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(GMT+08:00) 2004-10-11 08:45:54    
चीन के वनटू मठ के लामा चूमेकनका से भेंटवार्ता

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मित्रो, इन दिनों तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में भी चीन के अन्य क्षेत्रों की ही तरह चीन लोक गणराज्य के राष्ट्रीय दिवस की खुशी मनाने के लिए तरह-तरह की गतिविधियां चल रही हैं। उल्लेखनीय है कि वहां के बहुत से मठों के जीवित बुद्ध और लामा देश के विकास और विभिन्न जातियों की एकता के लिए प्रार्थना कर रहे हैं । हाल ही में हमारी संवाददाता सुश्री ल्यू हवी की मुलाकात पेइचिंग में तिब्बती लामा चोमेकंका से हुई। तिब्बती लामा चोमेकंका पेइचिंग स्थित तिब्बती अस्पताल में मरीजों का उपचार करते हैं।

लामा चोमेकंका चीन के छिनहाई प्रांत की शूनहा काउंटी में स्थित वनटू मठ के लामा हैं । मित्रो ,छिनहाई प्रांत की शूनहा काउंटी में स्थित वनटू मठ बहुत सुन्दर है। आप शायद जानना चाहें कि इस मठ की स्थापना कब की गई और किस ने की इस सुन्दर मठ की स्थापना। यह जानने के लिए आप हमारा आज का तिब्बत कार्यक्रम सुनते रहिए। तिब्बती लामा चोमेकंका खुद आप को वनटू मठ की कहानी सुनायेंगे। हमारी संवाददाता सुश्री ल्यू हवी का हमेशा से आप श्रोता दोस्तों की रुचि पर ध्यान रहा है। हाल ही में उन्हों ने तिब्बती लामा चोमेकंका के साथ बातचीत की। तिब्बती लामा चोमेकंका पेइचिंग आने से पहले तक वनटू मठ में बौद्धसूत्रों के अध्ययन के साथ आम लोगों की सेवा करते रहे थे। लामा चोमेकंका के अनुसार उन्होंने इस मठ में 24 वर्ष से अधिक का समय बिताया। हमारे अनुरोध पर वे वनटू मठ की कहानी सुनाने को राजी हुए। उनके अनुसार वनटू मठ का इतिहास लगभग 7 सौ वर्ष पुराना है। इस मठ की स्थापना चीन के येन राजवंश में की गयी। जैसा कि आप जानते हैं, येन राजवंश में 13वीं शताब्दी में तिब्बत चीन में शामिल हुआ औऱ तब से अब तक चीन का एक अभिन्न अंग बना हुआ है। वनटू मठ वास्तव में पेनटू मठ भी कहलाता है ।वर्ष 1402 में चीन के मिन राजवंश में इस मठ में सुधार हुआ । बाद में छिन राजवंश में जीवित बुद्ध येशचान इस मठ के प्रबंधक बने औऱ तभी से जीवित बुद्ध इस मठ की देखभाल करने लगे ।वनटू मठ अब विकसित हो कर शूनहा क्षेत्र का सब से बड़ा मठ बन गया है और उस में आज 3 सौ से अधिक लामा व भिक्षु रहते हैं। पहाड़ पर स्थित वनटू मठ का क्षेत्रफल कोई 6 हैक्टर है। मठ के चारों ओर पेड़ ही पेड़ दिखते है। मठ में बुद्ध की बहुत सी सुन्दर मूर्तियां भी सुरक्षित हैं । इस मठ में कुल दस भवन हैं और कमरों की संख्या 342 है। इस मठ में दस जीवित बुद्ध हैं पर येशचान जीवित बुद्ध ही इस मठ के प्रबंधक हैं । मित्रो, हमारी संवाददाता के साथ बातचीत में तिब्बती लामा चोमेकंका ने बताया कि वनटू मठ दसवें पंचन लामा के जन्मस्थान में है । दसवें पंचन लामा ने छोटी उम्र से ही इस मठ में बौद्ध सूत्रों का अध्ययन शुरू कर दिया था। इस तरह वनटू मठ दसवें पंचन लामा का मठ भी माना जाता है । बाद में दसवें पंचन लामा राजधानी पेइचिंग में बस गए फिर भी वे अनेक बार इस मठ में धार्मिक गतिविधियों के सिलसिले में वापस लौटते रहे । उन के द्वारा आयोजित धार्मिक गतिविधियां आज तक स्थानीय लोगों को याद हैं। मित्रो, यहां बता दें कि स्थानीय सरकार की कोशिशों से इस मठ की अच्छी रक्षा हुई है । तिब्बती लामा चोमेनकनका ने विश्व शांति, मातृभूमि की समृद्धि और चीनी राष्ट्र की विभिन्न जातियों की एकता की प्रार्थना भी की। चीन लोक गणराज्य के राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर हमने तिब्बती लामा चोमेनकनका के साथ बातचीत पर आधारित एक कार्यक्रम प्रस्तुत किया। तब विश्व शांति, मातृभूमि की समृद्धि और चीनी राष्ट्र की विभिन्न जातियों की एकता की तिब्बती लामा चोमेनकनका की प्रार्थना सारी दुनिया में गूंजी। आज हमारे कार्यक्रम में उनकी इस प्रार्थना की आवाज़ फिर गूंज रही है। विश्वास से भरी उन की आवाज़ ने हमें शक्ति ही नहीं शांति भी दी है।

मित्रो, आज तिब्बती लामा चेमेनकनका ने हमें वनटू मठ के बारे में जानकारी दी और विश्व शांति, मातृभूमि के विकास और चीनी राष्ट्र की विभिन्न जातियों की एकता की प्रार्थना की। हम तिब्बती लामा चेमेनकनका के आभारी हैं। मित्रो, तिब्बती लामा चेमेनकनका ने अन्य कुछ लामाओं की तरह परंपरागत चिकित्सा पर महारत हासिल की है। उन की मदद से कितने ही मरीज अपनी बीमारियों से छुटकारा पा चुके हैं। तिब्बती लामा चेमेनकनका अपनी बढ़िया सेवा के लिए मशहूर हैं।अब वे पेइचिंग के तिब्बती अस्पताल में मरीजों की सेवा में लगे हुए हैं। उन की कहानी निकट भविष्य में वे आप खुद उनके मुख से सुनेंगे। आप का हमारे कार्यक्रम में हार्दिक स्वागत है ।