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(GMT+08:00) 2004-09-29 15:25:16    
देन बा के च्ओ श्याओ लिन दंपत्ति

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चीन के सी छ्वान प्रांत के गेन ज़ी तिब्बती प्रिफेक्चर के पूर्व में देनबा नामक एक सुन्दर काउंटी है। यहां की सुन्दर घाटी, पवित्र मोर्दो पहाड़, अनूठे प्राकृतिक दृश्य, तिब्बती लोगों के पुराने जा च्वू मकान व जा रो सभ्यता और पूर्व के पिरामिड मानी जाने वाली देन बा मीनारें बड़ी प्रसिद्ध हैं। देनबा में हमारी संवाददाता चीन के भीतरी इलाके से आए च्ओ श्याओ लिन दंपति से मिलीं। इस दंपत्ति ने बड़े शहरों के आरामपसंद जीवन को छोड़कर यहां रहने का निर्णय लिया।

देनबा काउंटी के एक साफ़-सुथरे आंगन वाले मकान के द्वार पर देनबा होटल और देनबा अंतरराष्ट्रीय युवा रेस्तरां की तख्तियां टंगी हैं। पर्यटकों पर यह आंगन गहरी छाप छोड़ता है। इस में कुछ लकड़ियां, बीज और लाल-लाल मिर्चें रखी दिखती हैं। होटल के हर कमरे में होटल मालिक ने खुद डिजाइन की लकड़ी की मेज़-कुरसियां रखी हैं। मेज़ पर तिब्बती भाषा की इबारतों वाले पत्थर भी रखे हैं। यहां की हर चीज़ लोगों में यहां कुछ देर ठहरने की इच्छा उत्पन्न करती है।

इस के मालिक चीन के एक बड़े शहर से यहं पहुंचे एक दंपत्ति हैं, पति क्वांग तुंग वासी हैं। नाम है च्यो श्याओ लिन और पत्नी पेइचिंगवासी। नाम ईं च्ये। आठ वर्ष पहले एक यात्रा में उन्हें देनबा का पता चला। इस काउंटी के सुन्दर प्राकृतिक दृश्यों, विशेष पत्थर की मीनारों, तिब्बती लोगों के पुरानी शैली वाले मकानों, रहस्यमय तिब्बती बौद्ध धर्म , रंग-बिरंगे रीति-रिवाज और जोशीली जनता ने उन पर गहरी छाप छोड़ी तो देनबा उन के मन का स्वर्ग बन गया। वे देनबा को नहीं भुला पा रहे थे । इसलिए कई वर्षों तक हर वर्ष क्वांग च्यो से यहां आकर देनबा के वीडियो रिकार्ड करते रहे।

कैमरा हाथ में लेकर वे देनबा तथा आसपास के पहाड़ों पर चढ़ते और नदियां पार करते। देनबा के स्वो फो गांव की पत्थर की मीनारों को देख कर वे अचम्भे में पड़े। उन की समझ में नहीं आया कि कैसे लोगों ने भिन्न-भिन्न आकारों वाले पत्थरों से बीस मीटर ऊंची इन मीनारों का निर्माण किया होगा। ये मीनारें हजारों वर्षों के बाद भी पहाड़ों के बीच खड़ी हैं।

जा ज्वू नामक तिब्बती मकानों में वे तीन महीने रहे। यहां वे पत्थरों व मिट्टी से बनाये गये मकानों से नीले आकाश पर सफेद बादल देखते रहे। मोरदो पहाड़, जिसे तिब्बती लोग बहुत पवित्र मानते हैं, में उन्होने लोगों को पूजा करते देखा। देन बा की सभी जगहें उन्हें इतनी सुन्दर लगी कि वर्ष 2001 में उन्होंने आखिरकार शहरों का जीवन छोड़ कर देनबा में रहने का निर्णय ले डाला।

देनबा में उन के पास कोई मकान नहीं था सो वे तम्बू में रहे और बड़ा कठिन जीवन बिताया। पिछले तीन वर्षों में उन्होंने चित्र पत्रिकाओं के प्रकाशन से कुछ पैसे कमाकर अपने लिए यह आंगन वाला घर खरीदा। पहले के दिनों की याद करते हुए पत्नी ईं च्ये ने बताया, शुरू में हमारा जीवन बहुत कठोर था। आंगन में कभी पानी न होता तो कभी बिजली गायब रहती। हमें खुद एक कुआं खोदना पड़ा। देनबा की इस भूमि से प्रेम की वजह से ही हम यहां आये।

च्यो श्याओ लिन दंपत्ति ने कई लाख की पूंजी लगा कर खुद इस आंगन में होटल व रेस्तरां की स्थापना की। इस तरह उन्होंने स्थानीय जीवन में प्रवेश किया । वे लोगों के साथ घेरे में नाचते हैं। फुरसत के समय इधर-उधर घूमते हुए फोटो खींचते हैं, वीडियो रिकार्ड करते हैं और स्थानीय लोगों व पर्यटकों के साथ गपशप करते हैं। सुश्री ईं च्ये ने कहा कि समय गुजरने के साथ –साथ उन्हें लगा कि देनबा एक अनोखी जगह है, जिसे कठिनाई से नहीं भुलाया जा सकता। यहां न केवल बर्फ के पहाड़, चौड़ा घासमैदान और नदियां आदि प्राकृतिक दृश्य हैं, संस्कृति भी बहुत उज्ज्वल है। पुराने शी श्या काल में छांग जाति यहां रही थी, छिंग राजवंश में हान और मेन जातियां भी यहां रहीं और तिब्बती लोग भी। यह विभिन्न जातियों के मेलमिलाप की जगह है। उन्हें लगा कि देनबा का इतिहास बहुत रहस्यमय है। पिछले आठ वर्षों में उन्होंने देनबा में 70 से 80 हजार फोटो खींचे हैं।

