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(GMT+08:00) 2004-09-16 16:46:29    
देश के विकास में विज्ञान व शिक्षा का कितना महत्व रहेगा

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इधर बीस सालों में चीन के अर्थतंत्र व समाज की बड़ी गति से विकास हो पाया है । चीन के विकास में विज्ञान व शिक्षा की भूमिका सर्वविदित है । चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने वर्ष उन्नीस सौ ब्यानवे में प्रथम बार विज्ञान व शिक्षा के जरिये देश का उद्धार करने की रणीति प्रस्तुत की । उसी साल सितंबर में आयोजित पार्टी की केंद्रीय कमेटी के एक अधिवेशन में राष्टीय अर्थतंत्र और सामाजित विकास की योजना पर विचार विमर्श के दौरान , प्रथम बार यह नारा प्रस्तुत किया गया कि विज्ञान व तकनीक के जरिये देश का उद्धार किया जाए , और विज्ञान व शिक्षा को अर्थतंत्र के साथ जोड़ने को बढ़ावा दिया जाए । फिर वर्ष उन्नीस सौ सत्तानवे में आयोजित पार्टी की पंद्रहवीं राष्टीय कांग्रेस में यह नारा एक बार फिर दोबारा गया । यानी , देश के विकास में विज्ञान व शिक्षा को महत्वपूर्ण स्थान दिया जाए । पूरे राष्ट की सांस्कृतिक व तकनालाजीकल स्तर को उन्नत किया जाए । विज्ञान व तकनीक प्रथम उत्पादन शक्ति होने के विचार पर डटकर देश की संश्रित शक्ति के वृद्धि और जन जीवन की उन्नति के प्रति विज्ञान व तकनीक के भारी प्रभाव का मूल्यांकन किया जाए । चीनी सामाजिक विज्ञान अकादमी के आधुनिक चीन अनुसंधानशाले के प्रोफेसर ली चंग वू ने हमारे संवाददाता के साथ कहा कि चीन हमेशा विज्ञान व तकनीक को महत्व देता रहता है । वर्ष उन्नीस सौ पचास में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने विज्ञान की ओर अभियान बढ़ो का नारा पेश किया था । फिर वर्ष 1978 में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने विज्ञान व तकनीक प्रथम उत्पादन शक्ति होने का विचार घोषित किया । और पार्टी की तीसरी पीढ़ी वाले नेता दल ने विज्ञान व तकनीक के जरिये देश का उद्धार करो का ध्वज फहराया । इन में हम देख पाते हैं कि विज्ञान व तकनीक की भूमिका के प्रति चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का ध्यान बढ़ता जा रहा है । पहले चीन लोगों की आर्थिक विकास में विज्ञान व तकनीक की भूमिका के प्रति जानकारी सीमित रही । हालांकि वर्ष उन्नीस सौ अस्सी से वर्ष उन्नीस सौ ब्यानवे तक चीन के आर्थिक विकास की लम्बी छलांग हुई , पर वह मुख्य तौर पर आर्थिक पैमाने के विस्तार तथा बड़ी मात्रा के संसाधनों व सस्ता श्रम के प्रयोग के आधार पर कायम था । लेकिन इन के दौरान चीन के आर्थिक विकास में विज्ञान व तकनीक की भूमिका उतनी बड़ी नहीं रही , और तकनालाजीकल आविष्कार भी कम रहे । पिछली शताब्दी के नौवें दशक में चीन ने विश्व में तकनीकी क्रांतिकारी के रूझान पर विचार कर विज्ञान व शिक्षा के जरिये देश का उद्धार करने का नारा पेश किया । इस दौरान चीन के दो प्रधानमंत्री श्री ली फंग और श्री जू रूं की ने अलग अलग तौर पर राष्टीय विज्ञान कार्य नेतृत्व दल के प्रधान का पद संभाला । प्रधानमंत्री जू रूं की ने वर्ष 1998 में अपना पद संभालने के बाद ही घोषित किया कि उन की सरकार का सब से बड़ा मिशन विज्ञान व शिक्षा के जरिये देश का उद्धार करना ही है । वर्ष उन्नीस सौ छियानवे में शुरू हुई चीन की नौवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान चीन सरकार ने विज्ञान व तकनीक के विकास में कुल दो खरब तीस अरब यवान की पूंजी लगायी , जो आठवीं पंचवर्षीय योजना की दुगुनी