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(GMT+08:00) 2004-09-22 10:20:16    
रंगीन कमरबंद वाली ताई जाति

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दक्षिण पश्चिम चीन के युननान प्रांत की हुङ ह नदी की घाटी में ताई जाति की एक शाखा रंगीन कमरबंद वाली ताई जाति के लोग रहते हैं । चारों ओर पहाड़ों से घिरी हुङ ह नदी की घाटी में अर्ध उष्ण कटिबंद प्रदेश के मौसम होने और हुङ ह नदी की प्रचूर जल राशि से सिंचित होने के कारण यहां बारहों माह भूमि और जलवायु आर्द्र और सुहावना होती है । पीढ़ियों से यहां रहने वाली रंगीन कमरबंद वाली ताई जाति के लोग खेतीबाड़ी का जीवन बिताते है और अपनी अलग विशेषता वाली रंगीन कमरबंद ताई जातीय संस्कृति का सृजन किया ।

कहा जाता है कि बहुत बहुत समय पहले रंगीन कमरबंद वाली ताई जाति के पूर्वज हुङ ह नदी के किनारे किनारे स्थानांतरित हो गए , उन का एक भाग नदी के जल प्रवाह की दिशा में दक्षिण में चले गए और आज के वियतनाम , लाओस तथा ताईलैंड में जा बसे । उन का एक दूसरा भाग हुङ ह नदी के घाटी क्षेत्र में बसा । उन की उत्तरवर्ती संतान आज की रंगीन कमरबंद वाली ताई जाति बनी है । कुछ लोगों का मानना है कि रंगीन कमरबंद वाली जाति ताई जाति के कुलीन परिवार या धनी परिवार की संतान है और इस जाति के महिला वस्त्र बहुत शान शौकत वाले हैं और उन के कमरों पर रंगीन कमरबंद बांधता है , इसलिए इस जाति शाखा को रंगीन कमरबंद वाली ताई कहलाती है ।

इस जाति विशेष की प्रथा के अनुसार यदि कोई मैहमान गांव में आए , तो उस के स्वागत में गांव के सभी वासी गांव के प्रवेश द्वार के आगे इकट्ठे हो जाते हैं और मैहमान के सम्मान में एक रस्म आयोजित किया जाता है । रंगीन कमरबंद ताई जाति के लोग यह मान कर चलते हैं कि गांव का द्वार मानवी जग और भूत लोक की सीमा है , दूर से आने वाले मैहमान के स्वागत में गांव के प्रवेश द्वार पर पूजा का रस्म आयोजित होने से शांति और मंगल लाया जाता है । रंगीन कमरबंद ताई जाति के एक गांव के आगे हमारा भी इस प्रकार के रस्म से स्वागत किया गया । गांव के दो वयोवृद्ध सड़क की दोनों ओर खड़े हैं , उन के हाथों में लम्बे लम्बे लाल धागे हैं , वहां की प्रथा के अनुसार हम ने लाल धागे को तीन बार लांघे । गांव के मुखिया श्री क्वो वुन हवा ने हमें तीन बार लाल धागा लांघने का महत्व बताते हुए कहाः

पहली बार लाल धागा लांघने से आप के दिल पर पड़ा धूल झाड़ा जाता है , दूसरी बार लम्बी यात्रा से आए आप का थकावट मिटाया जाता है और तीसरी बार ताई लोग दूर से आए मैहमान को अपना मंगलमय आशीर्वाद देते हैं ।

जब हमारे कलाई पर लाल धागा बांधा जा रहा है , तो पास आई ताई युवती सुरीली आवाज में मदिरा का जाम का गीत गाते हुए चावल का मदिरा आगे पेश करती है , उन की मान्यता है कि सुगंधित शराब पीने से मैहमानों का थकावट दूर हो जाता है ।

गांव में हर जगह हरियाली छायी रही है , केला पेड़ों पर फलों के कुच्छ हवा में झूम रहे हैं , रास्तों की दोनों ओर आम और लीची के फल पेड़ों पर इतना नजदीक लटकाए हुए है , चाहे तो हाथ बढ़ा कर तोड़ सकता है । रंगीन कमरबंद वाली ताई जाति के लोग आम तौर पर मिट्टी के मकान में रहते हैं , इस प्रकार का मकान जाड़ों में गर्मी और गर्मियों में शीतल देता है । मकान पहाड़ों और नदियों के पास फैले गांवों में पंक्तिबद्ध बनाए गए हैं , गांव चारों ओर हरियाली से घिरा हुआ है , छोटी छोटी नदियां और झरनाएं गांवों के बीच से गुजर कर बहती हैं , हर तरफ अमनचैन व्याप्त हो रहा है , जो एक मनमोहक प्राकृतिक सौंदर्य प्रदान करता है ।

