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(GMT+08:00) 2004-10-20 17:09:46    
चीनी तिब्बती गायक या तुंग की कहानी

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खांग बा में जन्मे या तुंग पर बचपन से ही अपनी जातीय संस्कृति का भारी असर पड़ा और छुटपन से ही संगीत का शौक लग गया था । 18 वर्ष की उम्र में या तुंग गिटार, सैक्सोफोन, आदि वाद्य सीख चुके थे और स्थानीय संगीतकार के रूप में प्रसिद्धि पा चुके थे। इस के बाद वे दक्षिण- पश्चिमी चीन के सी छ्वुआन प्रांत की राजधानी छङ तु पहुंचे और वहां एक गायक बने। वर्ष 1994 में या तुंग ने तिब्बती जातीय शैली का एक गीत "चील की चाह "   गीत गाया । इस गीत में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा के चीन के भीतरी इलाके के विभिन्न स्थानों के साथ वायुसेवा से जुड़ने की जानकारी थी। इस में लगातार सुधार के रास्ते पर चलने वाली तिब्बती जनता की खुशी व्यक्त की गयी थी। या तुंग के तिब्बती जातीय रस वाले इस गीत ने वर्ष 1995 में चीन की संगीत टी.वी. प्रतियोगिता का स्वर्ण पदक जीता। इस के बाद यह गीत समूचे चीन में लोकप्रिय हो गया और या तुंग की सादी गायन शैली और ऊंची आवाज़ को दर्शकों की मान्यता हासिल हुई । या तुंग द्वारा के गाए गीत इतने लोकप्रिय हैं कि बस का लम्बा सफर हो या कोई पर्यटन स्थल, बाजार हो या रेस्तरां हर जगह सुनायी पड़ते हैं। तिब्बती लोग स्नेह से या तुंग को "पठार के राजा गायक"के नाम से बुलाते हैं। आइए सुनें या तुंग का एक और गीत नाम है,"प्यारी मां"।

गीत कहता है   

प्यारी मां

तुम हो बहुत महान

अपने पुत्रों को पालते

हो गये तुम्हारे बाल सफेद

प्यारी मां

तुम हो इतनी महान

तुम ने बनाया सूरज को हमारा पंख

हम उड़ें कितने ऊंचे

या कितनी भी दूर

तुम्हारी छाया सदा रहती है हमारे पास

प्यारी मां

या तुंग का गाया "प्यारी मां"नामक गीत में एक मेहनती तिब्बती मां की छवि सामने आती है और उस के महान व निस्वार्थ प्यार का गुणगान किया गया है।

तिब्बती गायक या तुंग को तिब्बत के बर्फीले पहाड़ों व घास मैदानों तथा वहां की जनता से गहरा प्यार है। उन की यह भावना उनके गीतों में दिखायी देती है।हर वर्ष वे तिब्बत के घास मैदान में कुछ समय बिताते हैं और तिब्बती जाति की विशेष संस्कृति का आभास करते हैं। वे गायन में तिब्बत की परम्परागत लोकशैली और आधुनिक पोप म्युजिक के तत्वों के मेलजोल की विशेष शैली अपनाते हैं। तिब्बती शैली के गीत गाने के साथ या तुंग संगीत के नये क्षेत्र की खोज में भी सक्रिय रहे हैं। उनके द्वारा गाये गये विदेशी गीत और अन्य जातीय गीत भी बहुत मधुर हैं ।अब सुनिए या तुंग का गाया शिंग च्यांग की उईगुर जाति का गीत। नाम है "सुन्दर लड़की आवागुरी"।

इन दिनों या तुंग अपने नए एलबम की तैयारी में हैं । इस के साथ ही वे राजधानी पेइचिंग में अपनी एक संगीत सभा आयोजित करने की भी कोशिश कर रहे हैं । इसमें वे विभिन्न परम्परागत तिब्बती वाद्यों और इलेक्ट्रोनिक वाद्यों के साथ तिब्बती रस वाले गीत पेश करेंगे। आशा है, या तुंग की यह कोशिश सफल होगी। खैर आज का कार्यक्रम समाप्त हो इससे पूर्व हम या तुंग के गाये एक और गीत का मज़ा लेते हैं। नाम है "छोंग साइ खांग"। यह तिब्बती भाषा का गीत है। छोंग साइ खांग तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा की एक सड़क का नाम है , जो इस शहर का मशहूर वाणिज्य केंद्र है ।

गीत कहता है

ल्हासा की एक सड़क है ,

छोंग साइ खांग है उस का नाम

जगह-जगह के व्यापारी इकट्ठे होते हैं यहां

दुकानों में रंग-बिरंगे हैं रत्न

अगर तुम चाहते हो किसी को

खरीद सकते हो यहां

ल्हासा की इस सड़क का नाम है

छोंग साइ खांग