इधर के वर्षों में चीन ने अपनी समग्र शक्ति के बढ़ते के चलते विश्व व्यापार संगठन की सदस्यता प्राप्त की , और वर्ष 2008 में होने वाले 28वें ओलंपियाद के आयोजन का अधिकार भी जीत लिया । इन प्रगतियों के कारण चीनी भाषा के अध्ययन व अध्यापन ने विश्व भर में भारी जोर पकड़ा है । आज के इस कार्यक्रम में हम पेश करते हैं इस की कुछ जानकारी ।
चीनी भाषा सीखने का रूझान दुनिया में बढ़ता जा रहा है । एच एल ई यानी चीनी भाषा स्तर परीक्षा अमेरिका के टोफल की तरह विदेशियों के लिये चीनी राष्टीय भाषा परीक्षा है । वर्ष उन्नीस सौ ब्यानवे में जब एच एल ई का प्रथम आयोजन किया जाता था , तब केवल दो सौ व्यक्तियों ने इस में भाग लिया । पर गत वर्ष इस परीक्षा में भाग लेने वाले व्यक्तियों की संख्या एक लाख चालीस हजार तक जा पहुंची , और परीक्षा केंद्र भी तमामू दुनिया में फैले हुए हैं । कोरिया गणराज्य , जापान और वियतनाम जैसे चीन के पड़ोसी देशों में चीनी भाषा सीखने वालों की मात्रा सब से ज्यादा है । इन देशों की संस्कृति चीनी संस्कृति से मितती जुलती है । और इन देशों की चीन के साथ आवाजाहियों का निरंतर विकास भी होता जा रहा है ।
जर्मन लड़की केरस्टीन स्टोम जर्मनी के मिस्ट विश्वविद्यालय की छात्रा है । उन्हें अपने बचपन से ही चीन और चीनी संस्कृति के प्रति गहरी दिल्चपी लगी है । लेकिन उन के मिडिल स्कूल में चीनी भाषा सिखने की उपाधि नहीं है । इसलिये लड़की ने विश्वविद्यालय में चीनी भाषा की उपाधि चुन ली । पेइजिंग में चार सालों के लिये भाषा सीखने के बाद अब मिस स्टोम चीनी बोली के जरिये अच्छी तरह चीनियों के साथ बातचीत कर सकती हैं । उन्हों ने यह बताया कि जर्मनी में चीनी भाषा सीखने वाले बहुत कम हैं , इसलिये चीनी भाषा सीखने से काम ढ़ूंढ़ने के लिये बहुत मददगार होगा । अब चीन में बहुत सी जर्मन कंपनियों की शाखाएं स्थापित हैं , पर मिस स्टोम की आशा है कि वे एक संवाददाता बन सकेंगी । मिस स्टोम ने कहा कि कुछ विदेशियों ने काम ढ़ूंढ़ने के विचार में चीनी भाषा सीखना शुरू किया , पर अन्य बहुत से लोगों को सिर्फ दिल्चस्पी की वजह से चीनी भाषा सीखना आरंभ किया है । वर्ष उन्नीस सौ ब्यानवे में विदेशियों की चीनी भाषा में दक्षता की परीक्षा शुरू हुई , जो अपने चीनी नाम के अंग्रेज़ी संक्षेम में एच एस केई कहलाती है । तब केवल दो सौ विदेशी इस परीक्षा में बैठे थे । पर गत वर्ष एच एस के में कुल 1 लाख चालीस हजार लोगों ने भागीदारी की । और अब एच एस के के परीक्षा केंद्र दुनिया के अनेक स्थलों पर फैले हैं । चीनी भाषा सीखने वाले विदेशियों में सर्वाधिक जापानी , कोरियाई और वियतनामी हैं । उन के देश चीन के निकट है , और उन की संस्कृति भी चीन से मिलती जुलती है । चीनी भाषा इन देशों में खासी लोकप्रिय है । वियतनाम के शिक्षा व प्रशिक्षण मंत्रालय के पदाधिकारी श्री वू ने कहा कि इधर समय वियतनामी छात्रों में चीनी सीखने का शौक बहुत बढ़ा है । कालेजों के अतिरिक्त बहुत से चीनी भाषा केंद्र खुल गये हैं । बहुत से छात्र अवकाश में भी चीनी सीख रहे हैं ।
एशिया के बाहर पश्चिमी देशों , लातिन अमेरिका तथा अफ्रीका में भी चीनी भाषा के अध्ययन में उभार आया है । चीनी भाषा की रूसी छात्रा सुश्री मारिना ने एक बार माँस्को में एक अमेरिकी युवक के साथ चीनी भाषा में ही बातचीत की । उन्हों ने कहा कि अब ऐसी घटनाएं बहुत आम हो गयी हैं । चीनी भाषा दुनिया में पैठ गयी है , वह दुनिया के विभिन्न देशों के लोगों की संपर्क भाषा बन गयी है । पहले विदेशी छात्र इसीलिये भाषा सीखने चीन आये थे , क्योंकि उन की चीनी संस्कृति में दिलचस्पी होती थी । पर आज बहुत से छात्र सिर्फ काम की तलाश के लिये ही चीनी सीख रहे हैं । मिसाल के लिये जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों में चीनी भाषा जानने वाले युवाओं के लिये काम ढ़ूढ़ना आसान है । एक आंकड़ा कहता है कि जापान में चीनी भाषा सीखने वाले युवाओं में रोजगार की दर नब्बे प्रतिशत है , जब कि आम युवाओं के रोजगार पाने की दर ,सत्तर प्रतिशत । बहुत से विदेशी छात्र चीनी सीखने के लिये चीन आ रहे हैं । गत वर्ष के अन्त तक चीन पहुंचाने वाले विदेशी छात्रों की संख्या साठ हजार थी , और इस का आधा भाग चीनी भाषा सीखने के लिये आया था ।
श्री कोनोर पेइचिंग नर्मिल विश्वविद्यालय के ब्रिटिश छात्र हैं । उन का चीनी बोलने का लहजा बिल्कुल किसी पेइचिंगवासी का सा है ।हालांकि उन्हों ने यह ज़बान लंदन में सीखी । उन्हों ने कहा कि जब मैं ने लंदन विश्वविद्यालय में चीनी भाषा सीखनी शुरू की , तो हमारी शुरू के महीनों की कई कक्षाएं उच्चारण और लहजे पर केंद्रित रहीं । इसलिये हम शुरू से ही शुद्ध चीनी भाषा सीख सके । उन्हों ने कहा कि उन की योजना पेइचिंग में अपनी चीनी भाषा को और सुधरने और बाद में यहां काम ढ़ूंढ़ने की है । बहुत से विदेशों ने चीनी भाषा सीखने की योजना पर जोर दिया है । कुछ समय पूर्व कोरिया गणराज्य के शिक्षा मंत्रालय ने यह घोषित किया कि वर्ष दो हजार सात से कोरिया गणराज्य के अधिकांश प्राइमरी व मिडिल स्कूलों में चीनी भाषा का कोर्स खोला जाएगा । जापान में अब लगभग चार सौ मिडिल स्कूलों में चीनी भाषा सिखायी जा रही है और चीनी भाषा सीखने वालों की मात्रा दस लाख तक जा पहुंची है । फ्रांस के एक सौ पचास मिडिल स्कूलों में चीनी भाषा सिखाने लगी है , जिन में आठ हजार छात्र पढ़ रहे हैं । अमेरिका में चीनी भाषा भी सब से गर्म विदेशी भाषा बनने जा रही है ।
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