रंगीन कमरबंद वाली ताई की युवती के मधुर गीत से हमारे कदमों को उस की ओर बरबस खींचाया गया , ऐसा मधुर गीत गाने वाली लड़कियों पर जरूर सुन्दर वस्त्र पहने हुए होंगे । गांव के भीतर कदम कदम पर हमारी मुलाकात खूबसूरत वस्त्र आभूषण पहनने वाली ताई लड़कियों से हो रही है । उन के शरीर पर पहने सुन्दर वस्त्र अन्य लड़कियों को ईर्षा कराने दे सकता है और लड़कों के कदम को बांध सकता है । उन की सुरीली आवाज सुन कर लोगों के दिल खुशी से झूम उठेगा ।

रंगीन कमरबंद वाली ताई जाति की महिलाओं के वस्त्रों की खासी स्पष्ट विशेषता है । उन के ऊपरी शरीर पर काला रंग का चुस्त बांह वाला छोटा वस्त्र पहनता है , वस्त्र के किनारों पर चांदी की छोटी छोटी गैंद और घंटियां बंधती हैं और नीचे के शरीर पर अपने द्वारा बुनायी गई रंगीन बेलानुमा स्कर्ट पहनती है । उन के कानों पर चांदी के हार है और कलाई पर चांदी के कंगन है और आभूषण की अपनी विशेष पहचान लिए हुई है । रंगीन कमरबंद वाली ताई जाति की लड़कियों की खास विशेषता वाला आभूषण उन के सिर पर बांस से बुनाई गई गोलाकार टोपी है । गांव की लड़की सुश्री निया ने हमें बताया कि टोपी के विभिन्न रूपाकारों से ताई जाति की विभिन्न शाखाएं पहचानी जा सकती हैं और टोपी के बारे में एक प्राचीन लोक कथा भी प्रचलित हो रही है । वह कहती हैः

ताई जाति की एक शाखा ताई-सा की महिला अपनी टोपी नीचे की ओर खींच कर पहनती है , जब दूसरी शाखा ताई-या की महिला अपनी टोपी के किनारे को ऊपर की ओर उलटा लगा कर पहनती है । कहा जाता है कि ताई -या की महिला जब अपने पति को खाना पहुंचाने जा रही थी , रास्ते में सैतान से मिली , सैतान उस के साथ दुर्व्यवहार कर रहा था , तो ताई -या की महिला टोपी उतार कर उस से सैतान को मार देने लगी , मार पीट से टोपी का किनारा ऊपर की ओर उलटा हो गया , तभी सैतान पर विजय की याद में ताईया की महिलाओं में उलटी किनारों वाली टोपी पहनने की प्रथा चल गई ।

ताई जाति में सब से मशहूर त्यौहार जल छिड़काव त्यौहार है , यह त्यौहार मुख्यतः ताई जाति बहुल सिश्यांगपांना ताई स्वायत्त प्रिफेक्चर में मनाया जाता है । किन्तु हुङ ह नदी के घाटी क्षेत्र में रहने वाली रंगीन कमरबंद वाली ताई का सब से अहम त्यौहार इश्क मार्ग पर्व होता है । शब्दों से यह जाहिर है कि यह प्रेम का एक त्यौहार है । त्यौहार के दिन रंगीन कमरबंद वाली ताई के युवक युवतियां अपना सब से सुन्दर वस्त्र पहने मार्गों से धीरे धीरे चलती हुए गुजर रही हैं , मार्गों की दोनों ओर खड़े युवक को जिस किसी युवती को पसंद आया , तो वह उस युवती को शुगर , रंगीन धागा , दुपट्टा और छोटी टोकरी भेंट कर रहा है । यदि युवती को भी युवक पसंद आया , तो वह अपनी बुनी हुई रूमाल , रंगीन कपड़ा और सुन्दर कमरबंद को वापस युवक को देती है औक उसे चावल का पकवान और बत्तख का अंडा खिलाती है । यह खाना खाने के बाद दोनों युवक युवती पेड़ों के नीचे या शांत स्थान पर जा कर अपना अपना प्रेम जताते हैं या नाच गान में डूब जाते हैं ।

रंगीन कमरबंद वाली ताई जाति का यह अनोखा त्यौहार हर मार्च में होता है । यह त्यौहार ताई लोगों में बड़े धुमधाम के साथ मनाया जाता है , गांव के चौक में युवक युवतियां खुशी में नृत्यगान कर रहे हैं।

ढोल नगाड़े की मधुर ध्वनि में खूब सुसज्जित युवा लोग अपने बनाए नृत्यगान पेश कर रहे हैं , प्रोग्राम में कपड़ा बुनाई , मछली पकड़ने ,धान की रोपाई तथा गन्ने की कटाई जैसे श्रम के नजारे दिखाई देता है ।इस से श्रम की शानदार उपलब्धियों के बाद ताई लोगों की अपार प्रसन्नता प्रकट हुई है ।