कलेर बिहार के मोहम्मद आसिफ खान की एक कविता , शीर्षक है दिल बहलाए ।
प्रेम बदरीया छाई है हर सू ,
फैली हुई है प्रेम की खुशबू ।
ऐसे समय में दिन भर कू ,
प्रेम के गीत सुनाएं ,
आओ दिल बहलाएं ।
प्रेम नगर में खोना अच्छा ,
प्रेम की नींद सोना अच्छा ,
ठंढी हवाएं आने लगी है ,
हम तुम भी खो जाएं ।
आओ दिल बहलाएं ।
गम का कोई जिक्र न छोड़ो ,
गम को हटाओ , गम को छोड़ो ।
रोना कब तक , नाले कब तक ,
हंस कर सब को हसाएं ।
आओ , दिल बहलाएं ।
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आरा बिहार के ब्रजेश कुमार पांडेय की कविता , शीर्षक है मेरा मन ।
मैं रोज सी .आर .आई सुनता हूं ,
चीन के बारे में गुनता हूं ।
मधु सी मधुर आवाज में ,
हृदय नहाने लगता है ।
प्रस्तुति शैली सुन्दर मनहर ,
मन सुनते नहीं भरता है ।
जन से जन को जोड़ कर ,
भारत चीन को जोड़ता है ।
नित नवीन कार्यक्रम प्रकाश से ,
हर भ्रांति को तोड़ता है ।
भारत चीन में प्रेम बढ़े ,
यह उद्देश्य है उत्तम ।
नहीं तोड़ पाएगा कोई ,
दोनों में है इतना दम ।
मेरी अभिलाषा है यह ,
सी .आर .आई को सुनने हर जन ।
जिए हजारों साल सी .आर .आई ,
कहता है यह मेरा मन ।
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बेत्तिया बिहार के मैहती हसन द्वारा भेजी गई एक अखबार की कटिंग , जिस में लोगों को परेशानी दूर करने का उपाय बताया गया है , हम समझते है कि ये उपाये शायद श्रोताओं के लिए भी मददगार सिद्ध हो सकता है । नुसखा एक है बेकार की उधेड़ बुन में न पड़े ।
कुछ लोग फैसला लेने में जरा भी नहीं हिचकिचाते हैं , तो कुछ लोग किसी तरह का फैसला लेने में बहुत परेशान हो उठते हैं और इसी उधेड़ बुन में अपना दिमाग खाली कर डालते हैं । परफेक्शानिस्ट और अनिश्चित लोग इसी कैटेगरी में आते हैं । ऐसे लोग कुछ भी फैसला करें , वे अपने फैसलों से संतुष्ट नहीं होते । एगर आप को मुश्किल से मुश्किल फैसला भी लेना हो , तो परेशान न हों , बल्कि सुकून से सोचें और ज्यादा से ज्यादा 15 मिनट में फैसला सुना डालें । अगर मामला ज्यादा गंभीर हो , तो दूसरों से सलाह मशविरा करने के लिए भले ही ज्यादा समय ले लें , पर अपना दिमाग को किसी भी सूरत में न खाली करें ।
दोस्तो , परेशानी को दूर करने के लिए जो नस्खा दो दिया गया है वह दिल का बोझ हल्का करे । यह भी आप के सामने है।
हो सकता है, आप बरसों पुरानी किसी भावनात्मक घटना को अब भी अपने दिल का बोझ बनाए घूम रहे हों । पर अब वक्त आ गया है कि अपने दिल का बोझ हल्का कर लें । लोग अपने दिल का बोझ हल्का करने से डरते हैं कि इस से उन्हें तकलीफ होगी । पर रोज रोज की तकलीफ उठाने से तो बेहतर है कि एक बार तकलीफ उठा कर हमेशा के लिए समस्या से फुर्सत पा ली जाए । क्योंकि किसी तकलीफ देने वाली बात को दिल में रखने पर बहुत ज्यादा एनर्जी बरबाद होती है । इसलिए बीती बातें भूल जाइए और खुश रहिए ।
