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(GMT+08:00) 2004-09-10 15:52:06    
भावी सालों में विज्ञान व तकनीकों की संभावित प्रगतियां

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चीनी विज्ञान व तकनीक मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार भावी दस सालों में चीन मुख्य तौर पर चलित सूचना , नयी शैली वाली वाइब व्यवस्था , नाना तकनीक तथा उत्पादों के नये किस्मों आदि के अनुसंधान व विकास में जोर लगाएगा । सूचना तकनीक के क्षेत्र में चीन ने उल्लेखनीय उपलब्धियां प्राप्त की हैं । अब चीन के मौबाइल फोन की उपभोक्ताओं की मात्रा तीस करोड़ तक जा पहुंची है , जो विश्व में सब से अधिक है । जीव तकनीक एक और ऐसा क्षेत्र है , जहां चीन भारी प्रगति पा सकता है । मिसाल है कि चीन अब कुछ रोगों के प्रति टिकाओं के उत्पादन में दुनिया के आगे पंक्ति पर स्थित हो चुका है , भावी दस सालों में चीन की और एक लम्बी छलांग होने की संभावना है । यहां और एक दिल्चस्पी वाली खबर है कि अमेरिका , रूस , यूरोप , चीन और भारत सब की अंतरिक्ष में यात्रा करने की महान योजनाएं हैं । कुछ देशों की चांद पर अपने अंतरिक्ष यात्री मंगल तक भेजने की कल्पना भी है । लेकिन पृथ्वी से मंगल तक यात्री भेजने के लिये पांच करोड़ मील्स का रास्ता नापना पड़ता है । इसी रास्ते पर अंतरिक्षयान लगभग तीन साल के लिये उड़ने जाएगा । इस अंतरिक्षयान पर कम से कम छै अंतरिक्षयात्रियों की जरूरत है । इन छै व्यक्तियों के लिये कम से कम तीस टन खाद्य पदार्थ लादना पड़ेगा । इतने ज्यादा सामान पहुंचाने के लिये कितना बड़ा वाहन चाहिये , इस का कल्पना बहुत कठिन है । इसलिये कुछ वैज्ञानिकों ने ऐसा कल्पना पेश की है कि अंतरिक्ष यात्रा में किसी नींद की दवा का प्रयोग किया जाएगा । अगर अंतरिक्षयात्री सपते सपते मंगल की ओर जाने का लम्बा रास्ता नाप सकेगा , तो उन की यात्रा उतनी कठिन नहीं हो सके । लेकिन यूरोप के किसी अंतरिक्षयात्री ने यह कहा है कि मंगल जाने के रास्ते पर मैं सपने नहीं , बल्कि जगते हुए लक्ष्य तक जाना चाहूंगा , क्योंकि यह रास्ता अद्भुत असाधारण है । इस साल के पहले कुछ महीनों में चीन में इलेक्ट्रोनिक उद्योग का उत्पादन मूल्य चार दशमलव नौ खरब यवान रहा , जो पिछले साल की इसी अवधि से बहुत अधिक पाया गया । इस साल चीन के इलेक्ट्रोनिक उद्योग के संचालन में सुधार होने के साथ इलेक्ट्रोनिक उत्पादों के निर्यात में भी बड़ी वृद्धि हुई । इस दौरान चीन के इलेक्ट्रोनिक उद्योग का उत्पादन मूल्य एक खरब यवान रहा , जो पिछले साल की इसी अवधि से चवालिस प्रतिशत अधिक थी । यहां यह भी चर्चायोग्य है कि चीन में इलेक्ट्रोनिक उत्पादों की वृद्धि में निर्यात का खासा भाग रहता है । अनुमान है कि इस साल चीनी इलेक्ट्रोनिक उत्पादों का मूल्य एक नये रिकार्ड पर जा पहुंचेगा । चौथा विश्व इंटरनेट व बहुमाध्यम शिखर सम्मेलन आगामी अक्तूबर में चीनी राजधानी पेइचिंग में आयोजित होगा । पेइचिंग शहर और अंतर्राष्टीय बहुमाध्यम सोसाइटी सम्मेलन का संयुक्त रूप से आयोजन करेंगे । सम्मेलन का शीर्षक हैं, बहुमाध्यम और डिजिटल का भविष्य और चीन व दुनिया से जुड़ाव । अंतर्राष्टीय बहुमाध्यम सोसाइटी तथा संबंधित देशों के उद्योगधंधों तथा संगठनों के पांच सौ से अधिक प्रतिनिधि इस सम्मेलन में भाग लेंगे । अमेरिका , कनाडा , भारत और ब्राजील आदि देशों की बहुमाध्यम सोसाइटियों के प्रतिनिधि भी मौके पर उपस्थित होंगे । इस शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रतिनिधि बहुमाध्यम व्यवस्था के गठन , बौद्धिक संपदाधिकार , आँनलाइन बहुमाध्यम उद्योग तथा टीवी के विकास में डिजिटल तकनीक के प्रभाव आदि विषयों पर विचार विमर्श करेंगे । सम्मेलन के दौरान बहुमाध्यम तकनीक से संबंधित एक प्रदर्शनी भी आयोजित की जाएगी । जापानी विज्ञान व