आज से पचास से अधिक साल पहले जब दक्षिण पश्चिम चीन के युन्नान प्रांत का सिश्वांगपांना ताई जातीय स्वायत्त प्रिफेक्चर स्थापित हुआ था , उस समय वहां यातायात दुर्गम थी और गरीबी व पिछड़पन फैली रही थी । पर पचास साल के बाद अब जब हम इस मशहूर भूमि पर कदम रखे हुए , तो पाया है कि सिश्वांगपांना का एकदम कायपलट हो गया है , यहां हर क्षेत्र के काम में उल्लेखनीय उपलब्धियां प्राप्त हुई हैं , विशेष कर यहां विकसित हुए जातीय संस्कृति पर्यटन और प्राकृतिक पारिस्थितिकी का विकास बड़ा ध्यानाकर्षक है । तो आइए , आज आप हमारे साथ सिश्वांगपांना के दौरे पर जाए और वहां का भारी परिवर्तन खुद महसूस करे ।
युन्नान प्रांत के सिश्वांगपांना ताई जातीय स्वायत्त प्रिफेक्चर की जन संख्या कोई दस लाख है , जहां ताई , हानी , पुरां और जीनो आदि 13 अल्पसंख्यक जातियां रहती हैं , जिन में ताई जाति की जन संख्या पूरे प्रिफेक्चर की कुल जन संख्या का एक तिहाई भाग बनती है । सिश्वांगपांना ताई जातीय स्वायत्त प्रिफेक्चर की स्थापना वर्ष 1953 में हुई थी , स्वायत्त प्रिफेक्चर की स्थापना से पहले वहां की उत्पादन शक्ति बहुत नीची थी और स्थानीय जनता का जीवन स्तर बहुत नीचा था । स्वायत्त प्रिफेक्चर की स्थापना के बाद स्थानीय सरकार ने अल्पसंख्यक जातियों के लोगों का कृषि उत्पादन , खेतीबाड़ी तथा पर्यटन उद्योग का विकास करने के लिए नेतृत्व किया , जिस से स्थानीय जनता के जीवन में काफी सुधार आया ।
सिश्वांगपांना की राजधानी च्यंग हुङ शहर से बीस किलोमीटर दूर स्थित ताई उद्यान का इतना बड़ा विकास हुआ है , जो प्रिफेक्चर के जोरदार विकास का परिचायक के रूप में पेश हो सकता है । ताई उद्यान के तहत पांच ताई गांव हैं , जिन में कुल एक हजार ताई परिवार रहते हैं । वर्ष 1978 में चीन में सुधार व खुलेपन की नीति लागू होने के बाद स्थानीय सरकार ने बड़ी पूंजी का निवेश कर इन पांच ताई गांवों का सुव्यवस्थित रूप से पुनर्निमाण किया और उसे एक उद्यान का रूप प्रदान किया है । स्थानीय सरकार के आह्वान से गांव वासियों ने वहां के दुर्लभ प्राकृतिक संसाधनों तथा अनोखी जातीय रीति रिवाजों का लाभ उठा कर पर्यटन उद्योग का विकास किया , गांववासियों ने पर्यटन उद्योग के विकास में बड़ी सरगर्मी भी दिखायी ।
ताई उद्यान में बड़ी मात्रा में उष्ण कटिबंद पेड़ पौधे और रंगबिरंगे फुल उगते हैं , परम्परागत ताई जातीय भोजन बहुत स्वादिष्ट होता है , बांसों से निर्मित ताई घरों के दुतल्ला मकान बहुत आकर्षक होता है तथा शानदार बौद्ध मंदिर और पगोडा देश विदेश के पर्यटकों को अपनी और बरबस खींचा लेते हैं । पर्यटन उद्योग के जोरदार विकास से ताई उद्यान के पांचों गांवों के लोग धनी होने लगे , उन का जीवन स्तर लगातार उन्नत होता गया । पचास वर्षीय गांववासी श्री यान ये के परिवार में चार लोग हैं , वे पहले का गरीब जीवन भी बिता चुका था और आज के खुशहाल जीवन भी देखा है । जब हम उन के घर गए , तो हम ने देखा कि उस के घर में तेलीफोन की सुविधा है , फ्रिजर है और विद्युत धुलाई मशीन है । अतीत केजीवन की तूलना में आज का जीवन अत्यन्त सुखमय रहा है । श्री यानये ने हमें बतायाः