थी । यह भी चर्चा योग्य है कि इधर कुछ साल पहले चीन सरकार ने देश के वैज्ञानिक प्रगति को प्रोत्साहन देने के लिये पुरस्कार के सिद्धांत का सहारा किया , जो चीनी तकनीशियनों को अपने अनुसंधान नतीजों को उत्पादन से जोड़ने के लिये प्रेरित कर रहा है । चीन में हर साल एक वैज्ञानिक आविष्कार पुरस्कार वितरण सभा आयोजित होती है , इस में चीन के सर्वोच्च नेता देश की श्रेष्ठ विज्ञान प्रतिभा को सम्मानित करते हैं । सन उन्नीस सौ निन्यानवे में चीन सरकार ने अपने पूर्व वैज्ञानिक पुरस्कार नियम में सुधार किया और राजकीय विज्ञान व तकनीक पुरस्कार की स्थापना की । यह पुरस्कार पांच क्षेत्रों में दिया जाता है , वे हैं , राष्टीय सर्वोच्च विज्ञान व तकनीक पुरस्कार , राजकीय प्राकृतिक विज्ञान पुरस्कार , राजकीय तकनीकी प्रगति पुरस्कार और चीनी अंतर्राष्टीय विज्ञान व तकनीक सहयोग पुरस्कार । वर्ष दो हजार से हर साल चीन के सर्वोच्च नेता पुरस्कार वितरण समारोह में उपस्थित होकर विजेताओं को पुरस्कार देते रहे हैं । चीन के राजकीय विज्ञान व तकनीक पुरस्कार की राशि पचास लाख यवान , यानी लगभग ढ़ाई करोड़ रुपये के बराबर है । अब तक मशहूर चीनी गणितज्ञ प्रोफेसर ऊ वन त्सौ ,धान विशेषज्ञ प्रोफेसर यवान लूंग पींग समेत कुल पांच विशेषज्ञ इस गौरव से समानित किये जा चुके हैं । चीनी विज्ञान व तकनीक मंत्री श्री श्यू क्वान ह्वा का कहना है कि चीनी राजकीय विज्ञान व तकनीक पुरस्कार का अर्थ पैसा ही नहीं , पर देश के अनुसंधानकर्ताओं की कार्य भावना को उत्प्रेरित करना और युवाओं को विज्ञान व तकनीक के अनुसंधान में शामिल होने के लिये प्रोत्साहित करना है । वे कहते हैं कि राजकीय विज्ञान व तकनीक पुरस्कार के वितरण तथा मशहूर वैज्ञानिकों की कहानियों के प्रसार के जरिये , हम युवाओं में विज्ञान से प्रेम की आदत डालना चाहते हैं । राजकीय विज्ञान व तकनीक पुरस्कार कार्यालय के उप प्रधान श्री हू श्याओच्वन ने कहा कि इस पुरस्कार का दूसरा अर्थ भी है कि अनुसंधानकर्ताओं को अपनी वैज्ञानिक प्रगति के उत्पादन में इस्तेमाल के लिये प्रोत्साहित करना है । उन्हों ने कहा कि हाल के वर्षों में चीन ने अनेक विश्वस्तरीय तकनीकी उपलब्धियां प्राप्त की हैं । वे कहती हैं कि इस साल राजकीय प्राकृतिक विज्ञान व तकनीक पुरस्कार भी उत्पन्न हो गया है । इस पुरस्कार के द्वितीय स्तर के पुरस्कार विजेताओं की संख्या भी उन्नत हो गयी है । इन से यह जाहिर होता है कि चीनी वैज्ञानिकों की नवीनकरण क्षमता भी उन्नत हो गयी है । साथ ही राजकीय विज्ञान व तकनीक पुरस्कार विजेताओं की प्रगति , देश के आर्थिक विकास के लिये भी बहुत मददकार सिद्ध हो गयी हैं । उदाहरण के लिये गत वर्ष द्वितीय स्तर के प्राकृतिक विज्ञान पुरस्कार प्राप्त होने वाले नूं-डा 108 मकई का उत्पादन , आम मकई से तीस प्रतिशत ज्यादा रहता है । और यह मकई भी आम मकई से ज्यादा स्वादिष्ट होता है । और एक तकनीक के इस्तेमाल से चीनी रेल गाड़ियों की औसत गति को पहले के प्रति घंटे सौ दस किलोमीटर से सौ साठ या दो सौ किलोमीटर तक बढ़ाया जा चुका है , जिस से चीन के रेल मार्ग उद्योग की आय में तीस अरब यवान की वृद्धि प्राप्त हुई । रिपोटों के अनुसार चीन साकार की सही नीतियों से विदेशों में रह रहे चीनी छात्रों व तकनीशियनों को स्वदेश लौटकर अपनी मातृभूमि की सेवा करने के लिये प्रोत्साहित किया गया है , और इस से जवान अनुसंधानक्रताओं की भावना को उजागर किया गया है । गत वर्ष चीनी राजकीय तकनीकी पुरस्कार के विजेताओं का चालीस प्रतिशत भाग जवान तकनीशियन ही रहे ।