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(GMT+08:00) 2004-09-01 17:05:01    
ताई जाति के मङ हान कस्बे का दौरा

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शी स्वांग पान ना चीन का एक ऐसा विशेष स्वायत्त प्रिफेक्चर है , जहां मुख्यतः ताई जाति रहती है और चीन का एक बड़ा आकर्षक रमणीय क्षेत्र है । ताई जाति के लोग इस क्षेत्र को मङ पा ला ना सी कहते है , अर्थात सुन्दर और रहस्यमय इलाका । कुछ समय पहले मैं ने स्वायत्त प्रिफेक्चर की राजधानी च्येंग हुङ के निकटस्थ मङ हान बस्बे का दौरा किया और कस्बे में रहने वाले थाई जाति के लोगों के जीवन और परम्परा जाना ।

मङ हान कस्बा शी स्वांग पान ना की राजधानी च्येंग हुङ से कोई 27 किलोमीटर दूर है , वह चीन की मशहूर नान छांग नदी के उत्तरी तट पर आबाद है । कस्बे में मान च्यांग , मान छुन और मान चा नाम के पांच गांव बसे हुए है , जिन में ताई जाति की पुरानी परम्पराएं और संस्कृति आधुनिक युग से अछूता है । इसलिए यह कस्बा देश में

बेहद मशहूर है ।

मङ हान कस्बे के तहत विभिन्न गांवों में तीन सौ से अधिक परिवार रहते हैं । गांवों में जगह जगह नालियल व पान पेड़ों तथा बांसों के बीच बीच थाई जाति के बांस से बने बंगले दिखाई देते हैं , हवा में रंगबिरेगे फुलों के महक व्याप्त रहे है और बौद्ध धर्म के स्वर्णीय पगोडे पर्यटकों को बरबस आकर्षित करते हैं । इन प्राकृतिक गांवों में घूमते हुए आप को वहां ताई जाति की गाढ़ा धार्मिक सांस्कृतिक वातावरण महसूस हो सकता है ।

मान छुन नाम के गांव में मेरी यु-वन नामक एक गांव वासी से मुलाकात हुई , सुश्री यु-वन ने बड़े उत्साह के साथ मीठे मीठे फलों और सुगंधित चावल से बनी चाय से हमारा सत्कार किया ।

उस ने हमें बताया कि अतीत में उस के घर में धन का काफी अभाव था , परिवार का जीविका मुख्यतः खेतीबारी , रबड़ के पेड़ों के रोपन तथा फलों की पैदावार पर निर्भर था । 20 वीं शताब्दी के अस्सी वाले दशक में चीन में आर्थिक सुधार और खुलेपन की नीति लागू होने लगी , इस से प्रेरित हो कर बड़ी संख्या में पर्यटक ताई जाति के गांवों का दौरा करने आने लगे । नब्बे के दशक में वहां के गांवों की यातायात और सफाई की स्थिति काफी सुधर गई और दूसरे स्थानों में और अधिक संख्या में यात्री आ रहे हैं । पर्यटन से प्राप्त आय ने हमारे गांव वासियों के जीवन को बहुत सुखद बनाया है । वह कहती हैः

अब रोज बहुत से पर्यटक गांव आते हैं , अतीत में हमारी वार्षिक आय मात्र कई सौ य्वान थी , अब हमारी वार्षिक आमदनी हजारों य्वान तक पहुंची है । मेरे घर में अन्तरराष्ट्रीय दूर डिस्तांत तेलीफोन सेट भी लगाया गया है ।

गांवों की पर्यटन सेवा को बेहतर बनाने के लिए गांव वासियों ने अपने मकानों को सुविधाजनक और स्थानीय सांस्कृतिक वातावरण से सुसज्जित कर दिया , इस तरह बाहरी पर्यटक गांव वासियों के घरों में विशेष वातावरण में रह सकते हैं , इस प्रकार की पर्यटन सेवा थाई घरों का आवास नाम से मशहूर भी हो गई । अब गांवों के सभी घरों में पर्यटकों का स्वागत सत्कार होता है ।

यु-वन के घर की दीवारों पर अनेक फोटो लगाए गए है , जिन में पेइचिंग व शांगहाई जैसे चीन के बड़े बड़े शहरों से आए पर्यटक दिखाई देते हैं , और जापान और अमरीका आदि देशों से आए विदेशी पर्यटक भी हैं । इस के अलावा चीन की यात्रा पर आए आदरणीय विदेशी मेहमान जैसे थाईलैंड के राजा की बड़ी बहन कानल्या और राजकुमारी सिरिनथोंग भी शामिल हैं ।

यु -वन को बिदा देने के बाद हम मानचे गांव आए । यह शाम का समय है , गांव वासी काई कुंग ने हमारा सत्कार किया और ताई जाति का विशेष खाना खिलाया । ताई जाति का भोजन रंगढंग और स्वाद में परम्परागत विशेषता लिए हुआ है । खाना बहुत मुलायम और महकदार है । बांसों और केले के पतों के भीतर पकाया गया चावल बहुत सुगंधित और मुलायम लगता है । ताई जाति की परम्परा के अनुसार ऐसा खाना मेहमानों के स्वागत में परोसा जाता है । शाम के भोजन में तेज स्वाद के खटा तरीके , बांस के मूल से बना खटा तरीका और मछली भी है । इतना विशेष स्वाद का मजेदार खाना खाने से हमें बड़ा आनंद मिला और ताई जाति की खाने की संस्कृति का खासा विशिष्ट अनुभव भी प्राप्त हुआ ।

