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(GMT+08:00) 2004-10-21 08:56:33    
विरान रेगिस्तान में महकती अंगूर वाइन की महिला निर्माता

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यदि आप उत्तर पूर्वी चीन के सिन्यचांग स्वायत्त प्रदेश के येन छी काउंटी जाएगें तो आप को विशाल रेगिस्तान में एक मन मोहक हरा भरा अंगूर का बागान नजर आएगा , 1000 से अधिक हैक्टर के एक इस बगान में मन लुभाने वाले अंगूरों की बेलिया मानो रेगिस्तान में चमकते मोती की तरह लटके हुए दिखते हैं , आप को लगेगा कि रेगिस्तान में नहीं , कहीं एक जादूनगरी में जा पहुंचे हों । ताज्जुब और होगा जब आप को मालूम होगा कि अंगूर बगान के इस करिश्मा की निर्माता एक महिला है, उसका नाम है ली रूए छिन, उन्होने अपने घरवालों व आस पास के पड़ोसियों के साथ मिलकर रेगिस्तान में इस अंगूर बगान जैसी जादूनगरी की स्थपाना की है, आज उनका अंगूर चीन की वाइन बनाने की उच्च कोटि गुणवत्ता वाले अंगूर माने जाते हैं, उनके बेहतरीन अंगूर ने यहां तक फ्रांस के व्यापारियों को भी आकृष्ट किया है और फ्रांस के साथ मिलकर उन्होने दुनिया की उच्चकोटि के अंगूर से बनी प्रसिद्ध वाइन ब्रांड का निर्माण किया है। रेगिस्तान में अंगूर बगान की इस दन्त कथा की मालकिन का गृह स्थान सिन्चयांग नहीं है, वह सिन्यचयांग से बहुत दूर पूर्वी चीन के सानतुंग प्रांत की रहनी वाली थी। 30 साल पहले अपने पति के साथ वह सिन्चयांग आई और तब से उसने वहां अपना घर बसा लिया। सिन्चयांग में आने के प्रारम्भिक काल में उन्होने खेतों में, ईंट फैक्टरी में फिर एक वस्त्र फैक्टरी में काम किया था । वहां उन्हे मालूम हुआ कि सिन्चयांग के अंगूर बड़े मीठे होते हैं और गुणवत्ता भी अव्वल है, लेकिन अफसूस की बात है कि सिन्चयांग में अंगूर वाइन की लगभग कोई भी फैक्टरी नहीं थी।लोगों के जीवन में आए नए परिवर्तन को देखते हुए, उन्होने महसूस किया कि लोगों का अंगूर वाइन के पीने का शौक दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है ।

उनके दिमाग में झटपट अंगूर उगाने का विचार उभरा । चीन के तेज आर्थिक सुधार ने निजी व्यापार के हौसले को भी तीव्रता से बढ़ाया , और उसे स्थानीय सरकार की तरफ से हार्दिक समर्थन प्राप्त हुआ । इस की चर्चा करते हुए उन्होने कहा मैने येन छी सरकार से अपना विचार प्रकट किया, सरकार ने जल्द ही सिन्यचांग कृषि विज्ञान अकदामी के वन व फल अनुसंधान के विशेषज्ञों को अमंत्रित कर उनके परियोजना का आकलन करने में सुश्री ली को मदद दी । विभिन्न स्तरीय विभागों ने भी मुझे अंगूर बगान के विकास में पूरा समर्थन दिया, बिना सरकार की सहायता से शायद मै एक कदम भी आगे न बढ़ा पाती।

स्थानीय सरकार ने सुश्री ली को कर वसूली को कम करने या माफ करने व जमीन के किराये पर रियायत भी प्रदान की । 1988 में सुश्री ली रूए छिन ने येन छी काउंटी के सात बस्तियों को चुनकर विशाल रेगिस्तान में अंगूर बगान का काम शुरू कर दिया। हालांकि रेगिस्तान में दूर दूर तक कोई भी रास्ता नजर नहीं आता था, लेकिन विश्षज्ञों ने कहा कि वहां की मिटटी में वायु जा सकती है , मिटटी में ओक्सीजन की मात्रा और थिएन सान पर्वत का बर्फ पानी रेगिस्तान भूमि को पानी प्रदान करने की मात्रा अत्यन्त प्रचुर है, सो यह अंगूर उगाने की एक अच्छी जगह है।

सुश्री ली रूए छिन ने अपने परिवार को लेकर रेगिस्तान में तम्बू डाला, पति और बेटों ने कुए खोदने , जमीन जोतने, अंगूरो के लिए ढांचे लगाने, मार्गों का निर्माण करने व अंगूर के पौधे लगाने जैसे कामों में बढ़ चढ़ कर हाथ बटाया । घर के लोगों का बदन कड़ी धूप में काला हो गया , पर अंगूर की बेलों के दिन ब दिन उंचे बढ़ते देखते हुए उनका मन खुशी से फूला न समाया । सुश्री ली रूए छिन की बड़ी बहू ली श्याओ युन ने प्रारम्भिक दिनों के कठिन समय की याद करते हुए कहा मेरी सास की कठिनाईयों की सहनता वाकई सराहनीय है, वह घर में हमारी जीती जागती मिसाल है , वह हमारे घर की स्तंभ ही नहीं एकता शक्ति जुटाने की निर्देशक भी, तभी तो हम सभी एक साथ मिलकर पहले दिनों के कठिनाई काल में उनका साथ देने में चूके नहीं थे ।