तकनीक सभा ने वर्ष दो हजार पांच के लिये जापान की जो वार्षिक विज्ञान व तकनीक विकास योजना तय की है , उस में सुरक्षा तथा अनवरत विकास से जुड़े मुद्दे पर काफी महत्व दिया गया है । योजना में जीव विज्ञान व सूचना तकनीक के अनुसंधान पर जोर देने के अतिरिक्त, जिन अन्य दो मुद्दों पर विशेष महत्व दिया गया है , वे हैं , सुरक्षित समाज के निर्माण के लिये मिश्रित व बहुविषयी विज्ञान व तकनीक का विकास और देश के अनवरत विकास के लिये लाभदायक तकनीकों के विकास को बढ़ावा । नयी योजना में यह भी निर्धारित है कि संक्रामक रोगों तथा इंटरनेट पर आतंकवाद व अपराध का सामना करने वाली तकनीकों का विशेष तौर पर विकास किया जाए । विश्व प्रकृति कोष तथा जर्मन व्यावहारिक पारिस्थितिकी अनुसंधानशाला ने हाल ही में अपनी एक संयुक्त रिपोर्ट में विश्व के लिये ऊर्जा के विकास में पुनरुत्पादनीय ऊर्जा के महत्व पर जोर दिया है । रिपोर्ट के अनुसार कुछ राजनीतिक वजहों से ही जैव ऊर्जा की भूमिका की उपेक्षा की जाती रही है । अगर जैव ऊर्जा के विकास पर जोर न दिया जाए , तो विकसित देश क्यूटो प्रोटोकोल में निर्धारित ग्रीनहाउस गैसों के नियंत्रण के लक्ष्य तक नहीं पहुंच जाएंगे । रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष दो हजार बीस तक पश्चिमी देशों में पंद्रह प्रतिशत बिजली का उत्पादन जैव स्रोतों से किया जाने लगेगा , जबकि आज यह मात्र एक प्रतिशत है । रिपोर्ट ने यह भी रेखांकित किया है कि जैव ऊर्जा के विकास से रोजगार के कई लाख मौके पैदा किये जा सकेंगे । फिलिप्स कंपनी के तहत एक अनुसंधानशाला के तकनीशियनों ने हाल ही में इलेक्ट्रोनिक सूक्ष्मदर्शक यंत्र के जरिये एक मीटर लंबे पदार्थ के दस अरबवें भाग का सर्वेक्षण करने में सफलता प्राप्त की । इस नवीनतम तकनीकी प्रगति की विश्व में भारी प्रशंसा की गयी है । चीनी विज्ञान अकादमी के एक अकादमिशयन ने इस खबर का मूल्यांकन करते हुए कहा कि इस से पदार्थों के सूक्ष्मातिसूक्ष्म अनुसंधान एक नये स्तर पर पहुंचा है । इलेक्ट्रोनिक सूक्ष्मदर्शक यंत्र का आविष्कार वर्ष 1930 के दशक में हुआ था । तब से अब तक मानव को सूक्ष्म पदार्थों के अनुसंधान में उल्लेखनीय क्षमता हासिल हो चुकी है । यह तकनीक नयी सामग्रियों के उत्पादन में भी सार्थक है । खबर है कि जापान के एक संयुक्त अनुसंधानकर्ता दल ने विश्व की सब से ऊंची गति वाले सुपर कंप्यूटर ग्रैप- डी-आर का उत्पादन शुरू कर दिया है , जिस की गति प्रति सेकेंड बीस हजार खरब गणनाएं होगी , यह वर्तमान विश्व के सब से तेज़ कंप्यूटर सिमूलेटर की पचास गुनी होगी । इस संयुक्त अनुसंधानकर्ता दल में जापान के टोक्यो विश्वविद्यालय तथा सूचना प्रचार अनुसंधान संस्था के विशेषज्ञ और तकनीशियन शामिल हैं । पता चला है कि ग्रैप- डी-आर में बीस लाख गणक जुड़े होंगे , जो प्रति सेकेंड चालीस गीगा बाइट्स की गणना कर सकेंगे । हाल में तिब्बत पठार के छांग-तु कस्बे स्थित प्राचीन काल के मानव के अवशेष की खुदाई की गयी , और कुल सात हजार से अधिक अवशेषों का पता लगाया गया । खुदाई में कुल एक हजार से अधिक मिट्टी के बरतनों और पत्थर व हड्डी के औज़ारों का पता लगा । इन अवशेषों के पांच हजार वर्ष पुराने होने का अनुमान लगाया गया है । पुरातत्व-विदों के मुताबिक छांगतु से मिले ये अवशेष पांच हजार से पहले तिब्बत पठार पर रहने वाले मानव के जीवन , उत्पादन , सामाजिक संगठन तथा विश्वास व विचारधारा आदि के अनुसंधान में लाभदायक सिद्ध होंगे । यह संयुक्त खुदाई दल , तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के संस्कृति अवशेष ब्यूरो तथा सिच्वान विश्वविद्यालय के पुरातत्वविदों से गठित है । उन्हों ने छांगतु में तीस साल पहले अवशेषों की खुदाई शुरू की थी , छांगतु अवशेष को तिब्बत पठार पर सब से संपूर्ण और प्रतिनिधित्व प्राप्त संस्कृति मानी जाती है ।