ताई जाति के लोग नृत्य गान के प्रेमी है , मङ हान कस्बे के ताई वासी भी नाचना गाना को पसंद करते हैं। मानचे गांव में गांव वासियों ने हमें उन का स्वरचित नृत्य गान भी दिखाया ।

मधुर ताई जातीय धुन के साथ गांव वासी बड़ा सुन्दर नाच पेश कर रहे हैं , जिस से थाई लोगों का मेहमाननवाज भाव और उमंग अभिव्यक्त हो गया है ।

मानचे गांव में येन कुंग का घर घर में पर्यटकों का स्वागत सत्कार करने के लिए सब से मशहूर है । येन कुंग ने वर्ष 2002 के शुरू में ताई परिवार के मेहमान के रूप में बाहनी पर्यटकों का स्वागत सत्कार करने की पर्यटन सेवा आरंभ किया था , इस प्रकार के विशेष पर्यटन कार्यवाही के चलते और अधिक संख्या में यात्री उस के घर आने लगे । येन कुंग परिवार की आय भी लगातार बढ़ती गई । पिछले साल के अगस्त में येन कुंग और गांव के अन्य दसेक परिवारों ने मिल कर घर में पर्यटकों का स्वागत सत्कार करने की पर्यटन गतिविधि चलाई । अब उन का यह व्यवसाय जोरों पर चल रहा है । कभी कभार दसियों सदस्यों का बड़ा पर्यटन दल भी उन के गांव आता है । श्री येन कुंग ने हमें बतायाः

अगस्त 2002 में मैं ने गांव वासियों की एक बैठक बुला कर यह निर्यण किया था कि गांव के खेतीबाड़ी के लिए बाहर से किसान भाड़े पर बुलाए जाएंगे , हम गांव वासी मुख्य रूप में पर्यटन सेवा का विकास करेंगे । अब थाई घरों में पर्यटकों का मेहमान के रूप में स्वागत सत्कार करने का व्यवसाय सुव्यवस्थित हो गया है , गांव के 18 परिवारों ने इस काम में हिस्सा लिया , उन के हरेक परिवार की मासिक आय एक हजार य्वान तक पहुंच गयी है ।

घरों में पर्यटकों को ज्यादा सुविधा देने के लिए येन कुंग ने अपने बांस के बंगले में बाथरूम भी बनाया है , घर में सौर ताप व्यवस्था बनायी गई है और अन्तरराष्ट्रीय दूर डिस्कान्त तेलीफोन भी लगाया गया है । येन कुंग के घर में अब बड़ा आकार वाला टेलीविजन सेट और बढ़िया विडियो औडियो मशीन भी लाये गए , जिस से रात का महफिल आयोजित करने में बड़ी सुविधा मिली है ।

श्री येन कुंग का कहना है कि पहले वह केवल अपनी मातृ भाषा थाई भाषा जानते थे , पर्यटन सेवा चलाने के बाद वह देश विदेश के विभिन्न स्थानों से आने वाले लोगों के संपर्क में आया और उन के साथ बातचीत से उस ने देश की राष्ट्रीय मानक भाषा भी सीखी , जो अब धारावाहक तौर से बोल सकते हैं । येन कुंग के दो बच्चे हैं , जो प्रिफेक्चर की राजधानी चिंग हुङ शहर के हाई स्कूल में पढ़ते हैं , जब वे घर पर हैं , तो वे विदेशी पर्यटकों के साथ अंग्रेजी में बातचीत करने में मां बाप की मदद करते हैं ।

वर्तमान समय में येन कुंग का परिवार हर साल पर्यटन से 70 हजार य्वान की आय पा सकता है , इस पर वह बहुत संतुष्ट और अपने जीवन में बड़ा आनंद मिलता है । वह कहते हैः

मेरी यह सपना है कि पर्यटन सेवा से जब काफी रकम की धन राशि मिली , तो मैं भी देश के अन्य स्थानों तथा विदेशों में सैर करने जाऊंगा , मैं बाहर की दुनिया देखना चाहता हूं , देश की हान जाति के प्रगतिशील पर्यटन प्रबंध का अनुभन सीखना चाहता हूं , ताकि हमारे गांव की पर्यटन सेवा भी साल ब साल बेहतर हो ।

येन कुंग के घर से बिदा होने के बाद हम बाहर आए , एक बलगद के विशाल पेड़ की छांह में थाई जाति के कुछ युवतियां नाच गान में मस्त रही हैं ,उन के मनोहर नाच ने हमें बरबस आकर्षित किया , हमें अनुभव हुआ है कि ताई जाति का यह सुन्दर प्रदेश अब आकर्षण का केन्द्र बन गया है , यहां ताई लोगों में अमन चैन व खुशहाली का माहौल फैल रहा है ।