दक्षिण पश्चिम चीन के युन्नान प्रांत में बसी ताई जाति के बहुत से रोमांटिक रितिरिवाज और प्रथाएं चर्चा करने के काबिले हैं । ताई जाति के विशेष स्थापत्य शैली के बांस की दो मंजिला मकान , युवतियों का पसंदीदा बेलननुमा स्कर्ट , मौर नृत्य तथा जल छिड़काव त्यौहार हमेशा लोगों को बरबस आकृष्ट करते हैं। ताई जाति के गांव का जीवन भी अनोखी और रोमांटिक है , आज आप को ताई जाति के गांव का दौरा करने ले जाऊंगी ।
ताई उद्यान नाम का गांव सिश्वांगपान्ना ताई जातीय स्वायत्त प्रिफेक्चर की राजधानी च्येङ हुंग शहर से तीस किलोमीटर दूर है । बाहर की दुनिया से प्रभावित हो कर जहां च्येङ हुंग शहर के निवासी नए ढंग का आधुनिक जीवन बिता रहे हैं , वहां मात्र तीस किलोमीटर दूर ताई उद्यान गांव में स्थानीय लोग ताई जाति की तमाम परम्पराएं बनाए रखते हुए अपना पुराना जीवन ढर्रे पर चल रहे हैं । इस से बाहर से आने वाले लोगों के दिल में एक प्रकार की ऐसी कौतुहल उत्पन्न होगी , जो देखना चाहती है कि वहां के ताई लोग अखिरकार किस ढंग की जीवन बिताते हैं।
च्येङ हुंग शहर से आधा घंटा गाड़ी चलाते हुए जब ताई उद्यान के नजदीक पहुंचे , तो हमें दूर से ही मधुर धुन सुनाई देने लगी , ताई जाति की धुन में शांत लय और धीमी गति हो रहा है , मानो वह ताई गांव वासियों का मनोभाव बता रहा हो कि वे अपने इस प्रकार के शांत और कम परिवर्तनशील जीवन पर अत्यन्त संतुष्ट हैं ।
ताई उद्यान के मुख्य द्वार के पास युनवुन नाम की ताई युवती बड़े उत्साह के साथ हमारे आगमन का स्वागत कर रही है , ताई जाति के विशेष वस्त्र यानी बेलननुमा स्कर्ट में वह बहुत छरहरी दिखती है । उस के साथ हम गांव के भीतर प्रवेश कर गए । हमारी कौतुहल को शांत करने के लिए सुश्री युनवुन स्वयं गांव की स्थिति का परिचय देने लगीः
"हमारे ताई उद्यान पांच गांवों से गठित एक बड़ा गांव है , इस में प्राकृतिक दृश्यों तथा मानवी संस्कृति का मिश्रित नजारा देखने को मिल सकता है । पांच गांवों में कुल तीन सौ 13 परिवार है , जिन की कुल जन संख्या एक हजार चार सौ से कुछ अधिक है । उद्यान में ठेठ ताई शैली के मकान और ताई जाति की परम्परागत शिल्प कला की कृतियां देखने के अलावा ताई वासियों का असली जीवन माहौल महसूस हो सकता है ।"
गांवों के भीतर छोटे मार्गों की दोनों ओर पेड़ों के हरिभरी छांव में जहां तहां ताई जाति के मकान झांकते हैं । ताई जाति के मकान बांसों से बनाए जाते हैं , वह आम तौर पर नारियर और सुपारी के पेड़ों की जंगल में निर्मित है , पेड़ों के बीच गौर से झांकने पर उस का पूरा नजारा नजर आता है । ताई जाति का दो मंजिला मकान बांस से बना है , नीचे आधार के लिए लकड़ी या बांस के चार डंडे लगाये गए , जिस से पहला तल्ल खुला है , जहां घर की साधारण सामग्री रखी जाती है , मकान की दूसरी मंजिल पर रहन सहन के कमरे हैं , जहां ताई लोग रहते हैं । बांस का मकान बड़े शांत वातावरण में है , कभी कभी उस में से कोई युवती बाहर झांक कर देखती दिखाई देती है , जिस के सिर पर ताजा फूलों का कुच्छ लगा हुई है ।
हमारे साथ आई सुश्री युन वुन के बालों में भी फुल का कुच्छ लगा है , जब हम ने इस की ओर इशारा किया , तो मुस्कराते हुए सुश्री युनवुन ने कहा , देखो , हमारे गांव में फुलों का सदा बहार होता है , इसलिए ताई युवती कृत्रिम फुल की जगह ताजा ताजा फुलों से अपने को सजाती हैं । बातों के बीच कुछ ताई युवतियां पास आई , उन्हों ने ताई भाषा में सुश्री युनवुन को नमस्कार किया , उन के शरीर पर पहने रंगीन बेलननुमा स्कर्टों से हमें संगीत का लय लहराता हुआ जान पड़ता है ।
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