
चीन की तिब्बती जाति के गायक या तुंग इधर के वर्षों में चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में ही नहीं भीतरी इलाके में भी मशहूर है । उन द्वारा गाए गए गीतों को चीनी लोग पसंद करते हैं । "खांग बा का जवान" नामक गीत में दक्षिण-पश्चिमी चीन में स्थित खांग बा का प्राकृतिक दृश्य बहुत सुन्दर है। चीन की अल्पसंख्यक तिब्बती जाति की खांग बा में काफी बड़ी आबादी है। "खांग बा का जवान" जातीय विशेषता वाली मधुरता लिये हुए है। उसकी धुन खांग बा के जवानों की सादगी व जोश को व्यक्त करती है।
गीत के बोल इस प्रकार हैं
है मेरे दिल में, खांग बा का जवान
उस के माथे पर लिखी है उसके पूर्वजों की कहानी
खांग बा के जवान की मुस्कराहट गूंजती है बादलों में
उस का सीना है विशाल
प्रेम के घास मैदान सा
खांग बा के नौजवान के खून की नाड़ियों में है घोड़ों की टापों की आवाज
उस की आँखों में है पवित्र सूरज
घी की शराब पीकर गाता है खांग बा का जवान
दुनिया होती है उस के हाथ में
या तुंग तिब्बती गायक के रूप में चीन में बड़े मशहूर हैं। खांग बा में जन्मे या तुंग पर बचपन से ही अपनी जातीय संस्कृति का भारी असर पड़ा और छुटपन से ही संगीत का शौक लग गया था।18 वर्ष की उम्र में या तुंग गिटार, सैक्सोफोन, आदि वाद्य सीख चुके थे और स्थानीय संगीतकार के रूप में प्रसिद्धि पा चुके थे। इस के बाद वे दक्षिण- पश्चिमी चीन के सी छ्वुआन प्रांत की राजधानी छङ तु पहुंचे और वहां एक गायक बने। वर्ष 1994 में या तुंग ने तिब्बती जातीय शैली का एक गीत "चील की चाह "गीत गाया । इस गीत में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा के चीन के भीतरी इलाके के विभिन्न स्थानों के साथ वायुसेवा से जुड़ने की जानकारी थी। इस में लगातार सुधार के रास्ते पर चलने वाली तिब्बती जनता की खुशी व्यक्त की गयी थी। या तुंग के तिब्बती जातीय रस वाले इस गीत ने वर्ष 1995 में चीन की संगीत टी.वी. प्रतियोगिता का स्वर्ण पदक जीता। इस के बाद यह गीत समूचे चीन में लोकप्रिय हो गया और या तुंग की सादी गायन शैली और ऊंची आवाज़ को दर्शकों की मान्यता हासिल हुई। सुनिए "चील की चाह "।
गीत का भावार्थ कुछ इस प्रकार है
हर दिन सूरज उगने की जगह
चांदी की चील आती है गांव में
उस रास्ते पर
जहां कोई बुज़ुर्ग जीवन भर नहीं चला
चील ने एकदम बदल दिया है जमीन को
हवाई जहाज़ के अंदर से
बाहर की सुन्दर दुनिया देख कर
मेरी आंखों में आ गये आंसू
ओ, चील
तू मुझे वहां ले जा
जहां है मेरी याद
बहुत दूर
मेरा दिल उड़ता है
चील के साथ
या तुंग की आवाज़ उन्मुक्त ही नहीं है, मधुर भी है। उन के गाए गीत जोश भरे हैं और तिब्बत की संस्कृतिक विशेषता लिये हुए हैं। वर्ष 1992 में या तुंग ने अपना प्रथम एलबम जारी किया और बड़ी सफलता पाई। इस सफलता से प्रेरित या तुंग ने "खांग बा का जवान"तथा "चील की चाह" नामक दो एलबम जारी किए। उन्होंने कई टी.वी धारावाहिकों के शीर्ष गीत भी गाये। इस ने चीन के तिब्बती जातीय क्षेत्रों में या तुंग को औऱ मशहूर बनाया। या तुंग द्वारा के गाए गीत इतने लोकप्रिय हैं कि बस का लम्बा सफर हो या कोई पर्यटन स्थल , बाजार हो या रेस्तरां हर जगह सुनायी पड़ते हैं। तिब्बती लोग स्नेह से या तुंग को "पठार के राजा गायक"के नाम से बुलाते हैं।
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