कुछ समय पूर्व चीन सरकार ने अनेक कलाकारों को "सर्वश्रेष्ठ कला चरित्र" वाले कलाकार का पुरस्कार प्रदान कर सम्मानिक किया । मशहूर चीनी गायिका क्वुआन मू छ्वुन उन में से एक हैं ।
वर्ष 1978 में चीन में सुधार व खुलेपन की नीति लागू होने लगी । क्वुआन मू छ्वन का भी अपना कला का वसंत ऋतु आया । वे कारखाने से थ्येन चीन नृत्य गान मंडली में प्रवेश कर गई और एक पेशेवर गायिका बन गयी । पानी में तैरती मछली की तरह परवान चढ़ कर चार पांच वर्षों में ही क्वुआन मू छ्वुन अपनी मिट्ठी आज़ाज के जरिए चीन में लोकप्रिय हो गई । मशहूर चीनी संगीतकार ली दे लुन ने क्वुआन मू छ्वुन का उच्च मुल्यांकन करते हुए कहा कि उन की आवाज़ जमीन पर रखे हुए वाओलिनसेलो के बराबर है , और आंजल की ऊंगलियों से वाओलिन बजाने से जो मिट्ठी आवाज़ निकलती ,वह उन की है । अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में ऐसी आवाज़ बहुत कम मिलती है ।
अब आप सुन रहे हैं, क्वुआन मू छ्वुन द्वारा गाया गया "चांदनी रात में बांसुरी की आवाज़"
गीत का भावार्थ कुछ इस प्राकर है
रात की चांदनी में बांसों से बने दुमंजिला मकान झांकते हैं
नदी के उस पार ,
घर के दरवाज़े से टेकी खड़ी है
रंगीन पोशाक में सजती हुई
ताई युवती
डूबती है अपने प्रेमी के साथ प्रेमालाप में
"चांदनी रात में बांसुरी की आवाज़" नामक गीत चीन की अल्पसंख्यक जाति ताई जाति का एक प्रेम गीत है । गीत में ताई युवती के अपने प्रेमी से गहन प्यार की भावना अभिव्यक्त हुई ।
वर्ष 1984 में क्वुआन मू छ्वुन चीनी केंद्रीय संगीत क़ालेज में दाखिला हुई , और सुव्यवस्थित रूप से संगीत सीखने व ट्रेनिंग लेने लगी । इस से संगीत के बारे में उन्हें विस्तृत जानकारी हासिल हुई । उन्होंने पश्चिमी गायन पद्धति सीखने के बाद उस की गुणवत्ता को चीनी संगीत में समावेश कर लिया , और गाने की अपनी विशेष शैली का सृजन किया । पिछली शताब्दी के 80 वाले दशक में क्वुआन मू छ्वुन ने चीनी प्रथम संगीत फ़िल्म"समुद्र पर छिटक हुई है चांदनी"की प्रमुख पाश्व गायिक बने, तभी से उन्हों दसियों फिल्मों , टी.वी धारावाहिकों तथा कला फिल्मों के लिए मुख्य विषय के गीत गाये । उन्हें कई बार पुरस्कार भी हासिल हुए , और क्रमशः राजधानी पेइचिंग और शांग हाई आदि शहरों में अपने संगीत समारोह आयोजित किए । इस के अलावा, क्वुआन मू छ्वुन ब्रिटेन , आयरलैंड , जापान आदि देशें में जा कर कला प्रदर्शन दौरा किया । उन के द्वारा गाए गए चीनी गीतों को विदेशी लोगों से खूब प्रशंसा और पसंद प्राप्त हुई । आगे सुनिए क्वुआन मू छ्वु का गीत "समुद्र है मेरा जन्मस्थान"।
कला जीवन के अलावा, क्वुआन मू छ्वुन को सार्वजनिक कल्याण कार्यों में भी लगाव है । वे चीन की आशा परियोजना पर सदा ध्यान देती हैं । आशा परियोजना चीनी युवा किशोर कोष द्वारा स्थापित हुई गरीबी क्षेत्र के बाल किशोरों को स्कूल जाने की सहायता देने वाली सार्वजनिक योजना है । 15 वर्षों में क्वुआन मू छ्वुन ने दसियों गरीब छात्रों को चंदा देकर सहायता दी , और विभिन्न परोपकारी कला प्रदर्शनों में भी भाग लेती हैं । इस सब से सुश्री क्वुआन मू छ्वुन को चीनी दर्शकों का गहरा प्यार प्राप्त हुआ । तो आइए , आप सुनिए क्वुआन मू छ्वुन का "शरद की हवा चलते समय" नामक गीत ।
गीत का भावार्थ कुछ इस प्रकार है
शरद की हवा चली
मैं गांव के सुनहरी शरद का गुणगान करती हूँ
सुगंधित फूल खिले हैं, उन की खुशबू फैली हुई
मेरी खिड़की के पास
अगर तुम पूछोगेः
मेरी जन्मभूमि में कौन सा समय सब से सुन्दर
तो जवाब होगा
जब शरद की हवा चली है
शरद की सुनहरी हवा चलती है
मैं जन्मस्थान का गुणगान करती हूँ
लड़कियां गाती हैं यौवन के नशे में
लड़के शराब पीते हैं खुशी के नशे में
अगर तु पूछोगेः
गीत की आवाज़ सब से मिट्ठी कब है
तो मेरा जवाब है
शरद की हवा जब चली है
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