• हिन्दी सेवा• चाइना रेडियो इंटरनेशनल
China Radio International
चीन की खबरें
विश्व समाचार
  आर्थिक समाचार
  संस्कृति
  विज्ञान व तकनीक
  खेल
  समाज

कारोबार-व्यापार

खेल और खिलाडी

चीन की अल्पसंख्यक जाति

विज्ञान, शिक्षा व स्वास्थ्य

सांस्कृतिक जीवन
(GMT+08:00) 2004-09-13 19:23:57    
एशियाई देशों के बीच शैक्षिक आदान-प्रदान मज़बूत होगा

cri

एशिया शिक्षा मंच हाल ही में पेइचिंग में आयोजित रहा। पूर्वी तिमोर, थाइलैंड, मलेशिया, लाओस, श्रीलंका तथा चीन के शिक्षामंत्रियों समेत एशियाई शिक्षा जगत के अनेक वरिष्ठ अधिकारियों ने इस मंच से भाषण दिये। अपने भाषणों में उन्होंने अपने-अपने देश की शिक्षा व्यवस्था, शिक्षा नीतियों तथा शिक्षा के विकास की स्थिति तथा भावी विकास योजना की जानकारी दी। यों उन्हों ने यह मत प्रकट किया कि एशिया के विभिन्न देशों के बीच शिक्षा क्षेत्र में बहुत सी समानताएं हैं जिसने इन देशों के बीच शिक्षा कार्य में प्राप्त अनुभवों के आदान-प्रदान, तथा समान उपभोग के जरिए इनके समान विकास को गति देने का अच्छा आधार प्रदान किया है। शिक्षा इन देशों के बीच मैत्री बढ़ाने में अहम भूमिका अदा कर ही सकती है।

एशियाई शैक्षिक सहयोग पर विचार गोष्ठी तथा एशियाई प्रबंध शिक्षा गोलमेज़ सभा वर्ष 2004 के एशिया शिक्षा मंच के प्रमुख अंग रहे। चीन, हांगकांग विशेष प्रशासनिक क्षेत्र, भारत, जापान, नेपाल,श्रीलंका, थाईलैंड , मलेशिया, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर आदि 19 देशों व क्षेत्रों के शिक्षा जगत के अधिकारी व विद्वान इन सम्मेलनों में उपस्थित हुए। बोओ एशिया मंच की अधीनस्थ व्यवस्था के रूप में एशिया शिक्षा मंच एक उच्च स्तरीय क्षेत्रीय शिक्षा सहयोग मंच है।एशियाई देशों के बीच शिक्षा क्षेत्र में सहयोग और आदान-प्रदान पर इसके सकारात्मक तथा दूरगामी प्रभाव की चर्चा में बोओ एशिया मंच के सचिवालय के महानिरीक्षक श्री याओ वान ने कहा कि

"इस एशिया शिक्षा मंच में विभिन्न देशों की सरकारों के बीच आदान-प्रदान व सहयोग की परामर्श व्यवस्था स्थापित की गयी। सम्मेलन में विभिन देशों के शिक्षा विभागों की सक्रिय भागीदारी से ऐसे सहयोग को समर्थन व मान्यता जाहिर हुई। हमारी आशा है कि यह व्यवस्था अच्छी तरह चलेगी। चीन इसे पर्याप्त सुविधा प्रदान करेगा, ताकि एशियाई देश नियमित-अनियमित रूप से एकत्र होकर शिक्षा क्षेत्र में आदान-प्रदान कर सकें और समान रुचि वाले सवालों और शैक्षिक कार्य को आगे बढ़ाने में सहयोग जारी रख सकें।"

चीन स्थित भारतीय दूतावास के सांस्कृतिक कांसुलर प्रदीप रावत ने एशियाई शैक्षिक सहयोग पर विचार गोष्ठी में भारतीय शिक्षा की आम स्थिति की जानकारी दी और कहा कि भारत अपनी उच्च शिक्षा को विदेशों तक ले जाने की कोशिश कर रहा है। भारत और चीन के बीच शिक्षा क्षेत्र में सहयोग की चर्चा में उन्होंने कहा कि चीन के पेइचिंग विश्वविद्यालय में एक विशेष भारत अध्ययन केंद्र स्थापित हो चुका है और भविष्य में दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक व शैक्षिक क्षेत्रों में आवाजाही और बढ़ेगी ।

पेइचिंग में आयोजित एशिया शिक्षा मंच की विभिन्न संगोष्ठियों में अनेक भारतीय विद्वानों ने भाग लिया। सुश्री इन्दिरा जेइ. पारिख भी उन में शामिल रहीं।वे अहमदाबाद स्थित भारतीय प्रबंध कॉलेज की निदेशक ही नहीं है, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के कार्यदल की सलाहकार समिति की सदस्य भी हैं। वर्ष 2001 में विश्व मानव संसाधन विकास सम्मेलन ने प्रोफ़ेसर पारिख को प्रबंध शास्त्र की सर्वश्रेष्ठ अध्यापिका के पुरस्कार से सम्मानित किया। एशियाई प्रबंध शिक्षा गोलमेज़ सभा में उन्होंने कॉलेज के शिक्षा प्रबंध के अपने अनुभवों की जानकारी दी और कहा कि एशियाई देशों के बीच शैक्षिक सहयोग का फ़ौरी महत्व है। मुझसे मुलाकात में उन्होंने चीन और भारत के बीच सांस्कृतिक व शैक्षिक आवाजाही के संदर्भ में अपने विचार रखे।

श्री प्रकाश भारत के बंगलौर प्रबंध कॉलेज के निदेशक हैं। उन्होंने आर्थिक व सामाजिक विज्ञान के प्रोफ़ेसर के रूप में इस एशिया शिक्षा मंच के तहत प्रबंध शिक्षा पर हुई गोल मेज़ सभा में भाग लिया। उन्होंने चीन और भारत के बीच शिक्षा सहयोग के भविष्य को उज्ज्वल माना।

एशिया शिक्षा मंच में विभिन्न देशों के शिक्षा जगत के उच्च अधिकारियों व विद्वानों ने यह सहमति प्राप्त की कि शिक्षा एशियाई देशों में मैत्री बढ़ाने में अहम भूमिका अदा कर सकती है। थाइलैंड के शिक्षामंत्री बोधारामिक ने सम्मेलन में एशिया के लिए एकीकृत शिक्षा व्यवस्था कायम करने का सुझाव पेश किया। उन्होंने कहा कि

"एशियाई देशों में शिक्षा के विकास का समान संकल्प है। हमें एक दूसरे पर आश्रित हो कर मिल कर आगे बढ़ना चाहिए और एक शक्तिशाली नेटवर्क कायम करना चाहिए ताकि संदर्भ सूचनाओं तथा प्रतिभाओं का आदान-प्रदान बढ़ाया जा सके, छात्रों, शिक्षकों व प्रबंधकों के बीच आवाजाही आसान हो, विभिन्न देश एक-दूसरे की शिक्षा संस्थाओं के प्रमाणपत्रों को मान्यता दें और एकीकृत शिक्षा का दायरा बढ़ाया जाए।"

एशिया शिक्षा मंच अब एक वार्षिक आयोजन बन चुका है। हर वर्ष एशियाई देशों के शिक्षा जगत के जाने-माने व्यक्ति इस में भाग लेते हैं। आशा है कि इस मंच के जरिए एशियाई देशों के बीच शैक्षिक आदान-प्रदान बढ़ेगा और एशियाई देशों का समान विकास हो सकेगा।