरानी पुस्तकों व चित्रों की सच्चाई की जांच करने का मास्टर कहलाता है । लेकिन मास्टरों का कौशल आम तौर पर इन की व्यक्तिगत अनुभव से जुड़ा है । इस में अनुभवी मास्टर भी अक्सर गलतियां बनाते हैं । इस लिए कुछ चीनी तकनीशियनों ने उच्च तकनीक के जरिये पुरानी पुस्तकों व चित्रों की सच्चाई की जांच करने का प्रयास किया है और भारी प्रगतियां प्राप्त कीं । पेइचिंग अध्यापन विश्वविद्यालय की प्रोफेसर ओयांग छीमींग ने स्पेक्ट्रमी यंत्र नामक मशीन से पुरानी पुस्तकों की सचचाई का तुरंत ही पता लगाने में सफल किया है । इन के स्पेक्ट्रमी यंत्र को पुरानी पुस्तकों व चित्रों के ऊपर रखा जा , तो यंत्र नीचे पुरानी पुस्तकों व चित्रों के अक्षर, निशानों व कागज़ की सामग्रियों का डेटा को एकत्र कर सकेगा । फिर इन डेटा की सच्चाई, पुरानी पुस्तकों व चित्रों से प्राप्त डेटा के साथ तुलना की जाएगी । अगर ये डेडा एक ही है , तो पुरानी पुस्तकों की सच्चाई का प्रमाण किया जा सकता है । प्रोफेसर ओयांग छीमींग पुरानी पुस्तकों व चित्रों की सच्चाई का पता लगाने की मास्टर नहीं हैं । लेकिन उन्हों ने अपने स्पेक्ट्रमी यंत्र से दवाओं की जांच करते समय इस का पता लगाया कि इस यंत्र का , पुरानी पुस्तकों व चित्रों की सच्चाई का पता लगाने में भी इस्तेमाल किया जा सकता है । प्रोफेसर ओयांग छीमींग ने अपने यंत्र का परिचय देते हुए कहा , विभिन्न प्राचीन काल में प्रयुक्त स्याही और पेंट सामग्री भी अलग हैं । इसलिए स्पेक्ट्रमी यंत्र से भिन्न पुरानी पुस्तकों व चित्रों की सामग्रियों की तुलना करने से इन पुस्तकों व चित्रों का युग तय किया जा सकता है । लेकिन इस में यह भी चर्चित है कि ऐसे स्पेक्ट्रमी यंत्र के प्रयोग से मूल्यवान पुराने पुस्तकों व चित्रों को कोई क्षति पहुंचाएगी कि नहीं । क्योंकि पुरानी पुस्तक और चित्र सब को रोशनी से बचाया जाना चाहिये । इस बात की चर्चा करते हुए प्रोफेसर ओयांग छीमींग ने कहा कि सूर्य और कैमरे के फ्रैश की रोशनी पुरानी पुस्तकों और चित्रों के लिए हानिकारक है , पर स्पेक्ट्रमी यंत्र की रोशनी बहुत हल्की है , इस के प्रयोग से इन पुस्तकों को कोई क्षति नहीं पहुंचायी जा सकेगी । हाल ही में प्रोफेसर ओयांग छीमींग और उन के विश्वविद्यालय ने चीनी सांस्कृतिक अवशेष संरक्षण विभागों के साथ कुछ पुरानी पुस्तकों तथा चित्रों के स्पेक्ट्रमी डेटा का ग्रहण करने का काम शुरू किया है और एक डेडा बैंक स्थापित किया है । बाद में इस डेडाबैंक के जरिये पुरानी पुस्तकों व चित्रों की सच्चाई की जांच की जा सकेगी । प्रोफेसर ओयांग छीमींग ने अपनी स्पेक्ट्रमी तकनीक का आगे परिचय देते हुए कहा कि हम ने अभी तक चीन के विभिन्न राजवंशों में निर्मित कागज़ की सामग्रियों के स्पेक्ट्रमी डेडा एकत्र किये हैं । विभिन्न राजवंशों के कागज़ों की सामग्रियों का डेडा भी अलग है , इसलिए हम इस के आधार पर विभिन्न राजवंशों की पुरानी पुस्तकों व चित्रों का पता लगा सकेंगे । प्रोफेसर ओयांग छीमींग और उन के स्ड्यूडियो अभी भी जी रहे आधुनिक चित्रकारों का डेडा भी एकत्र कर रहे हैं । क्योंकि विभिन्न चित्रकारों की रचनाओं के स्पेक्ट्रमी डेडा भी अलग अलग हैं । इन की तुलना करने से आसानी से विभिन्न चित्रकारों की रचनाओं को एक दूसरे से अलग किया जा सकता है । प्रोफेसर ओयांग छीमींग और उन की स्पेक्ट्रमी तकनीक ने, समाज में व्यापक तौर पर ध्यान आकर्षित किया है । चीनी राजकीय संग्रहालय के अनुसंधानकर्ता श्री शी शू छींग ने कहा कि प्रोफेसर ओयांग छीमींग का स्पेक्ट्रमी यंत्र बहुत अच्छा है , जो पुरानी पुस्तकों व चित्रों की सच्चाई की जांच करने में बहुत मददगार है । लेकिन उन का यह विचार भी है कि प्राचीन काल में विभिन्न चित्रकारों ने समान सामग्री का प्रयोग कर सका , पर उन की विशेषता और कौशल बिल्कुल अलग है । इसलिए पुरानी पुस्तकों व चित्रों की सच्चाई की जांच करना एक बहुत जटिल काम है । केवल यंत्र के जरिये किसी पुरानी पुस्तक या चित्र की सच्चाई तय करना कठिन है । पुरानी पुस्तकों व चित्रों की सच्चाई तय करने में वैज्ञानिक व परंपरागत दोनों माध्यमों का इस्तेमाल करना सही है । बहुत से विशेषज्ञों ने भी श्री शी शू छींग के विचार का समर्थन किया है । पेइचिंग में रहने वाली सुश्री रेंह्वा के घर में बड़ी मात्रा की पुरानी पुस्तक और चित्र हैं । उन्हों ने अपनी पुरानी पुस्तकों व चित्रों की सच्चाई तय करने में अनेक माध्यम चुना है । उन के मित्रों में कुछ पुरानी पुस्तकों व चित्रों की सच्चाई की जांच करने के मास्टर भी हैं , और कुछ रासायनिक माध्यम से पुरानी रचनाओं की सच्चाई या बनावटी का पता लगाते हैं । उन्हों ने कहा कि बनावटी रचने वाले भी पुरानी कागज़ का इस्तेमाल किया करते हैं । और वे पुरानी रचकों की विशेषता और कौशल का अनुसरण करने में भी सफलतापूर्ण हो सकते हैं । इसलिये पुरानी पुस्तकों व चित्रों की सच्चाई की जांच करने में सभी माध्यमों व तकनीकों को साथ साथ जोड़ना चाहिये । इसमें प्रोफेसर ओयांग छीमींग की स्पेक्ट्रमी तकनीक भी बहुत मददगार है ।