पर्यटन उद्योग के विकास से हमारा जीवन पहले से कही अधिक सुधर गया है , हमारे जेब में पैसा ज्यादा है , जो चाहे वह खरीदा जा सकता है । श्री यानये ने कहा कि हर साल उस का परिवार पर्यटन सेवा से दस हजार य्वान से ज्य़ादा पैसा कमा सकता है । पैसा हाथ आने के बाद उस ने बांस के मकान का पुनर्निमाण भी किया है । इस के अलावा वे अपने परिवार जनों के साथ पेइचिंग और शांगहाई आदि देश के बड़े बड़े शहरों की यात्रा पर भी गए , इस से उस का ज्ञान भी काफी बढ़ गया । यानये के परिवार के जीवन में जो भारी परिवर्तन आया है , उस से सिश्वांगपांना के पिछले पचास सालों , विशेष कर पिछले बीस सालों के भारी परिवर्तन प्रतिबिंबित हुए है । सिश्वांगपांना ताई जातीय स्वायत्त प्रिफेक्चर की योजना व विकास कमेटी के प्रधान श्री छन छी चुग ने कुछ आंकड़ों से इस भारी परिवर्तन का खुलासा निकाला है। वे कहते हैः
वर्ष 2002 में सिश्वांगपांना का कुल घरेलू उत्पादन मूल्य पांच अरब य्वान दर्ज हुआ था , जो पचास साल पहले से तीन सौ गुना अधिक था । स्थानीय निवासियों की शुद्ध आय में तीस गुने की वृद्धि हुई । अतीत में सिश्वांगपांना में पक्की मोटर सड़क नहीं थी और तेलीफोन की सेवा भी उपलब्ध नहीं । अब मोटर सड़कें गांव गांव तक जा पहुंचती है , वर्ष 1990 में हवाई अड्डा निर्मित होने के बाद हवाई , थल और जल यातायात की बहुमुखी व्यवस्था कायम हुई है , देश विदेश को जाने के लिए दस से अधिक हवाई मार्ग खोले गए हैं , स्थानीय लोग बाहर जाने के लिए हवाई सेवा को सब से अधिक वांछनीय साधन के लिए चुनते हैं । तेलीफोन सेवा तो आम हो गई और इंटरनेट की सेवा भी खुली है । बुनियादी संस्थापनों के सुधार के साथ साथ लोगों के जीवन में भारी सुधार आया , घर घर में रंगीन टीवी सेट है , फ्रिजर और एयरकंडेशनर , कम्प्युटर तथा मोटर साइकिल उपलब्ध हैं ।
ग्रीष्मकालीन मौसम में हम ने सिश्वांपांना की राजधानी च्येग हुङ शहर की सड़क पर घूमते हुए पाया कि शहर की सड़कें प्रशस्त और खुली है , बहुत साफ सुथरी भी है , सड़कों के दोनों किनारों पर ऊंचे ऊंचे ताड़ और नालियर के हरिभरे पेड़ हवा में झूम रहे हैं , दुकानों और सुपर मार्केटों में माल बेशुमार है और हर जगह चमकदमक दिखता है । वहां जेवर बहुत लोकप्रिय है, जेवर दुकानों में ग्राहकों की संख्या ज्यादा है , उन में कुछ विदेशी पर्यटक भी हैं । एक जेवर दुकान के दुकानदार पुरां जाति की महिला है , वह तीस साल की लगती है और शक्ल सूरत में बहुत सुन्दर है , उस की आवाज भी सुलीरी है । उस ने हमें बताया कि उस की दुकान बहुत अच्छी चल रही है , साल में अस्सी हजार य्वान कमा सकती है , वह थाईलैंड और म्यांमार से जेवरों का आयात भी करती है । वह कहती हैः
वहां से थाईलैंड और म्यांमार जाने के लिए हवाई सेवा की सुविधा मिलती है , इसलिए वहां जा कर व्यापार करना बहुत आसान है ।
देश की अल्पसंख्यक जाति बहुल क्षेत्रों के विकास को गति देने के लिए चीन सरकार ने इन क्षेत्रों को काफी सहायता दी है और उदार नीति लागू भी की है । इधर के तीन सालों में चीन सरकार ने सिश्वांगपांना के कृषि , यातायात तथा बिजली के विकास में तीस करोड़ य्वान का अनुदान किया है । कर वसूली तथा कर्जों की आपूर्ति पर भी उदार नीति लागू की गई । सिश्वांपांना म्यांमार तथा लाओस की सीमा से सटा है , अब यहां चीन एशियान मुक्त व्यापार क्षेत्र की स्थापना की जा रही है । इस ने सिश्वांगपांना के विकास के लिए बड़ा सुअवसर प्रदान किया है ।
प्रिफेक्चर की योजना विकास कमेटी के प्रधान छन छी चुंग ने कहाः
वर्ष 2010 तक प्रिफेक्चर का घरेलू उत्पादन मूल्य 9 अरब य्वान तथा वर्ष 2020 तक उसे फिर दो गुना बढ़ाने का लक्ष्य तय हुआ है , 2020 तक औसत प्रति व्यक्ति उत्पादन मूल्य दो हजार पांच सौ अमरीक डालर प्राप्त करने की योजना भी है , तब पूरे प्रिफेक्चर की जनता का जीवन असाधारण उन्नत हो जाएगा ।
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