liचीन एक बहुजातीय देश है। चीन में कुल 55 अल्पसंख्यक जातियां हैं। लीसू जाति दक्षिण- पश्चिमी चीन के य्वन नान प्रांत की अल्पसंख्यक जातियों में से एक है। इस की जनसंख्या लगभग 6 लाख है, जो मुख्यतः नब च्यांग में केंद्रित है पर इस जाति के कुछ लोग ली च्यांग, दी छिंग, दा ली, द हुंग, छू श्योंग और पाओ शेन आदि क्षेत्रों में भी रहते हैं। य्वन नान प्रांत की वेईशी काउंटी चीन की एकमात्र लीसू जातिबहुल काउंटी है। चलिए आज चलें वेई शी और हासिल करें चीन की लीसू जाति की जानकारी।
प्राचीन इतिहास ग्रंथों के अनुसार, दी छांग जाति लीसू जाति की पूर्वज थी। लीसू जाति पुराने समय में सूसू भी कहलाती थी। 15 वीं से 19वीं शताब्दी के बीच लीसू जाति चीन के लेन छांग च्यांग और नू च्यांग नदियों के जलक्षेत्रों को स्थानांतरित हुई और फिर वहीं बस गई।
लीसू जाति के अधिकतर लोग 1700 मीटर की ऊंचाई वाले पहाड़ी क्षेत्रों में रहते हैं। ऐसे पहाड़ों पर एक साथ बीसों परिवार रहते हैं। उनके गांवों के बीच खासी दूरी होती है और मकान मुख्य रूप से लकड़ी से बने होते हैं। आम तौर पर ये मकान दोमंजिले होते हैं, पहली मंजिल में लोग रहते हैं, जबकि दूसरी में पालतू पशु। पर इधर जनजीवन स्तर उन्नत होने के साथ लीसू जाति के गांवों में लोग व पशु अलग-अलग स्थलों पर रहने लगे हैं।
लीसू जाति की वेशभूषा की अपनी ही विशेषता है। पुरुष आम तौर पर सन से बने कपड़े पहनते हैं और सिर पर काला कपड़ा बांधते हैं। उनके पास तरकश व चाकू भी होता है। महिलाएं जो पोशाक पहनती हैं उसमें सिर पर हरा कपड़ा बांधना भी शामिल रहता है। वे अकसर अपने हाथों बनायी थैली लिये होती हैं। उनके सिर की सजावट से लोग आसानी से उनकी आयु का पता लगा सकते हैं। लीसू जाति की युवती ह जी ईंग ने लीसू बोली में जानकारी दी कि वृद्धाएं सिर पर लाल व सफेद मूंगे पहनती हैं, जबकि किशोरियां या युवतियां कड़े या मोती।
सुश्री ह जी ईंग के अनुसार, पहले कठिन जीवन जीने वाली लीसू जाति की जनता खुद बनाये कपड़े पहनती थी, जो श्रम व त्यौहार के कपड़ों की दो किस्मों में विभाजित थे। अब लोगों के जीवन स्तर के उन्नत होने के बाद केवल बूढ़े लोग सन से बने परम्परागत कपड़े पहनते हैं और युवा त्यौहारों या महत्वपूर्ण रस्मों के दौरान ही जातीय पोशाक पहने दिखेंगे। प्रत्येक वर्ष के पहले एक-दो महीने लीसू महिलाएं कपड़े बुनने में लगाती हैं। यह रिवाज आज भी बरकरार है।
लीसू जाति के लोग बड़े गर्मजोश हैं। वे अपने मेहमानों के साथ बहुत अच्छा व्यवहार करते हैं। जब कभी घर में कोई मेहमान आता है, वे उसके सब से अच्छा मांस पकाते हैं और उस के साथ शराब पीते हैं। लीसू जाति के लोगों को शराब पीने का बड़ा शौक है। कुछ जगहों में जब मेजबान और मेहमान एक-दूसरे से मिलते हैं तो गले मिलते हुए शराब पीते हैं।
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