आइए अब लेते हैं आजमगढ़, उत्तरप्रदेश के फय्याज अन्सारी का पत्र। उन्होंने चीन की एक अल्पसंख्यक जाति ई की आदत के बारे में एक सवाल किया है। 16 मई के हमारे चीनी गीत-संगीत कार्यक्रम में उन्होंने ई जाति का एक गीत सुना जो इस जाति की मेहमाननवाजी से जुड़ा है। ई जाति का शराब का गीत या मेहमान का स्वागत नामक यह गीत प्रकट करता है कि इस जाति को मदिरा कितनी पसंद है।
भाई अंसारी ने ई जाति के बारे में कई सवाल कर डाले हैं । वे पूछते हैं, क्या ये लोग शराब किसी विशेष दिन, पर्व, या विवाह आदि पर ही पीते-पिलाते हैं या शराब पीना इनकी दिनचर्या में शामिल है। मदिरा ये घर पर बनाते हैं या बोतलबन्द शराब का प्रयोग करते हैं। यह शराब किस चीज से बनाई जाती है, गेहूं, चावल या जौ से या अन्य किसी वस्तु से। उन्हों ने यह भी चिंता जताई है कि नशे में लोग बहकते भी होंगे और इस का बच्चों पर बुरा प्रभाव भी पड़ता होगा।
भाई अन्सारी जी ने जब आपने ई जाति और उसकी मदिरा संस्कृति के बारे में इतनी गहरी जिज्ञासा व्यक्त की है तो हमने भी आपको विस्तार से जानकारी देने की ठान ली है।
ई जाति दक्षिण-पश्चिमी चीन के युन्नान, सछ्वान,और क्वेईचओ प्रांतों और क्वांगशी ज्वांग स्वायत प्रदेश में बसी हुई है।इस जाति की सभ्यता बहुत पुरानी है। ई लोगों की लिपि में लिखित इतिहास, साहित्य, चिकित्सा और पंचांग के ग्रंथ बड़े दुर्लभ माने जाते हैं। ई लोगों के लिए रोजगार के साधन कृषि, पशुपालन और शिल्पकला रहे हैं। ये लोग बड़े मेहमाननवाज़ हैं और नृत्य के शौकीन भी। मेहमानों की खातिर ये गाय, सुअर, बकरे और मुर्गी के मांस और मदिरा से करते हैं।ई जाति का अधिकांश पहाड़ी इलाके में रहता है। इन इलाकों का मौसम सर्द रहता है, इसीलिए ई लोगों को मदिरा पीना खासा पसंद है।
ई जाति में मदिरा के प्रचलन का इतिहास बहुत पुराना है। शायद कई हजारों साल पूर्व आदिम समाज में ही उन्होंने शराब बनाना शुरू कर दिया थआ। चीन में हान लोग की दिनचर्या में चाय शामिल है तो ई लोगों की दिनचर्या में मदिरा। हर ई परिवार की महिलाएं मदिरा बनाने में कुशल होती हैं। वे कूटू, मकई, गेंहू, ज्वार, लसदार चावल से शराब तैयार करती हैं। कभी-कभी मदिरा में जड़ी-बूटियों का प्रयोग भी किया जाता है। ऐसी मदिरा स्वास्थ्य के अनुकूल होती है, इससे जोड़ का रोग दूर करने में मदद मिलती है। इसकी एक किस्म काफी तेज होती है, जबकि दूसरी का स्वाद मीठा होता है।
हर ई परिवार के दरवाजे पर अक्सर मदिरा से से भरा बरतन रखा होता है। इस बरतन के ऊपर एक नली भी रखी होती है। रास्ते से गुजरने वाला नली के जरिए मदिरा सुड़क कर उसका मजा ले सकता है।ई लोगों के मेहमान उनकी बनाई मदिरा जितनी ज्यादा पीते हैं, मेजबान को उतनी ही खुशी होती है।
ई लोगों के विवाह समारोह में भी मदिरा का खुलकर प्रयोग होता है। त्योहारों की खुशियां भी मदिरापान के साथ मनाई जाती हैं।
ई लोगों के जीवन में मदिरा की भारी महत्ता है। मेहमानों को शराब पिलाते हुए वे गीत भी गाते हैं।
गत 16 मई को हमारे चीनी गीत-संगीत कार्यक्रम में ई लोगों का जो मद्य गीत आप ने सुना, आइए, वह हम आपको एक बार फिर सुनवाए देते हैं। इस गीत में मेहमाननवाज ई लोगों की अच्छी फसल काटने की खुशियां व्यक्त हुई हैं। गीत का भावार्थ इस प्रकार है,
दूर से आने वाले मेहमान
तुम हो हमारे दोस्त
पिओ हमारे अन्न की शराब
है यह ई जाति की
भावना की शराब
शुभकामना की शराब
भलमनसाहत से भरी शराब
हमारे यहां होती है फसल पर्याप्त
और मीठी शराब है नदी जैसी
ई लोगों का दिल है
मशाल की लाल आग जैसा गर्म
और सुंदर सोने की तरह
पिओ, शराब पिओ
करो हमारी ई जाति का
सच्चा प्रेम स्वीकार
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