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(GMT+08:00) 2004-10-12 14:02:10    
लू दींग पुल की यात्रा(दो)

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लू दींग पुल उस छामा गुदाओ का एक महत्वपूर्ण स्थल भी है, जो चीन के भीतरी इलाकों से तिब्बत तक जानेवाला महत्वपूर्ण रास्ता माना जाता था। चीनी भाषा में छामा का अर्थ है चाय व घोड़ा। इस रास्ते के जरिए तिब्बती व हान जातियों के लोगों का मेलमिलाप होता था और दोनों के बीच घनिष्ठ आवाजाही होती थी। देश के भीतरी इलाके से चाय, नमक व कपड़े यहां से होकर तिब्बत जाते थे, जबकि तिब्बत के घोड़े, सुरागायें और भेड़ें यहां से भीतरी इलाके पहुंचती थीं। इस पुल के निर्माण के बाद यहां धीरे-धीरे एक काउंटी स्थापित हुई।

पिछले 300 वर्षों में हालांकि लू दींग पुल ने कई बार बर्बादी के खतरे का सामना किया तो भी वह दा दु नदी पर बरकरार रहा। वह लू दींग का इतिहास बयान करने वाले एक बूढ़े की तरह वहां खड़ा है।

आज लू दींग पुल एक पर्यटन स्थल है जिसके तीन भाग हैं। इनमें सबसे प्रमुख है लू दींग का जंजीर पुल और लू दींग क्रांतिकारी संग्रहालय, जहां लू दींग के इतिहास संबंधी चित्र औऱ अन्य सामग्री प्रदर्शित हैं। तीसरा स्थल वहां का स्मृति पार्क है। लू दींग पुल युवाओं के लिए देशभक्ति का प्रतीक है। लू दींग के प्रसार-प्रचार मंत्री श्री हू लिन ने कहा, आज लू दींग पुल युवाओं को शिक्षा देने का एक अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थल बन गया है। वे इस तरह जान पाते हैं कि वीर होने के अर्थ क्या हैं। लू दींग पुल को शत्रुओं से छीनने वाले लाल सैनिक सच्चे वीर ही थे। अनेक विदेशी पर्यटकों ने भी यह पुल देखकर जाना है कि चीन वीर भावना से ओतप्रोत देश है। लू दींग पुल चीनी राष्ट्र की भावना का एक प्रतीक है। इसलिए, इसकी तेरह जंजीरें चीन गणराज्य को एक साथ बांधने वाली भी कही जा सकती हैं।

अब भी चीन के सी छ्वान प्रांत से तिब्बत स्वायत प्रदेश को जाने वाला एक महत्वपूर्ण रास्ता दा दु नदी के तटों से जाता है। अर लांग शेन सुरंग के निर्माण के बाद सी छ्वान की राजधानी छन तुंग से गेन जी तिब्बती प्रिफेक्चर तक का रास्ता अब केवल आधे दिन का रह गया है जबकि इस दूरी को तय करने में पहले तीन-चार दिन लगते थे। दा दु नदी के दोनों किनारों पर ईंटों व पत्थरों से बने कई आधुनिक पुल खड़े हैं। आज इन पुलों पर घोड़ों की जगह गाड़ियां आती-जाती हैं। चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश और भीतरी इलाकों के बीच भी कई सड़कों का निर्माण किया जा चुका है। इससे तिब्बती व हान जाति के लोगों के बीच आदान-प्रदान मजबूत हुआ है। आज लू दींग पुल भीतरी इलाकों से तिब्बत जाने का पहले सा महत्वपूर्ण पुल नहीं रहा है। वह केवल एक ऐतिहासिक अवशेष के रुप में वहां खड़ा है और चीन की जातियों की एकता का एक प्रतीक बन गया है। इतिहास का सिंहावलोकन करने के लिए यहां लोग आते ही हैं।

लू दींग काउंटी छन दु से गेन जी के रास्ते का प्रथम द्वार है।आज यह चायघरों व बारों से भरी है। इसकी सड़कों पर बहुत भीड़ रहती है। प्रति वर्ष 3 लाख से ज्यादा पर्यटक यहां की यात्रा करते हैं। लू दींग पुल निस्संदेह इन पर्यटकों का प्रिय स्थल है। आज लू दींग पुल के आसपास बड़े बाजार भी हैं, जहां विभिन्न किस्मों के ताजा फल और स्थानीय प्राकृतिक औषधियां उपलब्ध रहती हैं। ये बाजार पर्यटकों को आकर्षित करते ही हैं। यहां लू दींग के जंजीर पुल पर पर्यटकों के हाथों में हाथ डालकर चलने का दृश्य बहुत आम है । यहां चलने पर जो रोमांच होता है, शायद वही इस पुल की आकर्षण शक्ति है।

इन दिनों लू दींग काउंटी की सरकार लंबा अभियान संस्कृति के विकास में लगी है और लू दींग पुल को प्रमुख पर्यटक स्थल बना रही है। उस ने पर्यटन को प्राथमिकता देकर स्थानीय अर्थतंत्र के विकास को तेज करने पर बल दिया है। हमें विश्वास है कि लू दींग की जनता का जीवन दिन ब दिन समृद्ध हो सकेगा।