दोस्तो , परेशानी को दूर करने के लिये ऊपर के नुस्खा आप को कैसे लगा . हां , उन नुस्खाओं का एक ही महत्व है कि परेशानी से दूर रहने के लिए हम बेकार सोच विचार से बच जाए । तो आइये , अब आप आगे सुनिए कोआथ बिहार के राजेश चौधरी के खत से एक कथा । शीर्षक है व्यर्थ का अभिमान ।
बस में सफर के दौरान बातचीत के सिलसिले में एक यात्री ने अहंकार से भर कर दूसरे से कहा , हमारे गांव में मुझे कौन नहीं जानता । मैं अपने गांव का सब से अमीर और ताकतवर व्यक्ति हूं ।
हूं , सुनने वाला यात्री बोला । पहले यात्री ने आगे कहा -- जानते हो , मेरे पास सौ बीघा जमीन है । इतनी जमीन वहां किसी के पास नहीं है ।
हो सकता है , सहयात्री ने उस की बात मान ली ।
इसलिए मैं ने कहा कि मैं इपने गांव का सब से अमीर आदमी हूं । वह बोला , रही बात ताकत की । मेरे पांच लड़के हैं , जो मेरी ताकत हैं । उस गांव में पांच लड़के किसी के नहीं है ।
मतलब कि आप के पास जमीन भी अधिक है और पुत्र भी । सहयात्री ने कहा ।
बिल्कुल -- पहला यात्री बोला ।
जहां तक आप की अमीरी की बात है , ठीक है । कल आप की जमीन पांच बेटों में बंट कर छोटी हो जाएगी । आप के बेटे आप जैसा अमीर न रह कर गरीब हो जाएगे।
यह सुन कर वह आदमी घबराया । कुछ नहीं बोला । यहयात्री ने उस से आगे कहा --- , आप के एक बेटे के हिस्से में बीस बीघे जमीन पड़ेगी । कोई आप के गांव में ऐसा भी हो सकता है , जिस के पास सिर्फ पचीस -तीस बीघे जमीन हो और बेटा एक ही हो .
ऐसे कई हैं , वह बोला ।
फिर तो आप के बेटे एक दिन उन की तूलना में गरीब हो जायेंगे।
हूं , इस से अधिक वह कुछ नहीं बोला ।
सहयात्री ने आगे कहा , रही बात ताकतवर की । आप तो अच्छी तरह जानते हैं कि मुठ्ठी भर अंग्रेजों ने हमारे देश को गुलाम बना कर करीब दो सौ वर्षों तक रखा ।
बिल्कुल , भला कैसे । आपसी फुट की वजह से , मतलब आदमियों की संख्या अधिक होने से कोई ताकतवर नहीं हो जाता , अगर उस में फुट हो ।
हां ।
और आपसी फूट गरीबी और अभाव की वजह से ही उत्पन्न होती है । आप के पांच लड़के कल संपत्ति का बंटवारा कर गरीब ही नहीं होंगे । छोटी छोटी बात पर वे परस्पर लड़ाई--झगड़े भी कर बैठेंगे । सहयात्री ने आगे कहा -- लड़ाई झगड़े से बुद्धि नष्ट होती है . ताकत घटती है , फूट उत्पन्न होती है । अतएव आदमियों की संख्या अधिक होना ताकत की पहचान नहीं है ।
ठीक कहते हैं , उस ने सहयात्री की बात मान ली ।
आज धरती वैसे भी अधिक आबादी से पीड़ित है । खास कर हमारा देश । हम से कम आबादी वाले देश हम से अधिक साधन सम्पन्न है और ताकतवर भी है । सहयात्री ने अपनी बात पूरी करते हुए कहा -- ऐसे में हमें चाहिए कि हम अपनी संतान को गरीबी से बचाए । उसे अपने से अधिक साधन संपन्न होने का अवसर दें । और यह तभी संभव है । जब हमारी संतान अधिक कम हो ।
कुछ समय पहले उसे जो अपने अमीर और ताकतवर होने का व्यर्थ अभिमान था , अब नहीं रहा । सहयात्री की एक एक बात उसे सही जान पड़ी ।
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