स्थानीय लोगों में पर्यटन के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए उन्होंने ये फोटो उन लोगों को दिखाये। उन्हें देख कर स्थानीय लोगों ने पहली बार जाना कि उन का जन्मस्थान कितना सुन्दर है। इस से उन का आत्मविश्वास बढ़ा। पहले देनबा की जनता केवल खनिज खोदने को महत्व देती थी पर अब उसने समझ लिया है कि खनिज खोदने से देनबा कोई बहुत फायदा नहीं पा सकता और केवल पर्यटन से ही सच्चे माइने में लोग पैसे कमा सकते हैं औऱ समृद्ध बन सकते हैं। इधर स्थानीय लोगों की विचारधारा में भारी परिवर्तन आया है। इस परिवर्तन पर श्री च्यो श्याओ लिन ने खुशी प्रकट की। उन्होंने कहा, इधर के वर्षों में हम ने स्थानीय लोगों में परिवर्तन देखे हैं। दो-तीन वर्ष पहले, जब हम देनबा के गांवों में चलते थे, तो हमें लगता था कि हम बहुत अकेले हैं। उस समय मैं कहता था कि हम विश्व के सब से सुन्दर स्थान में अकेले चल रहे हैं। पर स्थानीय पर्यटन व्यवसाय के विकास के साथ अधिक से अधिक पर्यटक यहां आने लगे हैं। स्थानीय लोगों ने यह भी जान लिया है कि उनका जन्मस्थान बहुत सुन्दर है। उन में आत्मविश्वास की भावना बढ़ी है। शायद यह हमारा देनबा को सब से बड़ा योगदान है।

श्री च्यो श्याओ लिन की आंखों में पर्यटन संसाधन स्वर्ण ऊर्जा की तरह हैं। हर जगह की पर्यटकों को आकर्षित करने वाली अपनी विशेषता होनी चाहिए। देन बा के कुछ धनी हो चुके लोग अपने मकानों की दीवारों को टाइल से सजाना चाहते थे तो श्री च्यो ने उन्हें समझाया कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए क्योंकि ये परम्परागत शैली वाले मकान ही उन का धन हैं। अगर वे पहले जैसे न रहे तो वहां पर्यटक भी नहीं आऐंगे।

श्री च्यो ने अपनी पत्नी के साथ यो दो पर्यटन वेबसाइटों पर आंखों का सांस्कृतिक भूगोल नामक एक पत्रिका भी प्रकाशित करनी शुरू की। वे इस पत्रिका से दुनिया भर में रहने वाले लोगों को देनबा व गेन जी तिब्बती प्रिफेक्चर के सौन्दर्य की जानकारी देते हैं। उनकी आशा है कि वे इन चित्रों व लेखों से इस स्थान की ओर अधिक से अधिक लोगों का ध्यान खींच सकेंगे। इस के अलावा, उन्होंने गेन जी तिब्बती प्रिफेक्चर के विकास की नयी विचारधारा भी प्रस्तुत की। ये है खांग दींग प्रेम गीत के घर वापस लौटें। खांग दींग गीत दुनिया भर के चीनियों में प्रचलित गीत है। उन्होंने खांग दींग प्रेम गीत पर विभिन्न तरीकों व ढंगों की पर्यटन वस्तुओं का विकास किया है। अपनी कलाकृतियों पर सुश्री ईंग च्ये को बहुत गर्व है। उन्होंने कहा, हम मजे के लिए इन कलाकृतियो का निर्माण करते हैं। इनकी कई किस्में हैं लेकिन, सभी का मुख्य विषय खांग दींग प्रेम गीत ही है। खांग दिंग गेन जी प्रिफेक्चर की राजधानी है और खांग दींन प्रेम गीत दुनिया भर में बसे चीनियों में प्रचलित हैं। हम चाहते हैं कि पर्यटक खांग दींग प्रेम गीत के घर यानी गेन जी प्रिफेक्चर की राजधानी वापस लौटें। हमारी कलाकृतियां लकड़ी, चमड़े, पत्थर व हड्डी आदि से बनी होती हैं। सुश्री ईंग च्ये का कहना है कि देनबा ऐसी जगह है , जहां आकर कोई भी व्यकित आश्चर्य में पड़ जाता है। उन का होटल अनेक चीनी युवा पर्यटकों की पसंदीदा जगह बन गया है। यहां शराब, गिटार और संगीत सब कुछ है। कभी-कभी लोग रात भर यहां बैठकर गपशप ही करते हैं। शायद यही कारण है कि च्यओ श्याओ लिन और उन की पत्नी यहां इतने लम्बे समय के लिए ठहर गये। श्री च्यो ने कहा, अब हमें यहां अकेलापन नहीं लगता। हमारे यहां लगतार पर्यटक आते रहते हैं। प्रत्येक पर्यटक की अपनी कहानी होती है। हम उन के साथ विचारों का आदान-प्रदान करते हैं और उन से कुछ न कुछ सीखते ही हैं। जीवन एक लम्बी यात्रा है। हर एक व्यक्ति की जीवन यात्रा का एक शानदार भाग भी होता है। मेरे लिए सब से खुशी की बात यह है कि मैं अपनी पसंद के स्थान में रहता हूं, अपने पसंदीदा मित्रों के साथ बात करता हूं और आसपास के सुन्दर दृश्यों का आनंद लेता हूं।

अपनी इच्छा से जीवन बिताने पर लोगों को वास्तव में सुख मिलता है। देनबा की हर पुरानी मीनार, हरेक तिब्बती मकान, हर पहाड़ औऱ नदी च्यओ श्याओ लिन व उन की पत्नी को हमेशा याद रखेंगे।